नयी दिल्ली: अमेरिका की साख निर्धारण एजेंसी मूडीज ने कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक द्वारा पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के जरिये बाजार से जुटायी गयी 15,000 करोड़ रुपये की राशि बैंक के लिए सकारात्मक है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इससे पूंजी के लिए बैंक की सरकार पर निर्भरता कम होगी. अमेरिका की इस एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार की तरफ से बैंक में किये जाने वाले किसी भी तरह के पूंजीकरण से बैंक का पूंजी आधार और मजबूत होगा. स्टेट बैंक ने पिछले सप्ताह पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के जरिये बाजार से 15,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटायी थी.
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रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि बैंक ने जो पूंजी जुटायी है, वह उसकी साख के लिए सकारात्मक है. इसकी वजह यह है कि इससे बैंक का पूंजीकरण मजबूत होगा और इससे इसकी ऋण वृद्वि का सहारा मिलेगा. बैंक को बासेल-तीन नियमों के तहत अधिक पूंजी की जरूरत होगी. एजेंसी ने कहा है कि इस पूंजी के जुटाने के बाद बैंक बासेल-तीन के नियमों के तहत मार्च 2018 के अंत तक 7.8 फीसदी और मार्च 2019 के अंत तक 8.6 फीसदी इक्विटी पूंजी हासिल करने में कामयाब रहेगा.
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मूडीज ने कहा है कि बैंक ने जो पूंजी जुटायी है, उससे पूंजी के लिए उसकी सरकार पर निर्भरता भी कम होगी. यदि सरकार से उसे कोई राशि प्राप्त भी होती है, तो उसका पूंजी आधार और मजबूत होगा. एजेंसी ने कहा है कि 2016-17 की स्थिति को देखते हुए स्टेट बैंक की जोखिम भार वाली संपित्तयां 2017-18 और 2018-19 में बढ़कर 15 फीसदी तक पहुंच जायेंगी.
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मूडीज ने कहा कि वृद्वि के हमारे अनुमानों और इस आशंका को देखते हुए कि बैंक के मुनाफे पर ऋण लागत का ज्यादा असर होगा. हमें इस निष्कर्ष तक पहुंचाती है कि मार्च 2018 के अंत तक बैंक की टीयर-एक इक्विटी अनुपात करीब 10.1 फीसदी और मार्च 2019 के अंत तक 9.5 फीसदी तक रहेगा.
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