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बरेली की हवा में ऑक्सीजन की कमी, AQI खराब स्थिति में, दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में यूपी के 9 जिले…

बरेली का एक्यूआई खराब स्थिति में है. इसमें शहर के सिविल लाइंस का एक्यआई 164, राजेंद्रनगर का एक्यूआई 168, सुभाषनगर का 142 है. इसके साथ ही पीएम 2.5 सिविल लाइंस का 81, राजेंद्र नगर का 88, और सुभाषनगर का 52 है, जो काफी बताया जा रहा है.

Bareilly: उत्तर प्रदेश के बरेली की हवा से ऑक्सीजन काफी कम हो गई है. यहां की हवा को भी ऑक्सीजन की जरूरत है. बरेली की हवा का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 158 है, जो सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है. बरेली का एक्यूआई काफी दिनों से खराब स्थिति में है, जो सही नहीं हो रहा है. बरेली के साथ ही यूपी के नोएडा, मेरठ, गाजियाबाद, कानपुर, फतेहपुर आदि जिलों का एक्यूआई काफी बढ़ गया है. इसके चलते यह जिले दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों की सूची में शमिल हो गए हैं, जो काफी चिंताजनक है.

प्रदूषण को लेकर शहरों की स्थिति

दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में यूपी का गाजियाबाद 20वें नंबर पर है. यहां का एक्यूआई 351 है. नोएडा 25 वें नंबर पर है. यहां का एक्यूआई 336, कानपुर 29 वें नंबर पर है. यहां का एक्यूआई 331, फतेहपुर 30वें नंबर पर है, यहां का एक्यूआई 330 है. शनिवार रात मेरठ दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में दूसरे स्थान पर था. मगर, सुबह तक काफी सुधार हुआ है. जिसके बाद रविवार सुबह मेरठ का एक्यूआई 316 रहा, जो 56 वें नंबर पर है. सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, आगरा आदि जिले भी खराब स्थिति में हैं.

बढ़ रहा है बरेली का एक्यूआई

बरेली का एक्यूआई भी काफी बढ़ रहा है. शनिवार रात से रविवार दोपहर तक 158 था, जो सेहत के लिए खराब है. बरेली में खराब सड़क, कुतुबखाना ओबरब्रिज निर्माण, वाहनों का जाम, और अलाव के कारण एक्यूआई बढ़ रहा है.

शहर के सुभाषनगर और सिविल लाइंस की हवा सबसे खराब

बरेली का एक्यूआई खराब स्थिति में है. इसमें शहर के सिविल लाइंस का एक्यआई 164, राजेंद्रनगर का एक्यूआई 168, सुभाषनगर का 142 है. इसके साथ ही पीएम 2.5 सिविल लाइंस का 81, राजेंद्र नगर का 88, और सुभाषनगर का 52 है, जो काफी बताया जा रहा है. शहर का पीएम 10 सिविल लाइंस का 93, राजेंद्र नगर का 154, और सुभाषनगर का 100 हो गया है. बरेली शहर की हवा का एक्यूआई बढ़ने से हवा जहरीली हो गई है. अगर, यही हालत रही तो बरेली का एक्यूआई मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और दिल्ली की स्थिति में आ जाएगा.

इतनी होनी चाहिए ऑक्सीजन

हवा में सबसे अधिक मात्रा नाइट्रोजन की होती है. नाइट्रोजन गैस 78 प्रतिशत होती है, उसके बाद ऑक्सीजन का लगभग 21 प्रतिशत होता है. श्वसन रंजक (हीमोग्लोबिन), जो लाल रक्त कोशिकाओं में होता है, फेफड़ों में पहुंची हुई वायु में से ऑक्सीजन लेता है. वे ऑक्सीजन को उन ऊतकों तक ले जाते हैं, जहां ऑक्सीजन की कमी है.

इससे कम ऑक्सीजन नुकसानदायक

मनुष्य को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इसकी कमी से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगते हैं. सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत होना चाहिए. इसके नीचे जाने से नुकसान होता है.

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घर से निकलते वक्त लगाएं एन-95 मास्क

शहर का एक्यूआई बढ़ने से बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है. ऐसे में घरों से निकलने में एहतियात बरतने की जरूरत है. लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है. डॉक्टर एन- 95 मास्क लगाकर घर से निकलने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि, बरेली में सांस के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.

सांस, अस्थमा के बढ़े मरीज

एक्यूआई बढ़ने से सांस की बीमारी और अस्थमा हो सकता है. इसलिए फेफड़ों की मजबूती के लिए भुजंगासन यानी कोबरा योग करें. इस योग के अभ्यास से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं. धनुरासन योग भी अच्छा है. इससे फेफड़े साफ होते हैं. सुखांगसन योग से फेफड़ों के कार्य को बढ़ावा मिलता है. एक्यूआई बढ़ने से बरेली में सांस, और अस्थमा के मरीज बढ़ रहे हैं.

रिपोर्ट मुहम्मद साजिद, बरेली

Prabhat Khabar News Desk
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