Dularchand Yadav: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मोकामा विधानसभा क्षेत्र के घोसवरी इलाके में गुरुवार को दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. इस चौंकाने वाली घटना ने मोकामा के राजनीतिक माहौल को पूरी तरह से गरमा दिया है. अब स्थानीय प्रशसन और चुनाव आयोग के सामने क्षेत्र में कानून और व्यवस्था बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है.
RJD के पुराने सिपाहियों में रह चुके हैं
दुलारचंद यादव की गिनती मोकामा-टाल क्षेत्र के उन गिने-चुने लोगों में होती थी जिनकी क्षेत्रीय राजनीति पर गहरी पकड़ थी. उन्हें एक समय लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाने वाले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेताओं में शामिल किया जाता था. हालांकि, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उन्होंने अपनी दिशा बदल ली थी और जन सुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी उर्फ़ लल्लू मुखिया का खुलकर समर्थन कर रहे थे. क्षेत्र के सामाजिक-जातीय समीकरणों को समझने के लिए उनकी सलाह हमेशा से महत्वपूर्ण रही थी.
बाहुबली पर खुलेआम बयानबाजी का परिणाम
दुलारचंद यादव चुनावी प्रचार में बेहद सक्रिय थे. उनका मुख्य निशाना NDA उम्मीदवार और चर्चित बाहुबली अनंत सिंह थे जिनके विरुद्ध वह सार्वजनिक रूप से बयानबाजी और टिप्पणियां कर रहे थे. अपनी राजनीतिक सक्रियता दर्शाते हुए उन्होंने जन सुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए एक गाना भी रिकॉर्ड करवाया था.
अपनी बोलने की कला और क्षेत्रीय प्रभाव के कारण उन्हें ‘टाल का बादशाह’ भी कहा जाता था. उनके तीखे राजनीतिक बयान, खासकर भाजपा नेतृत्व पर 2022 के दौरान की गई टिप्पणियाँ, उनकी निर्भीक शैली को दर्शाती हैं.
जन सुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी ने लगाया गंभीर आरोप
जब दुलारचंद यादव जन सुराज उम्मीदवार के चुनाव प्रचार काफिले के साथ चल रहे थे. जन सुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी ने इस हत्याकांड के लिए सीधे तौर पर अनंत सिंह के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया है. उनका दावा है कि हमलावरों ने दुलारचंद यादव को पहले लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटा, और उसके बाद उन्हें गोली मार दी. इस घटना ने मोकामा की राजनीति में चल रहे बाहुबलियों के टकराव को और अधिक हिंसक मोड़ दे दिया है.
दुलारचंद यादव का इतिहास विवादों में घिरा रहा
दुलारचंद यादव के राजनीतिक प्रभाव के पीछे एक विवादित इतिहास भी रहा है. मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि 2019 में उन्हें पटना ग्रामीण इलाके में पुलिस द्वारा ‘कुख्यात गैंगस्टर’ बताकर गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा, 2002 की रिपोर्टें उन्हें घोसबरी के आपराधिक-सामाजिक हिंसा नेटवर्क से जोड़ती हैं.
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