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Bihar: भागलपुर में आज से बिकेगा ग्रीन पटाखा, इन शर्तों के साथ दिवाली की रात में कर सकेंगे आतिशबाजी…

Diwali 2022: बिहार में इस बार पटाखा बिक्री को लेकर सख्ती बरती गयी है. भागलपुर में इस बार बाजारों में पटाखे नहीं दिख रहे. प्रशासन ने अब ग्रीन पटाखों के बिक्री की अनुमति दे दी है. जिसके बाद अब शनिवार से बाजार में पटाखे मिलने लगेंगे.

Diwali 2022: भागलपुर जिले में हरित पटाखे के ही निर्माण व बिक्री की अनुमति डीएम सुब्रत कुमार सेन ने दी है. इसी पटाखे की बिक्री के लिए दीपावली में दुकानदारों को लाइसेंस देने का निर्देश शुक्रवार को जारी किया गया. यह निर्देश राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के आदेश और विस्फोटक नियमावली-2008 व विस्फोटक संशोधन नियम-2019 के प्रावधान के तहत दिया गया है. लेकिन यह निर्देश शुक्रवार को जारी होने से पटाखा दुकानदारों ने समाहरणालय में नाराजगी जाहिर की.

पटाखा दुकानदारों की नाराजगी

पटाखा दुकानदारों का कहना था कि इतनी जल्दी वह बैंक में कब चालान जमा करेंगे, कब लाइसेंस लेंगे और कब पटाखे मंगा कर बेचेंगे. ऐसे में तो व्यवसाय कर पाना मुश्किल हो जायेगा. दुकानदारों ने कहा कि वे बहुत पहले से कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं. वे असमंजस में रहे कि लाइसेंस मिलेगा कि नहीं. पहले ही लाइसेंस मिल गया होता, तो उन्हें व्यवसाय कर पाने का समय मिल पाता. हालांकि शाम को सदर अनुमंडल कार्यालय में लाइसेंस के लिए आवेदन जमा लिया जाने लगा था.

रात में आठ से 10 बजे तक ही पटाखों का कर सकेंगे उपयोग

डीएम द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि मान्य पटाखों का उपयोग रात्रि आठ से 10 बजे के बीच ही किया जाना है. अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, न्यायालय, जैविक उद्यान परिसर आदि के 100 मीटर के दायरे में शाेर उत्पन्न करनेवाले किसी भी प्रकार के पटाखों का उपयोग वर्जित है.

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थाना प्रभारी को मिला टास्क

सभी थाना प्रभारी यह तय करेंगे कि पटाखों का उपयोग केवल निर्धारित स्थल व समय के दौरान ही हो. निर्देशों के उल्लंघन की स्थिति में सबंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी निजी तौर पर जवाबदेह होंगे. सभी एसडीओ को ग्रीन पटाखा का लाइसेंस निर्गत करने का निर्देश डीएम ने दिया है.

क्या होता है हरित पटाखा

हरित पटाखा अन्य पटाखों की तरह ही होता है. हरित पटाखे के उपयोग से अपेक्षाकृत प्रदूषण कम होता है. इसके जलने के बाद पानी के कण पैदा होते हैं और उसमें सल्फर व नाइट्रोजन के कण घुल जाते हैं. इनमें कुछ ऐसे भी पटाखे होते हैं, जिनके जलने के बाद सल्फर व नाइट्रोजन कम मात्रा में पैदा होते हैं. अन्य पटाखों की तुलना में इनमें एल्यूमीनियम का इस्तेमाल कम होता है. हानिकारक गैस कम पैदा होती है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar Digital Desk
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