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कभी अमेरिका के रहे दुश्मन , अब बनने वाले हैं व्हाइट हाउस के मेहमान, ट्रंप से मिलेंगे सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शराअ

Trump To Meet Syrian President: कभी अमेरिका के खिलाफ बंदूक उठाने वाला अब व्हाइट हाउस में मेहमान बनेगा. ट्रंप और सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शराअ की मुलाकात 25 साल की खामोशी तोड़ सकती है. क्या इससे बदलेंगे अमेरिका-सीरिया के रिश्ते या ये बस एक तस्वीर भर रह जाएगी.

Trump To Meet Syrian President: कभी अमेरिका के खिलाफ बंदूक उठाने वाला शख्स अब उसी अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ व्हाइट हाउस में बैठने वाला है. नाम है अहमद अल-शराअ, सीरिया के नए राष्ट्रपति. और मेजबान हैं डोनाल्ड ट्रंप. 10 नवंबर को होने वाली यह मुलाकात इतिहास में दर्ज होगी, क्योंकि कभी भी किसी सीरियाई राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस की दहलीज पार नहीं की है. एक प्रशासनिक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि ट्रंप व्हाइट हाउस में अल-शराअ की मेजबानी करेंगे. यह कदम उस रिश्ते की कड़ी में नया मोड़ है जो 25 साल से ठंडे पड़े थे.

Trump To Meet Syrian President: 25 साल बाद बात की शुरुआत

ट्रंप और अल-शराअ की पहली मुलाकात मई में सऊदी अरब में हुई थी. वहां दोनों नेताओं का आमना-सामना गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) की बैठक के दौरान हुआ था. यही वह पल था जब 25 साल की खामोशी टूटी और अमेरिका-सीरिया रिश्तों में थोड़ी गर्माहट लौटी. सीरिया इन दिनों उस दौर से निकलने की कोशिश कर रहा है जहां असद परिवार ने लगभग आधी सदी तक लोहे की मुट्ठी से शासन किया था. अब नया नेतृत्व दुनिया को बताना चाहता है कि सीरिया बदल रहा है.

कौन हैं अहमद अल-शराअ?  

अहमद अल-शराअ का अतीत फिल्मी स्क्रिप्ट जैसा है. कभी वह अबू मोहम्मद अल-गोलानी के नाम से जाने जाते थे वही शख्स जो अल-कायदा से जुड़ी ताकतों के साथ लड़ाई लड़ता था. वो इराक में अमेरिकी फौजों से भी भिड़े और कई साल अमेरिकी जेलों में बंद रहे. लेकिन किस्मत ने करवट ली. दिसंबर में उन्होंने एक तेज बगावती अभियान चलाया और असद परिवार की 50 साल पुरानी हुकूमत को गिरा दिया. उस पल से ही वह सिर्फ सीरिया नहीं, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया की राजनीति में नई कहानी बन गए.

खुद को सुधारक दिखाने की कोशिश

सत्ता संभालते ही अल-शराअ ने अपनी छवि बदलने की मुहिम शुरू की. उन्होंने कहा कि अब सीरिया सुरक्षित, स्थिर और एकजुट देश बनेगा. उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की. दुनिया को यह दिखाने की कोशिश की कि वे अब पुराने दौर वाले नहीं, बल्कि बदलते सीरिया का चेहरा हैं. लेकिन आलोचक अब भी उन पर अल्पसंख्यकों  खासकर द्रूज और अलावी समुदायों के खिलाफ हिंसा के आरोप लगाते हैं. उनकी सरकार पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध भी लगे हुए हैं और विदेशी दौरों के लिए उन्हें छूट लेनी पड़ती है.

क्या खत्म होंगे सीजर प्रतिबंध?

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में कहा है कि वह कांग्रेस से सीजर एक्ट के स्थायी तौर पर हटाने का समर्थन करेगा. यह वही कानून है जिसे 2020 में लागू किया गया था, जब एक सीरियाई सैन्य अधिकारी सीजर ने यातना झेल रहे कैदियों की तस्वीरें बाहर निकाली थीं. इस एक्ट ने सीरिया पर ऊर्जा, निर्माण और वित्त क्षेत्र में सख्त प्रतिबंध लगाए. हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने कुछ अस्थायी छूट दी है, लेकिन पूरा प्रतिबंध हटाने का अधिकार केवल अमेरिकी कांग्रेस के पास है. अगर यह कदम आगे बढ़ा, तो अमेरिका और सीरिया के रिश्तों में 25 साल का सबसे बड़ा बदलाव देखा जा सकता है.

आखिरी बार 1999 में आया था सीरियाई प्रतिनिधि

इतिहास के पन्ने पलटें तो दिसंबर 1999 में सीरिया के विदेश मंत्री फारूक अल-शराअ व्हाइट हाउस आए थे. वह इजरायल के साथ शांति वार्ता के लिए आए थे. अब 26 साल बाद, फिर एक शराअ लेकिन इस बार बतौर राष्ट्रपति व्हाइट हाउस पहुंचेगा. सूत्रों के मुताबिक, अल-शराअ की यात्रा के बाद इजरायल-सीरिया के बीच पांचवीं दौर की वार्ता अमेरिका की मध्यस्थता में शुरू हो सकती है. लक्ष्य है कि सीमा सुरक्षा समझौता साल के अंत तक तय करना.

क्या यह सिर्फ फोटो-ऑप है या नई शुरुआत?

विश्लेषकों का कहना है कि यह मुलाकात सिर्फ राजनयिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि एक बड़ा संकेत है. अमेरिका अब उन नेताओं से भी बातचीत करने को तैयार है जिन्हें वह कभी दुश्मन मानता था. ट्रंप के लिए यह विदेश नीति की नई बाजी हो सकती है, जबकि अल-शराअ के लिए यह मौका है खुद को नई सोच वाला नेता साबित करने का. लेकिन सवाल अब भी वही है कि क्या वॉशिंगटन एक ऐसे व्यक्ति पर भरोसा करेगा जो कभी उसके खिलाफ लड़ चुका है?

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Govind Jee
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गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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