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दो बौद्ध देश शिव मंदिर के लिए क्यों बहा रहे खून, जानिए थाईलैंड और कंबोडिया के संघर्ष की कहानी 

Thailand Cambodia Border Clash: दक्षिण पूर्वी एशिया में हालात फिर से बिगड़ते नजर आ रहे हैं. सोमवार की सुबह थाईलैंड ने कंबोडिया के ऊपर फिर से हवाई हमले शुरू कर दिए जिसके बाद से दोनों ही देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ता नजर आ रहा है. ये दशकों पुरानी संघर्ष फिर से अंतर्राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया है जिसकी जड़े एक प्राचीन शिव मंदिर से जुड़ी है.

Thailand Cambodia Border Clash: सोमवार की सुबह थाईलैंड ने कंबोडिया के ऊपर फिर से हवाई हमला किया. इस घटना के बाद दोनों देशों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना शुरू कर दिया. बौद्ध बाहुल्य राष्ट्रों के बीच सीमा-संघर्ष काफी समय से चलता आ रहा है. इसी साल जुलाई के आसपास सीमा पर युद्ध जैसी स्थिती बनी थी. ऐसा पहली बार नहीं है कि इन दोनों देशों के बीच सीमा विवाद हो रहा हो, लेकिन इस बार फिर विवाद ने अंतर्राष्ट्रीय ध्यान अपनी ओर खींचा है. दरअसल इस लड़ाई का कारण कई दशकों पहले ही जन्म ले चुका था. दोनों ही देशों में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं, बावजूद इसके एक प्राचीन शिव मंदिर को लेकर भिड़ रहे हैं. 

क्या है इस मंदिर का इतिहास (Preah Vihear Temple)

इन दो देशों के बीच के तनाव की जड़ भगवान शिव का एक प्राचिन मंदिर है जिसे प्रीह विहियर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण करीब 1100 साल पहले किया गया था, जहां हिंदू देवता भगवान शिव की शिवलिंग स्थापित है. इसे थाई भाषा में फ्रा विहान भी कहा जाता है. इस शिव मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी प्राप्त है.

दोनों देशों के बीच तनाव की वजह (Thailand Cambodia Border Clash)

दरअसल इसी शिव मंदिर की वजह से इन दो देशों के 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर तनाव बना हुआ है. इसी साल जुलाई में बॉर्डर पर करीब लगातार पांच दिनों तक युद्ध जैसे हालात बने हुए थे. इसके बाद अक्टूबर में सीमा पर सीजफायर यानी की युद्ध विराम लगाया गया था. इसी विवाद के वजह से सीमा से सटे क्षेत्रों में रह रहे लोगों को विस्थापित भी होना पड़ा था. इस युद्ध की असल वजह यही है कि दोनों ही देश इसे अपना बताते हैं.

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तनाव की शुरूआत कैसे हुई

थाईलैंड और कंबोडिया की 800 किमी लंबी सीमा है. इन दो देशों में मूलता सियामी और खमेर जनजाति रहते थे, जिनमें एक समय पर आपसी भाईचारा और लेन देन भी हुआ करता था. लेकिन 15वीं सदी के बाद हालात बदले, जब थाई साम्राज्य अयुत्थ्या ने कमजोर पड़ते खमेर पर हमला कर उसकी राजधानी अंगकोर पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से ही दोनों तरफ से हमले और विवाद शुरू हो गए. फिर 16वीं सदी के अंत में अयुत्थ्या के राजा नरेसुसान ने खमेर के शासक का सर कलम कर दिया. इस घटना के बाद थाईलैंड और वियतनाम जैसे शक्तिशाली देशों के बीच कंबोडिया एक दबा हुआ देश बन गया. बाद में  यूरोपीय उपनिवेशवाद आया और कंबोडिया को फ्रेंच इंडोचाइना का हिस्सा बना दिया गया. साल 1904 में बनाए गए कंबोडिया के आधिकारिक नक्शे में प्रीह विहियर मंदिर को सीमा के अंदर दिखाया गया, जो आज भी दोनों देशों के बीच संघर्ष और तनाव का केंद्र बना हुआ है. 

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साल 1962 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा विवाद 

साल 1962 में कंबोडिया का ये मामला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में भी उठाया गया था. इस न्यायालय के फैसले में मंदिर को कंबोडियाई क्षेत्र का बताया गया लेकिन इसके बाद थाईलैंड ने भी अपना तर्क रखते हुए कहा कि मंदिर के आसपास का लगभग 4.6 वर्ग किलोमीटर का इलाका अब भी अनिर्धारित है. बाद में साल 2008 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल कर लिया गया. आई.सी.जे (ICJ) के इसी कदम से थाईलैंड में नाराजगी बढ़ी और यह विषय और भी विवादित बनता गया. 

दोनों देशों ने एक दूसरे पर लगाया आरोप 

रिपोर्ट्स के मुताबिक थाईलैंड के सैन्य अधिकारी मेजर जनरल विन्थाई सुवारी का कहना है कि इस हवाई हमले में कंबोडियाई सेना के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया है. उन्होंने आगे कहा कि ये कदम मजबूरी में उठाना पड़ा क्योंकि कंबोडिया द्वारा किए गए हवाई हमले में उनके एक सैनिक की मौत हो गई थी. इसी के साथ उन्होंने कंबोडियाई सेना पर थाई क्षेत्रों पर बार बार गोलीबारी करने के आरोप भी लगाए हैं. 

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Sakshi Badal
Sakshi Badal
नमस्कार! मैं साक्षी बादल, MCU भोपाल से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी कर वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल में इंटर्न के तौर पर काम कर रही हूं, जहां हर दिन अपने लेखन को और बेहतर बनाने और खुद को निखारने का प्रयास करती हूं. मुझे लिखना पसंद है, मैं अपनी कहानियों और शब्दों के जरिए कुछ नया सीखने और लोगों तक पहुंचने की कोशिश करती हूं.

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