Bihar Politics : बिहार में चुनाव जीतने की रणनीति और गुणा भाग अब अपने आखिरी चरण में पहुंच गई है. आज 8 नवंबर की तारीख निकल गई. कल 9 तारीख होगी और शाम से चुनाव प्रचार भी थम जाएगा. 11 तारीख को दूसरे और आखिरी चरण का मतदान भी हो जाएगा. इसके बाद शुरू होगी राजनीति और सत्ता के इर्द गिर्द बने रहने की कवायद. ताकि प्रासंगिकता बनी रहे. इसकी कोशिश और कवायद अब दिखाई भी देने लगी है. आज दूसरे दिन तेज प्रताप यादव और रवि किशन की मुलाकात हुई. जिससे बिहार की राजनीतिक बिसात पर ‘नई चाल’ की आहट पैदा कर दी है.
राजनीति में प्रासंगिकता जरूरी
Bihar Politics : इस मुलाकात के कई मायने हो सकते हैं. लेकिन अहम बात ये है कि राजनीति में प्रासंगिकता हमेशा बनी रहनी चाहिए. आप सत्ता में हैं या नहीं, ये अलग बात है. मगर चर्चा में रहने चाहिए. वैसे तो तेज प्रताप इस खेल में माहिर हैं. अब देखने वाली बात ये होगी कि वो चुनाव के बाद अपनी पहचान कैसे बनाए रखते हैं?
खत्म हो चुकी थी तेज प्रताप की राजनीति!
तेज प्रताप यादव परिवार और पार्टी दोनों से बाहर किए जा चुके हैं. इस चुनाव में यदि वो अपनी पार्टी खड़ी कर चुनाव नहीं लड़े होते तो उनकी प्रासंगिकता भी लगभग खत्म हो चुकी थी. चूंकि, तेज प्रताप को अपनी ही पार्टी से लंबे समय से साइड लाइन किया जा रहा था. ऐसे में पार्टी में उनकी प्रासंगिकता लगभग खत्म हो चुकी थी.
चुनाव लड़ने के फैसले ने तेज प्रताप को दी नई जिंदगी
पार्टी बना कर अकेले चुनाव लड़ने के उनके फैसले ने बिहार की राजनीति में उनकी प्रासंगिकता को एक बार फिर से खड़ा कर दिया. उन्होंने 44 सीटों पर अपनी पार्टी जेजेडी के कैंडिडेट उतारे. जिसका नतीजा ये रहा कि आज उनकी पूछ बची हुई है. इस चुनाव के बाद वो कितनी सीटें जीतते हैं? उन्हें चुनाव से कितनी सफलता मिलती है! ये तो अलग बात होगी. मगर, चुनाव बाद भी राजनीति में उनके महत्व और पूछ के लिए उनका चुनाव लड़ना महत्वपूर्ण था.
महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं रवि किशन
माना जा रहा है, तेज प्रताप का अगला कदम इसी को ध्यान में रखकर होगा. तेज प्रताप और रवि किशन की लगातार दो दिनों से हो रही मुलाकात कई मायने में खास मानी जा रही है. जैसा कि तेज प्रताप यादव पहले भी इस बात का इशारा दे चुके हैं कि, ‘रवि किशन और वो दोनों ही टीका लगाते हैं. दोनों ही महादेव के भक्त हैं.’ ऐसे में तेज प्रताप यादव की प्रासंगिकता बनाए रखने में रवि किशन अहम भूमिका निभा सकते हैं.
19 सेकेंड रहे काफी अहम
आज की मुलाकात के दौरान तेजप्रताप और भाजपा के गोरखपुर से सांसद रवि किशन के बीच केवल 19 सेकेंड बातचीत हुई. जो मीडिया के कैमरे में कैद है. मगर, ये 19 सेकेंड के मुलाकात काफी अहम रही. रवि किशन और तेज प्रताप ने इस दौरान जितनी बात कही, वो राजनीति के लिहाज से बेहद खास थी. आइए अब उसी बात को समझते हैं.
‘ऐके कहल जा ला महादेव के जोड़ा’
रवि किशन ने बनारसी में कहा, ‘ऐके कहल जा ला महादेव के जोड़ा.’ रवि किशन के इस लाइन का सीधा अर्थ ये है कि भगवान भोले नाथ भी चाहते हैं कि हम दोनों लोग साथ आएं. इसके बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप यादव ने कहा, ‘संजोग से हमारी मुलाकात कल भी हुई और आज भी हुई’. इस दौरान रवि किशन उत्साहित नजर आए और उन्होंने दूसरी महत्वपूर्ण लाइन भी कह डाली.
क्या ‘संगे संखनाद होई…?’
रवि किशन ने फिर उसी अंदाज में कहा, ‘महादेव के शंखनाद संगे होई.’ बनारसी में रवि किशन ने तेज प्रताप को सीधे- सीधे दे बीजेपी में आने का ऑफर दे डाला है. यानी सीधे शब्दों में कहें तो, ‘उन्हें बीजेपी के साथ आकर महादेव की इच्छा पूरी करनी चाहिए.’ दरअसल, बिहार में एनडीए की स्थिति मजबूत नजर आ रही है. तेज प्रताप को अकेले चुनाव लड़कर बहुत ज्यादा फायदा नहीं होने वाला. ऐसे में तेज प्रताप को साथ आकर शंखनाद करना चाहिए. ‘संगे संखनाद होई’ कहने का सीधा अर्थ ये है कि अब 14 तारीख को चुनाव के नतीजे आएंगे. इस दौरान वो भाजपा के साथ आकर शंखनाद करें.
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