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पुतिन का परमाणु गेम! रूस ने यूक्रेन पर दागी वो खतरनाक 9M729 मिसाइल, जिसने ट्रंप को संधि तोड़ने पर किया मजबूर

Russia 9M729 Missile: रूस ने यूक्रेन पर दागी 9M729 मिसाइल. ये वही हथियार जिसके चलते ट्रंप ने 2019 में परमाणु संधि (INF Treaty) तोड़ दी थी. 2,500 किमी मारक क्षमता वाली ये मिसाइल अब यूरोप की सुरक्षा के लिए भी खतरा मानी जा रही है. जानिए कैसे पुतिन इस मिसाइल से दुनिया को नया संदेश दे रहे हैं.

Russia 9M729 Missile: युद्ध के मैदान में चल रही लड़ाई अब सिर्फ टैंकों और ड्रोन तक सीमित नहीं रही. अब मिसाइलें तय कर रही हैं कि कौन कितनी दूर तक ताकतवर है. इसी बीच यूक्रेन के विदेश मंत्री अंद्रि सिबिहा ने ऐसा खुलासा किया है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया. उन्होंने बताया कि रूस अब एक ऐसी मिसाइल का इस्तेमाल कर रहा है, जिसकी वजह से डोनाल्ड ट्रंप ने 2019 में अमेरिका को परमाणु हथियार नियंत्रण संधि (INF Treaty) से बाहर कर लिया था. इस मिसाइल का नाम है 9M729.

Russia 9M729 Missile: वो सीक्रेट हथियार जो अब युद्ध में दिखा

यूक्रेन का दावा है कि रूस ने इस 9M729 ग्राउंड-लॉन्च क्रूज मिसाइल को हाल के महीनों में कम से कम 23 बार यूक्रेन पर दागा है. एक वरिष्ठ यूक्रेनी अधिकारी के अनुसार, 2022 में दो बार इस मिसाइल का इस्तेमाल पहले भी हुआ था. सबसे ताजा जानकारी के मुताबिक 5 अक्टूबर को दागी गई एक मिसाइल ने रूस से उड़कर 1,200 किलोमीटर की दूरी तय की और लापायिवका गांव में गिरकर चार लोगों की जान ले ली.

Russia 9M729 Missile: क्यों टूटी थी परमाणु संधि?

9M729 वही मिसाइल है, जिसकी वजह से अमेरिका और रूस के बीच 1987 में हुई INF Treaty टूट गई थी. इस संधि में तय हुआ था कि दोनों देश 500 से 5,500 किलोमीटर तक मार करने वाली ग्राउंड-लॉन्च मिसाइलें नहीं बनाएंगे. लेकिन जब अमेरिका को पता चला कि रूस 9M729 जैसी मिसाइल बना रहा है, तो उसने कहा कि ये संधि का उल्लंघन है. रूस ने इंकार किया, मगर अब यूक्रेन युद्ध में इस मिसाइल का इस्तेमाल दिखा रहा है कि अमेरिका सही था.

कितनी खतरनाक है ये मिसाइल?

अमेरिका के Center for Strategic and International Studies (CSIS) के मुताबिक, यह मिसाइल 2,500 किलोमीटर तक मार कर सकती है. यानी अगर इसे पश्चिमी रूस से दागा जाए, तो यह पूरे यूरोप को टारगेट कर सकती है. इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि न्यूक्लियर या पारंपरिक दोनों तरह के वारहेड ले सकती है.

‘पुतिन को किसी संधि की परवाह नहीं’- यूक्रेन

विदेश मंत्री सिबिहा ने कहा कि रूस का INF बैन मिसाइलों का इस्तेमाल दिखाता है कि पुतिन को ट्रंप के कूटनीतिक प्रयासों की कोई परवाह नहीं है. ये अमेरिका और शांति वार्ताओं का खुला अपमान है. उन्होंने कहा कि कीव ट्रंप की शांति योजनाओं का समर्थन करता है, लेकिन इसके लिए दुनिया को रूस पर अधिकतम दबाव डालना होगा.

यूक्रेन की नई मांग

यूक्रेन ने अब अमेरिका से Tomahawk लंबी दूरी की मिसाइलें मांगी हैं. ये वही मिसाइलें हैं जो INF Treaty में प्रतिबंधित नहीं थीं, क्योंकि इन्हें समुद्र से दागा जाता है. लेकिन रूस ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा हुआ तो यह खतरनाक बढ़ोतरी होगी. पश्चिमी सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक, रूस का यह कदम अब सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं है. 

यह पूरे यूरोप के लिए खतरे की घंटी है. ब्रिटेन के पूर्व रक्षा अटैचे जॉन फोरमैन कहते हैं कि अगर यह साबित हो जाए कि रूस INF रेंज की मिसाइलें चला रहा है, तो यह यूरोपीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है. रॉयटर्स ने लापायिवका हमले के बाद के मलबे की तस्वीरें देखीं. वहां मिले मिसाइल ट्यूब और तारों के हिस्से पर साफ लिखा था 9M729. अमेरिकी सुरक्षा विशेषज्ञ जेफ्री लुईस ने तस्वीरों की जांच के बाद कहा कि इन टुकड़ों की बनावट, इंजन और मार्किंग बिल्कुल वैसी ही हैं जैसी 9M729 में होती हैं.

रूस को मिल रही नई रणनीतिक बढ़त

विशेषज्ञ डगलस बैरी (IISS) के अनुसार 9M729 रूस को यह फायदा देती है कि वो अपने ही क्षेत्र से, सुरक्षित जगहों से यूक्रेन पर हमला कर सके. यह मिसाइल मोबाइल लॉन्चर से दागी जाती है, जिन्हें छिपाना आसान होता है इसीलिए इस पर पहले ही प्रतिबंध था. विलियम अलबर्क (Pacific Forum) कहते हैं कि पुतिन इस मिसाइल के जरिए यूक्रेन पर दबाव बढ़ाना चाहते हैं. यह यूरोप के लिए एक संदेश है कि रूस अब किसी सीमा को नहीं मानता.

रूस ने हाल ही में Burevestnik (न्यूक्लियर क्रूज मिसाइल) और Poseidon (न्यूक्लियर टॉरपीडो) का भी परीक्षण किया है. इसके जवाब में ट्रंप ने अमेरिकी सेना को न्यूक्लियर टेस्ट दोबारा शुरू करने का आदेश दिया है, यह कहते हुए कि दूसरे देश पहले ही ऐसा कर रहे हैं.

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Govind Jee
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गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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