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पाकिस्तान में अब सैन्य लोकतंत्र, आसिम मुनीर के हाथ में देश का फुल कंट्रोल, संसद से पास हुआ 27वां संविधान संशोधन विधेयक

Pakistan 27th Amendment Asim Munir: पाकिस्तानी संसद के 27वां संवैधानिक संशोधन को पारित करने बाद अब सेना प्रमुख के अधिकार बढ़ जाएंगे. आसिम मुनीर को आजीवन कानूनी छूट मिलेगी और न्यायपालिका को भी कमजोर कर दिया गया है. विपक्षी दलों ने इस कदम को “लोकतंत्र का अंतिम संस्कार” करार दिया है.

Pakistan 27th Amendment Asim Munir: पाकिस्तान की संसद ने बुधवार को 27वें संवैधानिक संशोधन को मंजूरी दे दी. इसके तहत सेना प्रमुख के अधिकारों में विस्तार किया गया है और सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को सीमित कर दिया गया है. पाकिस्तान के इस कदम को देश के लोकतंत्र के लिए अपूर्णीय क्षति माना जा रहा है. इस संशोधन के बाद पाकिस्तान आर्मी के चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के हाथों में असीम शक्तियां आ गई हैं. पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली ने इसे दो तिहाई से भी ज्यादा मतों के साथ पास कर दिया. इस विधेयक के विरोध में केवल 4 मत पड़े. इस वोटिंग के दौरान पाकिस्तान की निचली सभा में पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ, पीएलएमएन के चीफ नवाज शरीफ और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बिलावल भुट्टो भी मौजूद रहे. 

पाकिस्तानी संसद के 27वां संवैधानिक संशोधन को पारित करने बाद सेना प्रमुख के अधिकार बढ़ जाएंगे. उन्हें आजीवन कानूनी छूट (इम्यूनिटी) प्रदान करता है. विपक्षी दलों ने इस कदम को “लोकतंत्र का अंतिम संस्कार” करार दिया है. संशोधन से देश के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की स्थिति और भी मजबूत हो गई है, जिन्हें व्यापक रूप से पाकिस्तान का ‘वास्तविक शासक’ माना जाएगा. यह उच्च सदन यानी सीनेट में पहले ही पारित हो चुका है, जहां इसके पक्ष में 64 वोट पड़े थे. अब यह राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पास भेजा जाएगा, जो महज औपचारिकता है. संविधान में संशोधन की सामान्य प्रक्रिया आम तौर पर लंबी होती है, लेकिन इस बार असाधारण रूप से तेज़ी दिखाई गई.

आसिम मुनीर को मिली असीम शक्तियां

संविधान में संशोधन के बाद अब नए कानून के तहत, आसिम मुनीर को एक नई बनाई गई पदवी मुख्य रक्षा बल प्रमुख (चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज) प्रदान की जाएगी. उनके पास अब फील्ड मार्शल का पद आजीवन रहेगा. उनके अधीन अब सेना के साथ-साथ नौसेना और वायुसेना भी आ जाएंगी, यानी फील्ड मार्शल, एयर फोर्स मार्शल और एडमिरल ऑफ द फ्लीट जैसे मानद पांच सितारा पद पर वे जीवन भर रहेंगे. उनके कार्यकाल के बाद भी वे अपना पदनाम और रैंक बनाए रखेंगे और उन्हें आजीवन कानूनी छूट प्राप्त रहेगी. कोई भी अभियान करने के लिए उन्हें तीनों सेना के प्रमुखों से आज्ञा लेने की जरूरत नहीं होगी. उनके पास परमाणु कमांड भी होगा.

सैन्य ताकत, न्यायिक चोट

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस संशोधन का स्वागत करते हुए कहा कि यह संस्थागत एकता और राष्ट्रीय समरसता की दिशा में एक कदम है. उन्होंने कहा, “अगर हमने आज इसे संविधान का हिस्सा बनाया है, तो यह सिर्फ फील्ड मार्शल के बारे में नहीं है. यह नौसेना और वायुसेना को भी मान्यता देता है. इसमें गलत क्या है? देश अपने नायकों को सम्मान देता है, हमें भी अपने नायकों को सम्मान देना और पाना आता है.” लेकिन आलोचकों का कहना है कि इन बदलावों से सत्ता का केंद्रीकरण सेना और सत्तारूढ़ गठबंधन के हाथों में हो गया है.

अब आसिम मुनीर के हाथों में बेहिसाब सैन्य ताकत आ गई है. वे किसी भी तरह के मुकदमे से बचे रहेंगे, इस पद से हटने के बाद भी. उनके फील्ड मार्शल पद को कानूनी सुरक्षा भी प्राप्त रहेगी. प्रधानमंत्री इस पद को वापस नहीं ले सकेंगे. यानी यह पाकिस्तान में सैन्य लोकतंत्र की शुरुआत है. 

सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों में कटौती

संशोधन के तहत, सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम कर दिया गया है. अब संवैधानिक मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के बजाय संघीय संवैधानिक न्यायालय में होगी, जिसके न्यायाधीश सरकार द्वारा नियुक्त किए जाएंगे. पिछले कुछ वर्षों में सुप्रीम कोर्ट ने कई बार सरकार की नीतियों को खारिज किया है और प्रधानमंत्रियों को पद से हटाया है. यानी सुप्रीम कोर्ट केवल सिविल और आपराधिक मामले देखेगी, जबकि संघीय और प्रांतीय मामलों को देखने के लिए संघीय संवैधानिक न्यायालय होगा. इसमें पाकिस्तान के सभी प्रांतों का समान अधिकार होगा और यह संविधानिक याचिकाओं पर स्वतः संज्ञान ले सकेगा. 

संशोधन का हुआ भारी विरोध

इस संशोधन का पाकिस्तान में भारी विरोध भी हुआ. विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सांसदों ने मतदान से पहले सदन से वॉकआउट किया और विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं. उनका आरोप था कि उनसे कोई परामर्श नहीं लिया गया. कानूनी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह संशोधन न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है. आलोचकों का कहना है कि पाकिस्तान का यह संशोधन एक स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए ‘मृत्यु की घंटी’ है. इससे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को नए संघीय संवैधानिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार मिल जाएगा, जिससे न्यायपालिका सरकार के नियंत्रण में आ जाएगी. पाकिस्तान की राजनीति में सेना लंबे समय से प्रभावशाली रही है, लेकिन अब इन संशोधनों से उसे ऐसा संवैधानिक दर्जा मिल गया है, जिसे पलटना बेहद कठिन होगा.

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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