राजेश कुमार ओझा
Jehanabad Vidhan Sabha बिहार में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है.प्रत्याशी मैदान में अपनी जमीन मजबूत करने में लग गए हैं.एक-एक सीट पर एक साथ चार-पांच प्रत्याशी अपना दावा ठोंक रहे हैं. हर दल में यही हाल है. बिहार की जहानाबाद विधानसभा सीट पर सिर्फ जदयू से ही चार मजबूत प्रत्याशियों ने अपना दावा पेश किया है.
सभी के अपने – अपने दावे और समीकरण हैं. चर्चा अगर जहानाबद जदयू जिलाध्यक्ष दिलीप कुशवाहा की करें तो जहानाबाद में इनके नाम की चर्चा बड़ी तेजी से हो रही है. दिलीप कुशवाहा के समर्थकों में इसे लेकर अपने-अपने तर्क हैं. जातिय समीकरण का गणित बताते हुए वे कहते हैं कि 2020 के विधान सभा चुनाव में जदयू की हार का मूल कारण चिराग पासवान का बागी होना था.
लव- कुश समीकरण का बना रहे दावा
जदयू ने 2020 के विधानसभा चुनाव में कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया था.आरजेडी के सुदय यादव ने कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा को करीब 33 हजार वोटों से पराजित किया था. कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा को को 2020 में 41128 वोट मिले थे. जबकि सुदय यादव को 75030 वोट मिले थे. चिराग पासवान की पार्टी से इंदु देवी कश्यप मैदान में थी. उनको 23828 वोट मिले थे.
दिलीप कुशवाहा के समर्थकों का कहना है कि चिराग पासवान अगर बागी नहीं होते तो यह सीट जदयू के खाते में होती. चिराग पासवान के बागी होने के कारण यहां पर वोटों का समीकरण खराब हो गया था. वरना यह सीट पक्का निकलना था. बता दें कि जहानाबाद में कोइरी और कुर्मी के वोटों की संख्या 40 हजार से ज्यादा है. जो हार- जीत में निर्णायक साबित होती है.
दलित वोट बैंक पर है किया दावा
पार्टी के सीनियर नेता जय प्रकाश सूर्यवंशी भी इस दफा अपनी दावेदारी पेश करते हुए कहते हैं कि मेरा संबंध पार्टी से संगठन के उदय के साथ से है. जिला में संगठन को हमने ही अपने साथियों के साथ खड़ा किया है. इसलिए मैं भी अपनी दावेदारी पेश करूंगा. जय प्रकाश सूर्यवंशी का कहना है कि जहानाबाद में करीब 60 हजार दलित वोट है. जो कि किसी दूसरी जाति से ज्यादा है. इस कारण मेरी इस सीट पर सबसे ज्यादा दावेदारी बनती है. इसके साथ ही वे कहते हैं कि दलित कोटे से इस सीट पर मेरे अतिरिक्त और किसी ने दावा भी नहीं पेश किया है. इस कारण पार्टी को मेरे संबंध में सोचना चाहिए.
इसी प्रकार से इस सीट पर भूमिहारों ने भी इस बार अपना दावा ठोंका है. पार्टी के दो बड़े कद्दावर नेता अभिराम शर्मा और निरंजन केशव प्रिंस इस रेस में सबसे आगे हैं. इनमें एक नेता को सीएम नीतीश कुमार का करीबी बताया जाता है तो दूसरे पर केंद्रीय मंत्री और पार्टी के सीनियर नेता ललन सिंह का हाथ बताया जाता है. दोनों नेताओं ने इस क्षेत्र में अपनी- अपनी तैयारी शुरू कर दी है. बिहार सरकार के पूर्व मंत्री अभिराम शर्मा 2010 में इस सीट पर विजयी हुए थे.
रतनी ब्लॉक के मिलने पर भूमिहारों का बढ़ा दावा
अभिराम शर्मा को यह वोट तब मिला था जब कांग्रेस के टिकट पर 2010 में राम जतन शर्मा भी मैदान में थे. राम जतन शर्मा को 13239 वोट मिले थे और अभिराम शर्मा को 355008 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर आरजेडी प्रत्याशी सचिदानंद यादव थे. इनको 26941 वोट मिले थे. इसको लेकर जहनाबाद सीट पर पार्टी के अंदर भूमिहार प्रत्याशियों ने भी अपनी दावेदारी पेश किया है.
इनका कहना है कि मकदुम विधान सभा से जब से रतनी ब्लॉक को जहानाबाद विधान सभा सीट में मिलाया गया है तब से इस सीट पर भूमिहार वोटर बढ़ गए हैं. निरंजन केशव प्रिंस का कहना है कि इस सीट पर करीब 40 हजार वोटर हैं. और अगर भूमिहार, ब्राह्मण और राजपूत को मिला दिया जाए तो इस सीट पर करीब 60 हजार वोटर हैं. अपने इस दावे को लेकर दोनों नेता अपने अपने स्तर से दावेदारी पेश कर रहे हैं.
पार्टी फिलहाल इसपर मौन है. पार्टी के जिलाध्यक्ष दिलीप कुशवाहा कहते हैं कि फिलहाल पार्टी की ओर से सभी को संगठन को मजबूत करने का निर्देश दिया गया है. इसलिए हम लोग बूथ से लेकर जिला स्तर पर अपनी कमेटी को मजबूत करने में लगे हैं.