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GST : रेस्तरां में खाना हो सकता है सस्ता, कर्इ वस्तुआें पर कम हो सकते हैं टैक्स

नयी दिल्लीः जीएसटी से जुड़े मंत्रिसमूह (जीओएम) ने एसी रेस्तरां पर जीएसटी को 12 फीसदी करने और एकमुश्त कर योजना के तहत विनिर्माताओं-रेस्तरां पर करों में कमी की सिफारिश की है. इससे रेस्तरां में भोजन करना सस्ता हो सकता है. जीएसटी परिषद की अगली बैठक में करों में इन राहतों पर मुहर लग सकती है. […]

नयी दिल्लीः जीएसटी से जुड़े मंत्रिसमूह (जीओएम) ने एसी रेस्तरां पर जीएसटी को 12 फीसदी करने और एकमुश्त कर योजना के तहत विनिर्माताओं-रेस्तरां पर करों में कमी की सिफारिश की है. इससे रेस्तरां में भोजन करना सस्ता हो सकता है. जीएसटी परिषद की अगली बैठक में करों में इन राहतों पर मुहर लग सकती है. एसी रेस्तरां पर अभी 18 फीसदी की दर से कर लगता है. एकमुश्त कर योजना के तहत मैन्युफैक्चर्स (विनिर्माता) पर दो फीसदी और रेस्तरां मालिकों को पांच फीसदी कर देना होता है, जिसे घटाकर दोनों के लिए एक फीसदी करने की सिफारिश की गयी है.

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असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता वाला जीओएम ने एकमुश्त योजना के दायरे में नहीं आने वाले एयर कंडीशन और बिना एयर कंडीशन (एसी) रेस्तरां के बीच अंतर को समाप्त करने का भी सुझाव दिया है. समिति ने इस योजना के दायरे में न आने वाले रेस्त्रां पर जीएसटी की दर 12 फीसदी रखने का सुझाव दिया है. जीओएम के अनुसार, जिन होटलों में कमरों का किराया 7,500 रुपये से अधिक है, उस पर 18 फीसदी की दर से कर लगाया जाना चाहिए.

एकमुश्त योजना (कंपोजीशन) उन विनिर्माताओं, रेस्तराओं और व्यापारियों के लिए है, जिनका कारोबार एक करोड़ रुपये से अधिक नहीं है. पूर्व में यह सीमा 75 लाख रुपये थी और जीएसटी परिषद ने इस महीने एक अक्तूबर से यह सीमा बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी. व्यापारियों के संदर्भ में जीओएम ने कराधान के लिए दो तरफा नीति अपनाने का सुझाव दिया है.

समिति का सुझाव है कि जो व्यापारी कर मुक्त वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त राशि को अपने कोबार से अलग करना चाहते हैं, वे एक फीसदी की दर से जीएसटी दें और जो व्यापारी अपने कुल कारोबार के आधार पर कर दें, उनके लिए जीएटी दर 0.5 फीसदी रखी जाये.

एक अधिकारी ने कहा कि जीओएम ने निर्णय किया है कि एकमुश्त योजना के तहत रेस्तरां और विनिर्माताओं के लिए कर की दर को कम कर एक फीसदी किया जाये. व्यापारियों के लिए दो कर की दरों का सुझाव दिया गया है. उसने कहा कि जीओएम ने यह भी सिफारिश की है कि दो राज्यों के बीच व्यापार करने वाली कंपनियों को एकमुश्त योजना का लाभ लेने की अनुमति दी जाये.

करीब 15 लाख कंपनियों ने एकमुश्त योजना का विकल्प चुना है. इसके तहत उन्हें रियायती दर पर कर का भुगतान करना होता है और एक जुलाई से लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत उनके लिए अनुपालन को आसान बनाया गया है.

जीएसटी के तहत एक करोड़ से अधिक कंपनियां पंजीकृत हैं. जहां नियमित करदाता को मासिक आधार पर कर देना होता है. वहीं, एकमुश्त योजना के तहत आपूर्तिकर्ता को केवल एक रिटर्न भरने की आवश्यकता होती है और तिमाही आधार पर कर देना होता है. साथ ही, एकमुश्त योजना के तहत करदाता को विस्तृत रिकाॅर्ड रखने की आवश्यकता नहीं होती, जबकि सामान्य करदाता के साथ इसका रखरखाव करना होता है.

जीओएम का गठन इस माह की शुरुआत में किया गया. उसे विभिन्न श्रेणी के रेस्तरां के कर ढांचे पर पुनर्विचार करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इसका मकसद दरों को युक्तिसंगत बनाना है. फिलहाल, बिना एसी वाले रेस्तरां पर 12 फीसदी जबकि एसी वाले रेस्तरां पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है.

जीओएम के अन्य सदस्य बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी, जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और छत्तीसगढ के वाणिज्यक कर मंत्री अमर अग्रवाल शामिल हैं.

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