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SEBI Mutual Fund Refoms: अब म्यूचुअल फंड्स होंगे ज्यादा सस्ते!

SEBI Mutual Fund Refoms: भारत में म्यूचुअल फंड्स के लिए नया साल बड़े बदलाव लेकर आया है. SEBI के हालिया नियमों ने निवेश को पहले से ज्यादा सस्ता, सरल और सुरक्षित बना दिया है. एग्जिट लोड में कटौती, MF-Lite जैसी नई व्यवस्था, और लिक्विड–ओवरनाइट फंड्स के लिए नए कट-ऑफ टाइम जैसे बदलाव युवा निवेशकों के लिए गेम-चेंजर साबित हो रहे हैं. आने वाले महीनों में TER और खर्चों में और कमी जैसी सुधारों से म्यूचुअल फंड्स और भी किफायती हो सकते हैं. तेजी से बढ़ते इनफ्लो के बीच ये नया नियामक ढांचा निवेशकों को बेहतर पारदर्शिता और ज्यादा भरोसा देता है.

SEBI Mutual Fund Refoms: भारत में म्यूचुअल फंड्स में निवेश तेजी से बढ़ रहा है, और इसी बीच SEBI ने कुछ ऐसे बदलाव किये हैं जो आम निवेशकों के लिए निवेश को और आसान, सस्ता और सुरक्षित बना रहे हैं. नवंबर 2025 तक म्यूचुअल फंड्स में नेट इनफ्लो 135% तक बढ़ चुका है और AUM में भी करीब 39% की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. इतनी तेज ग्रोथ के बीच SEBI ने नए नियम लागू किए हैं ताकि निवेशकों को कम खर्च, ज्यादा पारदर्शिता और बेहतर सुरक्षा मिल सके.

एग्जिट लोड घटने से क्या बदला?


पहले कई स्कीम्स में जल्दी पैसा निकालने पर भारी पेनल्टी लगती थी. लेकिन सितंबर 2025 से SEBI ने एग्जिट लोड की ऊपरी सीमा 5% से घटाकर 3% कर दी है. इससे छोटे निवेशकों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है, क्योंकि अब वे जरूरत पड़ने पर बिना ज्यादा कटौती के पैसा निकाल सकते हैं. पहले कई फंड 1–2% लेते थे, लेकिन अब कोई भी स्कीम 3% से ज्यादा नहीं ले सकती है. इससे निवेश करना भी आसान लगता है और निवेशकों में भरोसा बढ़ता है.

MF-Lite क्या है और इससे आपको क्या फायदा?


मार्च 2025 में लॉन्च हुए MF-Lite नियमों से इंडेक्स फंड, ETF और जैसे पैसिव फंड्स को कम कागजी काम और कम लागत में चलाने की अनुमति मिली है. ये फंड सीधे मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करते हैं, इसलिए इनकी फीस पहले ही कम होती है. नए नियमों के बाद उम्मीद है कि फंड हाउस और ज्यादा सस्ते और आसान पैसिव प्रोडक्ट्स लॉन्च करेंगे, जो युवा निवेशकों के लिए बहुत सुविधाजनक हैं.

नए कट-ऑफ टाइम से क्या फर्क पड़ेगा?


लिक्विड और ओवरनाइट फंड्स में पैसा निकालने के नियम पहले थोड़े उलझे हुए थे, लेकिन अब SEBI ने यह साफ कर दिया है कि किस समय किया गया रिक्वेस्ट किस NAV पर प्रोसेस होगा. 3 बजे से पहले का रिक्वेस्ट अगले वर्किंग डे से पहले वाली NAV पर सेट होगा, जबकि ऑनलाइन ओवरनाइट फंड्स में 7 बजे तक का समय दिया गया है. इससे प्रक्रिया ज्यादा साफ, आसान और डिजिटल इन्वेस्टर्स के लिए सुविधाजनक हो गई है.

आगे क्या बड़े बदलाव आ सकते हैं?


SEBI आने वाले महीनों में खर्चे यानी TER कम करने, ब्रोकर कॉस्ट घटाने, टैक्स और चार्जेज को पारदर्शी बनाने, डबल बिलिंग से बचने और कुछ फंड्स को नए तरीके से क्लासिफाई करने जैसे बदलाव ला सकता है. ये सभी सुधार अगर 2026 में लागू होते हैं, तो म्यूचुअल फंड्स और भी सस्ते और भरोसेमंद बन जाएंगे. यह नए नियमों का दौर उन युवाओं के लिए खास है जो छोटी-छोटी रकम से निवेश शुरू करते हैं और लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न चाहते हैं. नए साल में म्यूचुअल फंड्स पहले से ज्यादा स्मार्ट, सुरक्षित और किफायती विकल्प बनते दिख रहे हैं.

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Soumya Shahdeo
Soumya Shahdeo
सौम्या शाहदेव ने बैचलर ऑफ़ आर्ट्स इन इंग्लिश लिटरेचर में ग्रेजुएट किया है और वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिज़नेस सेक्शन में कॉन्टेंट राइटर के रूप में कार्यरत हैं. इसके अलावा, वह एक बुक रिव्यूअर भी हैं और नई बुक्स व ऑथर्स को एक्सप्लोर करना पसंद करती हैं. खाली समय में उन्हें नोवेल्स पढ़ना और ऐसी कहानियों से जुड़ना अच्छा लगता है जो लोगों को प्रेरित करती है.

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