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आसान भाषा में समझें 2025 विधानसभा चुनाव में RJD के हार की सबसे बड़ी वजह 

Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025 Result: बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम के रुझान में NDA बढ़त बनाए हुए है. ऐसे में 2020 के चुनाव की सबसे बड़ी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को जनता ने सिरे से खारिज कर दिया है. आइए समझते हैं आखिर तेजस्वी यादव के हार में कौन-कौन से फैक्टर रहे हैं. 

Bihar Chunav Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रदर्शन को देखते हुए महागठबंधन के समर्थकों में मायूसी छाई हुई है. ऐसे में तेजस्वी के हार की वजह पर चर्चा बनी हुई है. बिहार के सियासी गलियारों में एक तरफ NDA के जीत की लहर है तो दूसरी ओर महागठबंधन के हार के कारण गिनाए जा रहे हैं. आरजेडी के सहयोगी दलों की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. 

RJD की हार की बड़ी वजहें

जातीय राजनीति को नकारा

मुस्लिम-यादव वोट बैंक हमेशा से RJD की ताकत रही है, लेकिन 2025 के चुनाव में यह फार्मूला पहले जितना असरदार नहीं रहा. दूसरी तरफ NDA ने महिलाओं और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग को मजबूती से खड़ा किया और इन वोटरों पर NDA का पकड़ मजबूत हो गया, जिससे RJD को उसका पुराना जातिगत फायदा उतना नहीं मिला जितना मिलना RJD कयास लगाए थे. 

टिकट बांटने में गड़बड़ी

RJD पर टिकट बंटवारे को लेकर सवाल उठे. विश्लेषकों के मुताबिक पार्टी ने यादव और कुछ खास जातियों को ज्यादा टिकट देकर संतुलन बिगाड़ दिया. इससे कई अहम समुदायों को लगा कि उन्हें सही प्रतिनिधित्व नहीं मिला.

महिला वोटरों का बढ़ता असर

इस बार महिलाओं ने बड़ी संख्या में वोट डाला और उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही. NDA महिलाओं को ध्यान में रखकर चल रही योजनाओं और “महिला सशक्तिकरण और कल्याण” वाले संदेश के साथ आगे आया, जिससे उन्हें बड़ा फायदा मिला. RJD ने भी महिला उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन महिलाओं के बीच उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं दिखी.

जंगलराज और भ्रष्टाचार वाली पुरानी छवि

NDA, खासकर BJP ने RJD के ऊपर 90 के दशक और 2005 से पहले वाली “जंगल राज” की छवि को खूब उछाला. पीएम मोदी ने भी अपनी रैलियों में RJD के समय हुए “कम विकास” की बातें उठाईं. इससे RJD की पुरानी नकारात्मक छवि और मजबूत होकर सामने आ गई.

महागठबंधन की कमजोरी

RJD इस बार भी कांग्रेस और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहा था, लेकिन कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरी साफ दिखी. सीटों का बंटवारा, उम्मीदवार तय करना, और ग्राउंड मैनेजमेंट जैसे मामलों में महागठबंधन की तालमेल बहुत कमजोर रही. इसका सीधा असर RJD के कैंपेन और रणनीति पर पड़ा.

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प्रचार और आखिरी समय की तैयारी

RJD ने प्रचार में वोटों की हेराफेरी और वोट चोरी जैसे मुद्दों पर ज्यादा जोर दिया, लेकिन यह बात जनता में उतनी गहराई से नहीं पहुंची. कई जानकारों का मानना है कि RJD शुरुआती चरणों में जमीन पर उतनी मेहनत नहीं कर पाई, जिसका नुकसान बाद में दिखा.

Nishant Kumar
Nishant Kumar
निशांत कुमार पिछले तीन सालों से डिजिटल पत्रकारिता कर रहे हैं. दैनिक भास्कर (बक्सर ब्यूरो) के बाद राजस्थान पत्रिका के यूपी डिजिटल टीम का हिस्सा रहें. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहे हैं. देश-विदेश की कहानियों पर नजर रखते हैं और साहित्य पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं.

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