Putin India Visit: भारत-अमेरिका संबंधों में इन दिनों तनाव की स्थिति है. अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीदना कम करे, लेकिन भारत अपने राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दे रहा है. इसी माहौल में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आने वाले हैं. ब्लूमबर्ग ने रूस-भारत फोरम सत्र के आयोजक रोसकांग्रेस के हवाले से बताया कि पुतिन 5 दिसंबर को भारत आने वाले हैं. यह सिर्फ एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि भारत-रूस रिश्तों को फिर से बड़े स्तर पर दिशा दे सकती है. इस यात्रा में डिफेंस सेक्टर सबसे बड़ा एजेंडा होगा, जिसमें Su-57 फिफ्थ-जनरेशन फाइटर जेट और S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम जैसे विषय शामिल हैं.
पुतिन का यह दौरा क्यों अहम है
यह पुतिन की दिसंबर 2021 के बाद पहली भारत यात्रा होगी और रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद उनकी पहली दक्षिण एशिया यात्रा भी. ऐसे समय में जब पश्चिमी देश रूस पर सख्त पाबंदियां लगा रहे हैं और रूस चीन के साथ और नजदीक आ रहा है, भारत इस समीकरण में एक स्थिर और भरोसेमंद साझेदार के रूप में सामने है. अमेरिका भारत पर रूस से तेल खरीदने और रक्षा सौदे रोकने का दबाव बना रहा है, लेकिन भारत यह साफ कर चुका है कि वह दबाव नहीं, अपने हित के अनुसार निर्णय लेगा. पुतिन की यह यात्रा इस बात का संकेत है कि भारत और रूस के संबंध किसी तीसरे देश की पसंद-नापसंद पर नहीं चलते.
Putin India Visit: रूस का भारत को बड़ा प्रस्ताव
इस बैठक का सबसे बड़ा और चर्चित मुद्दा Su-57 फिफ्थ-जनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट रहेगा. रूस का दावा है कि यह अमेरिका के F-35 का जवाब है. टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, रूस चाहता है कि भारत इस प्रोजेक्ट में केवल खरीदार नहीं, बल्कि को-प्रोडक्शन पार्टनर बने. इसका मतलब यह है कि भारत को न सिर्फ जेट मिलेगा, बल्कि उसके निर्माण और तकनीक में भी हिस्सा मिलेगा. भारत पहले FGFA प्रोजेक्ट (Fifth Generation Fighter Aircraft) से बाहर हो चुका था, लेकिन रूस अब नई और भारत-हितैषी शर्तों के साथ साझेदारी को फिर से शुरू करना चाहता है. भारतीय वायुसेना के लिए यह मौका महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान और चीन दोनों अपनी एयर पावर बढ़ा रहे हैं और भारत को भविष्य की हवाई युद्ध क्षमता में बढ़त चाहिए.
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S-400 की डिलीवरी और अब S-500 की पेशकश
इस यात्रा में मिसाइल रक्षा प्रणाली भी एक प्रमुख मुद्दा है. भारत पहले ही रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद चुका है, जिसकी डिलीवरी जारी है और समिट में इसकी प्रगति का मूल्यांकन किया जाएगा. टाइम्स नाउ के मुताबिक, रूस अब एक कदम और आगे बढ़कर भारत को S-500 Prometey सिस्टम भी ऑफर करने के लिए तैयार है. यह दुनिया की सबसे एडवांस्ड मिसाइल डिफेंस टेक्नोलॉजी में गिना जाता है और दावा है कि यह हाइपरसोनिक हथियारों को भी इंटरसेप्ट कर सकता है. इतना ही नहीं, रूस S-500 को भारत के साथ को-डेवलपमेंट की संभावना पर भी विचार कर रहा है. यह प्रस्ताव भारत को मिसाइल रक्षा तकनीक में कई देशों से आगे ले जा सकता है.
रूस-भारत रिश्तों का बड़ा संदर्भ
पिछले 70 वर्षों में रूस, भारत का सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी रहा है. भारतीय सैन्य साजो-सामान में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रूसी तकनीक की है. MiG फाइटर जेट से लेकर T-90 टैंक, BrahMos मिसाइल से लेकर S-400 तक भारत की मिलिट्री स्ट्रेंथ का बड़ा हिस्सा रूस से आता है. हालांकि, हाल के वर्षों में अमेरिका, फ्रांस और इजराइल जैसे देशों के साथ भारत की डिफेंस साझेदारी बढ़ी है, लेकिन रूस अभी भी भारत की रक्षा रणनीति का मजबूत आधार है. दोनों देशों द्वारा “बड़ी घोषणा” की तैयारी की जा रही है. यदि Su-57 और S-500 पर समझौता आगे बढ़ता है तो यह आने वाले दशक की सबसे बड़ी रक्षा साझेदारी मानी जाएगी. भारत के लिए इसका मतलब है कि स्टील्थ क्षमता, एडवांस्ड मिसाइल रक्षा और रूस के लिए इसका मतलब है कि एक विश्वसनीय और लंबे समय तक साथ देने वाला साझेदार.
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