Turkey Blocks India Apache Helicopter Delivery: भारतीय सेना को उस वक्त झटका लगा जब तुर्की ने भारत के लिए जा रहे अमेरिकी AH-64E अपाचे अटैक हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी रोक दी. तुर्की ने हेलिकॉप्टर लेकर जा रहे मालवाहक विमान को अपने हवाई क्षेत्र से गुजरने की इजाजत नहीं दी. नतीजा यह हुआ कि विमान को बीच रास्ते से ही लौटना पड़ा और डिलीवरी फिलहाल टल गई. इससे पहले से ही देरी झेल रही भारतीय सेना को अब और इंतजार करना पड़ेगा.
Turkey Blocks India Apache Helicopter Delivery: क्या हुआ था असल में?
अमेरिका के एरिजोना के मेसा स्थित बोइंग प्लांट से तीन AH-64E अपाचे हेलिकॉप्टर भारत के लिए रवाना किए गए थे. इन्हें एक रूसी कंपनी द्वारा संचालित एंटोनोव An-124 भारी मालवाहक विमान में लाया जा रहा था. यह विमान इंग्लैंड के ईस्ट मिडलैंड एयरपोर्ट पर ईंधन भरने के लिए रुका था, लेकिन वहां से उड़ान भरने के बाद इसे तुर्की के रास्ते भारत पहुंचना था. यहीं से मामला उलझ गया. द डिफेंस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की ने विमान को अपने हवाई क्षेत्र से गुजरने की इजाजत देने से साफ मना कर दिया.
एंटोनोव एयरलाइंस का एक एएन-124 मालवाहक विमान तीन अपाचे लेकर अमेरिका से भारत के लिए रवाना हुआ था लेकिन बिना किसी स्पष्टीकरण के अमेरिका वापस लौट आया. एविएशन ट्रैकर @KiwaSpotter ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बताया कि An-124 मालवाहक विमान (सीरियल UR-82008) जर्मनी के लाइपजिग एयरबेस से उड़ा और 30 अक्टूबर को अमेरिका के एरिजोना स्थित मेसा गेटवे एयरपोर्ट पर पहुंचा. पूरा घटनाक्रम प्लेन स्पॉटर्स, एविएशन प्रेमियों और ओएसआईएनटी विश्लेषकों ने ट्रैक किया.
The 3 Indian Army Apaches were returned back to KIWA today by the same An-124 that picked them up.
— KIWA Spotter (@KiwaSpotter) November 9, 2025
They never made it to India and instead spent 8 days at East Midlands Airport (EMA) in the UK before the An-124 brought them back. https://t.co/qgYgkhi8HH
बोइंग के प्रवक्ता ने ‘ द वॉर जोन’ को बताया था कि कुछ “लॉजिस्टिक दिक्कतों” की वजह से शिपमेंट रुक गई, लेकिन उन्होंने ज्यादा जानकारी नहीं दी. इसके बाद विमान को मजबूरन अमेरिका लौटना पड़ा. न तो अमेरिकी रक्षा विभाग और न ही बोइंग ने तुर्की का नाम लिया, लेकिन दोनों ने “बाहरी लॉजिस्टिक समस्या” को वजह बताया. वहीं द डिफेंस न्यूज के अनुसार, भारतीय रक्षा सूत्रों के मुताबिक यह फैसला जानबूझकर लिया गया राजनीतिक कदम था. इसका मकसद भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों में अड़चन डालना था. हालांकि भारत के तरफ से अभी तर इस मुद्दे पर कोई अधिकारीक बयान नहीं आया है.
भारत-अमेरिका का अपाचे सौदा
भारत ने 2020 में छह AH-64E अपाचे अटैक हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए 600 मिलियन डॉलर (करीब 5,000 करोड़ रुपये) की डील की थी. यह सौदा अमेरिकी कंपनी बोइंग के साथ हुआ था. पहला बैच यानी तीन हेलिकॉप्टर जुलाई 2025 में भारत पहुंचे, जिन्हें जोधपुर एयरबेस पर सेना में शामिल किया गया. दूसरा बैच नवंबर 2025 तक आने वाला था, जिससे भारतीय सेना की पहली अपाचे स्क्वाड्रन पूरी हो जाती. गौर करने वाली बात यह है कि भारतीय वायुसेना पहले ही 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों का संचालन कर रही है, जिन्हें 2015 के समझौते में खरीदा गया था.
AH-64E- सबसे ताकतवर अटैक हेलिकॉप्टर
AH-64E अपाचे हेलिकॉप्टर को दुनिया के सबसे एडवांस अटैक हेलिकॉप्टरों में गिना जाता है. इसमें अत्याधुनिक सेंसर, हथियार प्रणाली और नेटवर्किंग तकनीक है. यह हेलिकॉप्टर दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को निशाना बनाने के साथ-साथ ऊंचे और कठिन इलाकों में भी काम कर सकता है. लद्दाख जैसे सीमाई इलाकों में इसकी मौजूदगी भारतीय सेना के लिए काफी अहम बढ़त मानी जाती है.
क्यों मायने रखता है तुर्की का यह कदम
भारत के लिए तुर्की का यह फैसला सिर्फ एयरस्पेस की मंजूरी न देना नहीं है. यह एक राजनीतिक संदेश है. बीते कुछ सालों में तुर्की और पाकिस्तान के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन लगातार कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देते आए हैं. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) जैसे मंचों पर बार-बार कश्मीर का मुद्दा उठाया है. एक वरिष्ठ भारतीय रणनीतिक मामलों के जानकार के मुताबिक, “तुर्की की यह कार्रवाई कोई गलती नहीं थी. यह एक सोच-समझकर उठाया गया कदम था ताकि पाकिस्तान को खुश किया जा सके और यह दिखाया जा सके कि तुर्की अब भी मुस्लिम देशों में नेतृत्व की भूमिका निभाना चाहता है.”
पाकिस्तान और तुर्की की दोस्ती
तुर्की और पाकिस्तान की दोस्ती सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है, बल्कि सैन्य और राजनीतिक स्तर पर भी मजबूत है. तुर्की ने हाल के वर्षों में पाकिस्तान को ड्रोन, कोर्वेट जहाज और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम मुहैया कराए हैं. दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त सैन्य अभ्यास भी करती हैं. एर्दोगन की कोशिश रही है कि वे खुद को मुस्लिम दुनिया का नेता साबित करें. इसीलिए वह पाकिस्तान जैसे देशों के साथ खड़े होकर पुराने उस्मानिया साम्राज्य जैसी भूमिका निभाने का सपना देख रहे हैं.
भारत-तुर्की रिश्ते पहले से ही ठंडे
भारत और तुर्की के रिश्ते पिछले कुछ सालों में काफी खराब हुए हैं. मई 2025 में हुए चार दिन के भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया था. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में कार्रवाई की थी, लेकिन तुर्की ने इस ऑपरेशन की आलोचना की और पाकिस्तान को ड्रोन समेत सैन्य मदद दी. इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए.
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