28.6 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

प्रवचन:::: मन एकाग्र कर सर्वोच्च चेतना का अनुभव करें

आज्ञा का तत्व तथा कर्मेन्द्रिय मन (मनस) है. रजत वर्ण का दो दलों वाला कमल इसका प्रतीक, यंत्र सुस्पष्ट वृत्त, ऊं बीज मंत्र तथा वाहन अनवरत नाद है.आज्ञा-साधना: प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सभी यौगिक साधनाओं का प्रमुख लक्ष्य आज्ञा चक्र का जागरण है. मोमबत्ती पर त्राटक, चिदाकाश धारणा तथा शांभवी मुद्रा के अभ्यास द्वारा […]

आज्ञा का तत्व तथा कर्मेन्द्रिय मन (मनस) है. रजत वर्ण का दो दलों वाला कमल इसका प्रतीक, यंत्र सुस्पष्ट वृत्त, ऊं बीज मंत्र तथा वाहन अनवरत नाद है.आज्ञा-साधना: प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सभी यौगिक साधनाओं का प्रमुख लक्ष्य आज्ञा चक्र का जागरण है. मोमबत्ती पर त्राटक, चिदाकाश धारणा तथा शांभवी मुद्रा के अभ्यास द्वारा आज्ञा चक्र तथा भ्रूमध्य की स्थिति का पता लगाया जा सकता है तथा उसकी संवेदना को विकसित किया जा सकता है, परंतु इस हेतु नियमित अभ्यास की आवश्यकता है. शांभवी मुद्रा: ध्यान के किसी भी आसन में बैठकर आंखें बंद कीजिये तथा पूरे शरीर को शिथिल कीजिये. सामने की ओर स्थिर बिंदु को देखिये, फिर बिना सिर हिलाये धीरे-धीरे दृष्टि को अधिक से अधिक उठाइये. नेत्रों को भ्रूमध्य पर स्थिर कीजिये तथा वहां मन को एकाग्र करते हुये सर्वोच्च चेतना का अनुभव कीजिये. यह सर्वोच्च चेतना आपका आंतरिक गुरु है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें