Car Tips: जब आपकी कार को बेहतर बनाए रखने की बारी आती है, तो यह बेहद तकलीफदेह होता है कि कभी-कभी सर्विसिंग सेंटर ही ग्राहकों से अतिरिक्त पैसा वसूलने के लिए अनावश्यक सेवाएं, झूठे रिपेयर, या प्रेशर-सेल टेक्निक का सहारा लेते हैं. ऐसे में जानना कि आम तौर पर ये धोखे कहां पर होते हैं और उनसे बचने के उपाय क्या हैं- बहुत काम का हो सकता है.
आम धोखेबाजियां जो सर्विस सेंटर करते हैं
अनावश्यक सेवाओं का सुझाव देना
कई सर्विस सेंटर इंजन डिकार्बोनाइजेशन, फ्यूल इंजेक्टर क्लीनिंग जैसे महंगे, लेकिन अक्सर जरूरी नहीं होने वाले काम बैलेंस-सेट कर करवा देते हैं. उदाहरण के लिए, आधुनिक कार में डिकार्बोनाइजेशन की जरूरत आमतौर पर बहुत कम होती है, पर फिर भी यह हर सर्विस में थोप दी जाती है, जिससे ₹1,800 तक का अतिरिक्त खर्च हो सकता है.
पुरानी या नकली पार्ट्स को नए बताकर लगाना
कुछ मामलों में सर्विसिंग सेंटर ग्राहकों को पुरानी या घटिया क्वालिटी की पार्ट्स ही लगा देते हैं, लेकिन नए की कीमत वसूलते हैं. यह उसी AARP स्टडी में भी सामने आया कि 50% ग्राहकों ने कहा कि उन्हें ऐसी सेवाएं बेची गई जो वास्तविक नहीं थीं, 11% ने बताया कि पुराने पार्ट्स का नाम नए के रूप में लिया गया.
टाइम और लेबर चार्ज बढ़ा-चढ़ाकर देना
कुछ मैकेनिक काम को जानबूझकर लंबा करके बताए गए समय से अधिक चार्ज कर देते हैं – एक सरल ऑपरेशन में घंटों का बिल दे देना ग्रैवी वर्क कहलाता है, जो ग्राहकों को आर्थिक रूप से नुक़सान पहुंचाता है.
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कैसे बचें इन धोखों से – कार बचाव टिप्स
अपनी कार का मैन्युअल पढ़ें. यह आपको बताएगा कि कौन-सी सर्विस की जरूरत कब है.
नई सर्विस सेंटर का छोटा टेस्ट करें. पहले एक सादा काम जैसे ऑइल चेंज करवाएं – इससे उनकी विश्वसनीयता का अंदाजा लग जाता है.
बिलिंग में पारदर्शिता मांगें. पार्ट्स और लेबर के अलग-अलग बिल मांगें और यदि कोई स्पेयर कहा गया है, तो पुराना हिस्सा खुद देखें या वापस लें.
अन्य सर्विस सेंटर से दूसरी राय लें. यदि चार्ज कई गुना अधिक लगे, तो दूसरी जगह सर्विस करवाना फायदे में रहेगा.
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