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पुतिन की गैस पर ब्रिटेन का प्रहार! रूसी LNG एक्सपोर्ट में मदद करने वाली कंपनियों पर लगा बैन, थर्राया मॉस्को

UK To Ban British Shipping And Insurance For Russian LNG Exports: ब्रिटेन ने रूस की LNG एक्सपोर्ट में मदद करने वाली शिपिंग और बीमा कंपनियों पर बैन लगाने का ऐलान किया है. यह कदम रूस की गैस कमाई पर चोट और यूक्रेन को समर्थन देने की दिशा में बड़ा फैसला माना जा रहा है.

UK To Ban British Shipping And Insurance For Russian LNG Exports: रूस पर एक और बड़ा झटका देने की तैयारी में ब्रिटेन है. Politico की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार अब अपने ही शिपिंग और बीमा कंपनियों पर बैन लगाने जा रही है जो रूस की लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) को दुनिया के बाजारों तक पहुंचाने में मदद कर रही थीं. यह कदम ब्रिटेन की विदेश मंत्री यवेट कूपर ने मंगलवार को G7 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान कनाडा के नायग्रा में घोषित किया. इस फैसले का मकसद है कि रूस की ऊर्जा कमाई को रोकना, जिससे वह यूक्रेन के खिलाफ अपनी जंग को जारी रख पा रहा है.

UK To Ban British Shipping And Insurance For Russian LNG Exports: पहले आयात पर लगा था बैन 

ब्रिटेन ने साल 2023 में ही रूस से LNG आयात करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन Politico के मुताबिक, कई ब्रिटिश कंपनियां अब भी रूसी गैस से जुड़े टैंकरों को समुद्री और बीमा सेवाएं दे रही थीं. अब इस पर भी रोक लगाने की तैयारी है. यह नया बैन 2026 से धीरे-धीरे लागू होगा और इसे यूरोपीय संघ (EU) के साथ मिलकर लागू किया जाएगा. ब्रिटेन के Foreign, Commonwealth and Development Office (FCDO) के अनुसार, यह फैसला EU के नए सैंक्शन पैकेज के अनुरूप है, जिसके तहत 1 जनवरी 2027 से रूस की LNG आयात पर पूरी तरह रोक लग जाएगी. छोटे सौदों पर यह प्रतिबंध इससे पहले भी लागू हो सकता है.

ब्रिटिश कंपनी पर आरोप

रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की कंपनी Seapeak Maritime Glasgow Ltd ने रूस के यमाल LNG टर्मिनल से 2025 की पहली छमाही में करीब चार मिलियन टन LNG के परिवहन में मदद की थी. यह उस दौरान रूस से हुए कुल LNG शिपमेंट का करीब 39 फीसदी हिस्सा था. यह यमाल टर्मिनल रूस के साइबेरिया में स्थित है और यूरोप को गैस सप्लाई करने का प्रमुख केंद्र माना जाता है. इस प्रोजेक्ट में फ्रांस की बड़ी ऊर्जा कंपनी TotalEnergies की भी हिस्सेदारी है.

टोटल एनर्जी का बचाव

Politico की रिपोर्ट में बताया गया है कि TotalEnergies की ब्रिटेन शाखा देश के सार्वजनिक क्षेत्र को गैस सप्लाई करती है. इस कॉन्ट्रैक्ट की कीमत करीब 8 अरब पाउंड है. हालांकि कंपनी का कहना है कि वह गैस यूके के घरेलू बाजार से खरीदती है, जहां रूसी गैस की मौजूदगी बहुत कम है. कंपनी ने यह भी साफ किया कि वह यूके के LNG आयात प्रतिबंधों का पालन कर रही है और किसी तरह के कानून का उल्लंघन नहीं कर रही.

यूक्रेन की कार्यकर्ता का बयान

यूक्रेन की संस्था Razom We Stand की संस्थापक और कार्यकारी निदेशक स्वेतलाना रोमानको (Svitlana Romanko) ने ब्रिटेन के इस कदम की सराहना की. उन्होंने कहा कि जब यूक्रेन पर रोज मिसाइल और ड्रोन से हमले हो रहे हैं, ऐसे में ब्रिटिश सरकार का यह फैसला देर से आया है, लेकिन बहुत जरूरी है. रूस की LNG एक्सपोर्ट में ब्रिटेन की समुद्री सहायता पर रोक लगाना पुतिन की युद्ध मशीन की कमाई को खत्म करने का एक बड़ा कदम है.”

ब्रिटेन सरकार ने यूक्रेन की ऊर्जा संरचना को बहाल करने के लिए 13 मिलियन पाउंड की अतिरिक्त मदद देने की भी घोषणा की है. रूस के लगातार हमलों से यूक्रेन की बिजली और ऊर्जा व्यवस्था बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है. ब्रिटेन का यह कदम केवल प्रतिबंध नहीं, बल्कि यूक्रेन को आर्थिक और तकनीकी मदद का भी संकेत है.

पहले भी रूस की “शैडो फ्लीट” पर कार्रवाई

यह पहली बार नहीं है जब ब्रिटेन ने रूस की ऊर्जा सप्लाई चेन पर हमला किया है. 13 जून 2024 को ब्रिटेन ने पुतिन की “शैडो फ्लीट” पर प्रतिबंध लगाया था. यह वही जहाजों का नेटवर्क था जो गुप्त रूप से रूसी तेल को दुनिया भर में पहुंचाकर G7 और ब्रिटेन के प्रतिबंधों को दरकिनार करने की कोशिश कर रहा था. इन कदमों से ब्रिटेन ने रूस के तेल और गैस व्यापार को महंगा और मुश्किल बना दिया. इस अभियान का लक्ष्य रूस की छिपी हुई सप्लाई चेन को बाधित करना था ताकि वह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बच न सके.

ब्रिटेन के इन सैंक्शन्स में सिर्फ तेल और जहाज ही नहीं, बल्कि रूस की सैन्य सप्लाई चेन से जुड़ी कंपनियां भी निशाने पर आईं. इनमें चीन, इजरायल, किर्गिस्तान और तुर्की की कुछ कंपनियां शामिल थीं, जो रूस को मशीन टूल्स, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, गोला-बारूद और लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया करा रही थीं. यहां तक कि उत्तर कोरिया से रूस को हथियार ले जाने वाले जहाजों पर भी ब्रिटेन ने पाबंदी लगाई थी.

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Govind Jee
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गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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