Why UAE Sank 3 ships intentionally: पर्यावरण की रक्षा करने के लिए पूरी दुनिया प्रतिबद्ध है. प्रकृति में मौजूद हर वह संसाधन, जिससे इंसान और उसका वातावरण और पर्यावरण प्रभावित हो रहा है, उसकी सुरक्षा के लिए सरकार और मनुष्य व्यक्तिगत तौर पर पूरा प्रयास कर रहा है. समुद्र, पहाड़, नदी, मरुस्थल, जंगल, जानवर सभी के लिए युनाइटेड नेशन और अन्य संस्थाएं पूरा प्रयास कर रहे हैं. इसी कड़ी में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अपनी पूर्वी तटरेखा के पास तीन जहाजों इंचकेप 1, इंचकेप 2 और इंचकेप 10 को जानबूझकर समुद्र में डुबो दिया था. आखिर अरब जगत के इतने जिम्मेदार, समझदार और अमीर देश ने ऐसा कदम क्यों उठाया था. क्या है इसके पीछे पर्यावरणीय प्रभाव? इससे किसकी रक्षा होगी? यह पहल यूएई की पर्यावरण संतुलन और टिकाऊ पर्यटन के प्रति प्रतिबद्धता को दिखाती है!
क्यों डुबोए गए थे ये जहाज?
यह कोई दुर्घटना नहीं थी बल्कि एक सोच-समझकर लिया गया कदम था. 2001, 2002 और 2003 में प्रत्येक साल यूएई ने इन जहाजों को डुबोया. इसका मकसद समुद्र में कृत्रिम रीफ (Artificial Reefs) तैयार करना था, समुद्री संरक्षण को बढ़ावा देना और इको-टूरिज्म (पर्यावरण पर्यटन) को विकसित करना है. ये जहाज अब रंग-बिरंगी समुद्री जिंदगियों से भर चुके हैं. दुनियाभर के डाइवर्स इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं. ये जहाज अब प्राकृतिक कोरल रीफ की तरह समुद्री जीवन को सहारा देते हैं. समय के साथ ये जहाज अब जीवंत समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र बन गए हैं, जहां मछलियों और दूसरे जीवों की भरमार है.
ये कृत्रिम रीफ न सिर्फ समुद्री जैव विविधता को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं, बल्कि यूएई के लिए एक कमाई का जरिया बन रहे हैं. गोताखोरों के लिए यह एक शानदार अंडरवाटर अनुभव प्रदान करते हैं. यूएई का यह कदम समुद्री प्रदूषण, कोरल के नष्ट होने और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के लिए एक शानदार उदाहरण बन कर उभरा है. इन डूबे जहाजों का इस्तेमाल पहले हो चुका था, लेकिन अब ये समुद्र में नए घर बन गए हैं, जो इस बात का उदाहरण कि जिम्मेदार प्रबंधन से पर्यावरण को फिर से जिंदा किया जा सकता है.
इंचकेप 1: अल अका का डाइविंग स्वर्ग
इंचकेप 1 को 2001 में फुजैरा (Fujairah) के पास अल अका तट से लगभग 32 मीटर गहराई में डुबोया गया था. अब यह जहाज एक अंडरवाटर शहर जैसा बन चुका है, जहां लाल स्नैपर, कार्डिनल फिश और कई तरह की मछलियां रहती हैं. यह जहाज एक समृद्ध समुद्री आवास (marine habitat) में बदल गया है. इस जगह पर नाव से सिर्फ पांच मिनट में पहुंचा जा सकता है.
इंचकेप 2: खोर फक्कान का समृद्ध रीफ
इंचकेप 2 को 2002 में खोर फक्कान (Khor Fakkan) के तट से लगभग 22 मीटर गहराई में डुबोया गया था. यह जगह अब क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय डाइविंग स्पॉट्स में से एक बन चुकी है. यहां के कृत्रिम रीफ में अब पैरटफिश, मोरे ईल, बॉक्सफिश, लोंग-टेल रे और बराकुडा (barracuda) जैसे कई समुद्री जीव पाए जाते हैं. अल अका से यह करीब 25 मिनट की दूरी पर है. हालांकि इस जगह पर पहुंचने के लिए लाइसेंस प्राप्त डाइविंग सेंटर के जरिए ही पहुंच सकते हैं, क्योंकि सुरक्षा और पर्यावरण नियमों का यहां सख्ती से पालन होता है.
इंचकेप 10: फुजैरा का समुद्री अजूबा
तीनों में से सबसे खास है इंचकेप 10, जिसे पहले ‘अवाइज’ Awaiz के नाम से जाना जाता था. इसे 2003 में फुजैरा के पास लगभग 23 मीटर गहराई में डुबोया गया था. यह अब तक का सबसे बड़ा जहाज है जिसे यूएई ने जानबूझकर कृत्रिम रीफ में बदलने के लिए डुबोया. यहां मोरे ईल, बराकुडा और कई अन्य समुद्री जीव पाए जाते हैं. यह फुजैरा इंटरनेशनल मरीन क्लब से केवल 8 मिनट की दूरी पर है.
यूएई ने इको टूरिज्म के अपने नियम काफी सख्त बनाए हैं, इसीलिए यह सफल है. यहां भी केवल लाइसेंस प्राप्त डाइविंग सेंटरों के जरिए ही जाया जा सकता है. इस स्थान को बेहद आकर्षक माना जाता है. यह डाइविंग साइट पूरे साल खुली रहती है.
पहल का असर: समुद्री संतुलन और पर्यावरण संरक्षण
इन क्षेत्रों के विशेषज्ञ बताते हैं कि इन जहाजों के डूबने से इस इलाके की समुद्री दुनिया पूरी तरह बदल गई है. यह बहुत सुंदर जगह है और मछलियों व कोरल की संख्या देखकर हैरानी होती है. इंचकेप 2 जैसे स्थानों पर समुद्री जीवन का संतुलन बहुत अच्छा है. यहां पर शार्क भी आती हैं, हालांकि शार्क कभी भी किसी जगह को यूं ही नहीं चुनतीं. यहां पर कछुए भी आते हैं, क्योंकि उन्हें सुरक्षा और पर्याप्त भोजन महसूस होता है. ये कृत्रिम रीफ अब एक स्वस्थ और संतुलित समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बन चुके हैं.
क्या यह समुद्र के लिए बुरा है?
बिलकुल नहीं. सही मायने में ये डुबाए गए शिप अब सोना हैं. यह कदम समुद्र के लिए फायदेमंद साबित हुआ. क्योंकि ये जहाज साफ किए गए, सेवा से हटाए गए और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से डुबोए गए थे. अब ये जहाज समुद्री जीवों के लिए नया घर बन गए हैं, जिससे समुद्र का पारिस्थितिक संतुलन सुधर रहा है और स्थानीय डाइविंग पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है. यूएई ने जो किया, वह न केवल समुद्र के लिए अच्छा है बल्कि पर्यावरण-सुरक्षा और टिकाऊ पर्यटन का शानदार उदाहरण भी है. भारत ने भी इस दिशा में पहला कदम तमिलनाड़ु में मन्नार की खाड़ी में बढ़ाया था. ताजा प्रयोग के तहत भारतीय सेना के INS गुलदार के रिटायर होने के बाद महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में भारत ने पहला अंडरवाटर म्यूजियम और कृत्रिम कोरल रीफ विकसित करने का निर्णय लिया है.
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