Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझान आते ही राज्य की राजनीति में कई दिग्गजों की साख दांव पर लग गई है. इनमें सबसे बड़ा झटका उन नेताओं को लगा है, जिन पर चुनाव से पहले सुर्खियों का केंद्र बने रहने का दबाव था. जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर और वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी उन्हीं चेहरों में शामिल हैं. जिनके लिए यह चुनाव किसी सियासी हादसे से कम साबित नहीं हुआ है.
प्रशांत किशोर ने जनसुराज को बताया था गेम चेंजर
चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी को बिहार की राजनीति का ‘गेम चेंजर’ बताया था. कई राजनीतिक विश्लेषकों ने भी उन्हें त्रिकोणीय मुकाबले का महत्वपूर्ण दावेदार माना था. खासकर पटना की कुम्हरार सीट और रोहतास के करगहर पर पीके का दावा बेहद मजबूत माना जा रहा था. लेकिन मतगणना के शुरुआती रुझानों ने सभी अपेक्षाओं को ध्वस्त कर दिया है.
जनसुराज की एक भी सीट पर बढ़त नहीं
जनसुराज पार्टी बिहार की 243 सीटों में से एक भी सीट पर आगे नहीं है. एक सारण जिले के मढ़ौरा सीट छोड़ अधिकांश सीटों पर पार्टी तीसरे या चौथे स्थान पर सिमटी नजर आ रही है. मढ़ौरा में राजद के जितेंद्र राय को जनसुराज के अभय सिंह कड़ी टक्कर दे रहे हैं. कुम्हरार, जिसे पीके का संभावित गढ़ माना गया था, वहां भी पार्टी तीसरे स्थान पर है.
क्या प्रशांत किशोर छोड़ देंगे राजनीति?
प्रशांत किशोर के चुनाव से पहले दिए गए बयानों ने अब सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है. पीके ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 25 से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी और यदि ऐसा हुआ, तो वह राजनीति छोड़ देंगे. अब रुझानों में एनडीए, जिसमें जेडीयू भी शामिल है, मजबूती से बहुमत की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में यह सवाल तेज हो गया है कि क्या पीके अपने वादे पर कायम रहेंगे?
मुकेश सहनी की पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका
दूसरी ओर, महागठबंधन की स्थिति भी बेहद कमजोर दिख रही है. वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी, जिन्हें महागठबंधन ने उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया था, उनकी पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका है. यह प्रदर्शन सहनी की राजनीतिक पकड़ और भविष्य के नेतृत्व पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है.

