Bihar Elections 2025, कैमूर, विकास कुमार सिंह: पहाड़ी सरहदों के बीच बसा कैमूर का चैनपुर विधानसभा सीट अब तक मंत्री पद के लिये सबसे भाग्यशाली क्षेत्र माना जाता रहा है. इसलिए यहां से टिकट को लेकर भी कई दावेदार सामने आ जाते हैं. कैमूर का यह इकलौता विधानसभा क्षेत्र है जहां से अलग-अलग पार्टियों के चार मंत्री बनाए गए हैं. जिनमें भाजपा के लाल मुनी चौबे, राजद के महाबली सिंह, भाजपा के बृजकिशोर बिंद और बसपा से जदयू में गये मोहम्मद जमां खां का नाम शामिल हैं.
4 पार्टी 4 विधायक और सभी बने मंत्री
मंत्री बनने वाले बीएचयू के छात्रसंघ के नेता लालमुनी चौबे पहली बार 1972 में जनसंघ पार्टी के भगवा ध्वज को लहरा कर विधायक बने थे. वे इस सीट से चार बार विधायक चुने गए और मंत्री भी बनाये गए. हालांकि चार बार इस विधानसभा से चुनाव जीतने वालों में काराकाट लोक सभा के पूर्व सांसद महाबली सिंह का भी नाम है. जो दो बार बहुजन समाज पार्टी और दो बार राजद के टिकट के पर चुनाव जीते थे और मंत्री बनाये गए.
इसी तरह भाजपा के पूर्व विधायक बृज किशोर बिंद ने 2009 का उप चुनाव, 2010 और 2015 का चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाया तो उनको भी सरकार में मंत्री बनाया गया. मंत्री पद के लिये सबसे तेज छलांग लगाने वालों में इस विधानसभा में बसपा से विधायक बने मो. जमा खां का नाम आता है. जो अपने पहली उड़ान में जदयू में शामिल होकर मंत्री पद पा गए. हालांकि जिले से किसी एक विधायक को अधिक बार मंत्री बनने की गणना में रामगढ विधान सभा क्षेत्र के राजद नेता जगदानंद सिंह का नाम है. जो लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की सरकार में 15 सालों तक लगातार मंत्री बने रहे.
नक्सली आंगन के घरौंदे में लोकतंत्र की खुशबू
साल 2005 के पहले इस विधानसभा के वोटों का फैसला बंदूक की नोकों पर हुआ करता था. नक्सली बारूदों की धमक और गमक कर्मनाशा नदी पार कर उत्तर प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ तक सुनी और महसूस की जाती थी. माओवादियों के इस गढ़ में चुनाव कराना जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती हुआ करता था. कभी नक्सली आंगन में फूलने फलने वाले चैनपुर विधानसभा में अब लोकतंत्र की खुशबू महकने लगी है. फिलहाल यह सीट जदयू के खाते में गई है और नीतीश कुमार ने अपने मंत्री मो. जमा खां पर दांव लगाया है. वही, बसपा के धीरज सिंह तथा जनसुराज से हेमंत चौबे की मैदान में उतरने की चर्चा में है.
चैनपुर में कोई भी एक दल नहीं बना सका दबदबा
इस विधानसभा की एक खासियत यह भी है कि चैनपुर विधानसभा में अब तक कोई भी एक दल अपना दबदबा नहीं बना सका है. कभी कांग्रेस ने मजबूती दिखाई, तो बाद में राजद और बसपा ने भी तीन-तीन बार जीत हासिल कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. यहां तक कि जनसंघ, भाजपा और जनता पार्टी भी इस सीट पर जीत का स्वाद चख चुकी हैं. यही कारण है कि आज भी सभी बड़ी पार्टियां चैनपुर को ‘लकी सीट’ मानकर अपने कब्जे में करने की कोशिश में जुटी रहती हैं.
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3 लाख से ज्यादा हैं इस सीट पर वोटर
गौरतलब है कि चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल लगभग 3 लाख 28 हजार से अधिक मतदाता हैं. इनमें ओबीसी वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग और दलित मतदाताओं के साथ साथ जीत हार में पहाड़ के मतदाताओं की भूमिका निर्णायक भूमिका मानी जाती है. ब्राह्मण, राजपूत, राजभर, मुस्लिम, कुर्मी-कोइरी और बिंद जाति की जनसंख्या भी चुनावी संतुलन तय करने में अहम भूमिका निभाती है.
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