Chhapra Vidhan Sabha Seat: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बजने में कभी कुछ महिने का वक्त बाकि है. छपरा विधानसभा सीट पर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. बिहार के सारण जिले की सबसे चर्चित सीटों में शामिल छपरा विधानसभा सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक और सामाजिक दृष्टि से भी बेहद अहम मानी जाती है. शहरी और ग्रामीण इलाकों का मिला-जुला स्वरूप रखने वाली यह सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ रही है, लेकिन बदलते सामाजिक समीकरण और विपक्ष की रणनीतिक सक्रियता ने 2025 के मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
कैसा रहा है छपरा विधानसभा का इतिहास
छपरा सीट का इतिहास राजनीतिक रूप से बेहद अहम रहा है. कभी यह पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन 2015 के चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की. 2010 में भी यह सीट बीजेपी के जनार्दन सिंह के पास गई थी. जबकि 2005 के फरवरी और अक्टूबर में हुए चुनावों में जेडीयू के राम प्रवेश राय ने जीत दर्ज की थी. कुल मिलाकर अब तक इस सीट पर 17 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें कांग्रेस चार बार, बीजेपी, आरजेडी, जेडीयू और निर्दलीय प्रत्याशी दो-दो बार जीत चुके हैं.
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क्या है छपरा सीट का जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो यादव और राजपूत वोटर यहां निर्णायक भूमिका में हैं, जिनकी साझा आबादी करीब 35% है. वहीं, मुस्लिम वोटरों की हिस्सेदारी लगभग 10% है. यह सीट लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि होने के कारण भी खास महत्व रखती है. वोटिंग ट्रेंड पर नजर डालें तो 2000 में सबसे ज्यादा 73% मतदान हुआ था, जबकि 2005 और 2010 में यह आंकड़ा 50% से नीचे चला गया। 2015 में मतदान प्रतिशत में फिर से इजाफा देखा गया.

