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न्यूक्लियर बम बनाने से महंगा है टेस्ट करना, निकलता है इतना कचरा कि भर जाए ओलिंपिक के 80 से ज्यादा स्विमिंग पूल

Nuclear Test Cost: अमेरिका के हैनफोर्ड न्यूक्लियर साइट पर 23 साल की मेहनत और 30 अरब डॉलर खर्च होकर न्यूक्लियर कचरा का निपटान शुरू हुआ है. जानिए न्यूक्लियर बम बनाने और टेस्टिंग की असली लागत, कितना कचरा पैदा होता है. ट्रंप के नए न्यूक्लियर टेस्ट ऐलान से कैसे फिर से हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है.

Nuclear Test Cost: अमेरिका के हैनफोर्ड न्यूक्लियर साइट से 5 नवंबर को पहली बार कांच में बंद किया गया रेडियोएक्टिव कचरा (vitrified nuclear waste) इंटीग्रेटेड डिस्पोजल फैसिलिटी में ले जाया गया. यह कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं थी. इस काम को पूरा करने में 23 साल लगे और लगभग 30 अरब डॉलर खर्च हुए. कभी यही हनफोर्ड साइट अमेरिका के न्यूक्लियर हथियार प्रोग्राम का सबसे अहम हिस्सा थी. आज यह जगह अपने द्वारा पैदा किए गए जहरीले कचरे की सफाई में जुटी है. यहां भेजे गए कंटेनरों में कम-रेडियोएक्टिव कचरा है, लेकिन असल समस्या अभी भी बहुत बड़ी है.

Nuclear Test Cost: मैनहैटन प्रोजेक्ट और न्यूक्लियर बम बनाने की शुरुआत

द्वितीय विश्व युद्ध के समय, 1940 के दशक में अमेरिका ने मैनहट्टन प्रोजेक्ट शुरू किया. इसी प्रोजेक्ट के तहत हनफोर्ड को प्लूटोनियम बनाने का केंद्र बनाया गया. प्लूटोनियम वही सामग्री है जिसका उपयोग न्यूक्लियर बम बनाने में होता है. एक न्यूक्लियर बम तैयार करने के लिए 4 से 6 किलोग्राम प्लूटोनियम की आवश्यकता होती है. यह प्लूटोनियम यूरेनियम का उपयोग कर रिएक्टरों में बनाया जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान इतना जहरीला कचरा निकलता है कि वह मिट्टी, पानी, मशीनों और मजदूरों के कपड़ों तक को दूषित कर देता है.

एक न्यूक्लियर टेस्ट से कितना कचरा निकलता है?

हैनफोर्ड साइट ने प्लूटोनियम निर्माण प्रक्रिया के दौरान कुल 56 मिलियन गैलन (लगभग 212 मिलियन लीटर) रेडियोएक्टिव कचरा पैदा किया लगभग कहें तो 85 ओलिंपिक साइज के स्विमिंग पूल भर सकते हैं. वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार, सिर्फ 1 किलो प्लूटोनियम बनाने पर हजारों लीटर तरल कचरा और सैकड़ों टन ठोस कचरा निकलता है. इस कचरे में रेडियोएक्टिव और रासायनिक मिश्रण होते हैं, जो मिट्टी और पानी में घुलकर लंबे समय तक जहरीला असर छोड़ते हैं. 1944 से 1988 के बीच अमेरिका ने 100 मेट्रिक टन प्लूटोनियम बनाया और इस दौरान 100 मिलियन गैलन से अधिक खतरनाक तरल कचरा पैदा हुआ. उस समय यह कचरा नदियों और जमीन में डंप कर दिया जाता था, और गैसें हवा में छोड़ दी जाती थीं. आज वही मिट्टी और नदी का पानी जहरीला हो चुका है और इस कचरे को कांच में कैद कर दफनाने की प्रक्रिया जारी है, जिसकी सफाई में अभी भी कई दशक लगेंगे.

न्यूक्लियर टेस्ट की लागत 

न्यूक्लियर बम बनाना ही महंगा नहीं है, बल्कि उसे टेस्ट करना और भी ज्यादा खर्चीला साबित होता है. विशेषज्ञों के अनुसार एक साधारण या डेमोंस्ट्रेशन न्यूक्लियर टेस्ट की लागत लगभग 140 मिलियन डॉलर होती है, जबकि पूरी वैज्ञानिक प्रक्रिया वाले टेस्ट की लागत 125 से 150 मिलियन डॉलर तक जा सकती है. 1945 से 1992 तक अमेरिका ने 1,000 से अधिक न्यूक्लियर टेस्ट किए. इन टेस्टिंग और हथियार निर्माण पर कुल खर्च 409 अरब डॉलर तक पहुंच गया. प्रत्येक टेस्टिंग की वजह से बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी कचरा पैदा हुआ, जिसने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया. मार्शल द्वीपसमूह में किए गए कई टेस्टिंग आज भी जहरीला प्रभाव छोड़ चुके हैं और वहां 60 से अधिक स्थान ऐसे हैं जहां लोग रह भी नहीं सकते.

डोनाल्ड ट्रंप का नया ऐलान के बाद फिर रूस में फिर से से न्यूक्लियर टेस्टिंग की तैयारी

30 अक्टूबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर घोषणा की कि अमेरिका को तुरंत न्यूक्लियर हथियार टेस्टिंग शुरू करनी चाहिए. ट्रंप ने कहा कि रूस और चीन ऐसा कर रहे हैं, इसलिए अमेरिका को भी आगे बढ़ना होगा. 2 नवंबर को ऊर्जा सचिव क्रिस राइट ने स्पष्ट किया कि शुरुआती टेस्ट विस्फोट वाले नहीं होंगे, बल्कि सिमुलेशन और सिस्टम जांच के लिए होंगे. लेकिन 3 नवंबर को टीवी इंटरव्यू में ट्रंप ने दोहराया कि पूर्ण टेस्टिंग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है. विशेषज्ञों के अनुसार यदि अमेरिका फिर से टेस्टिंग शुरू करता है, तो इसे पूरी तैयारी के साथ शुरू करने में 24 से 36 महीने लगेंगे और हर टेस्ट पर करोड़ों डॉलर खर्च होंगे. 6 नवंबर को रूस ने संकेत दिया कि वह भी टेस्टिंग करने पर विचार कर रहा है, जिससे फिर से कोल्ड वॉर जैसी हथियारों की दौड़ शुरू होने का खतरा बढ़ गया है.

हाल ही में, राज्य समाचार एजेंसियों TASS और RIA नोवोस्ती के अनुसार, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निर्देश पर परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की संभावना पर काम शुरू कर दिया गया है, लेकिन रूस की ओर से अभी तक इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि वह परमाणु परीक्षण कर रहा है. 5 नवंबर को सुरक्षा परिषद की बैठक में पुतिन ने विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, खुफिया एजेंसियों और अन्य विभागों को यह रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया था कि अगर अमेरिका Comprehensive Test Ban Treaty (CTBT) के मोरेटोरियम से बाहर निकलता है, तो रूस कैसे परमाणु परीक्षण की तैयारी कर सकता है.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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