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इमरान खान पर एक और मुसीबत, शहबाज सरकार का कंधे से आसिम मुनीर ने साधा निशाना, KPK में लगेगा गवर्नर रूल!

Pakistan Governor's Rule in Khyber Pakhtunkhwa: शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान की संघीय सरकार खैबर पख्तूनख्वा (KP) में गवर्नर शासन लगाने पर विचार कर रही है. पाकिस्तान के राज्य विधि मंत्री अकील मलिक के अनुसार मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी प्रदेश में सुरक्षा और राहत देने में नाकाम रहे हैं. इस मामले में शहबाज शरीफ के लंदन से इस्लामाबाद लौटने के बाद अंतिम रूप दिया जा सकता है.

Pakistan Governor’s Rule in Khyber Pakhtunkhwa: इमरान खान को समाप्त करना शायद पाकिस्तान के वर्तमान सत्ताधीन लोगों का अहम शगल बना हुआ है. इसमें सबसे ऊपर हैं पाक आर्मी के चीफ आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ. हाल ही में अफवाह उड़ी कि इमरान खान की जेल में मौत हो गई, उनका कत्ल कर दिया गया. हालांकि यह बात अफवाह निकली. इमरान खान को समाप्त करना शायद संभव न हो, लेकिन उनकी राजनीति को तो समाप्त किया ही जा सकता है. अब पूर्रव प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी की एकमात्र सरकार को गिराने के लिए पाकिस्तानी सरकार आगे बढ़ने वाली है. जहां इमरान की पार्टी पीटीआई के सदस्य उनके सेहत के बारे में चिंतित हैं और आए दिन अडियाला जेल के बाहर डेरा जमाते देते हैं. शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान की संघीय सरकार खैबर पख्तूनख्वा (KP) में गवर्नर शासन लगाने पर विचार कर रही है. 

पाकिस्तान के राज्य विधि मंत्री अकील मलिक ने पुष्टि की कि संघीय सरकार गवर्नर राज विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रही है. उन्होंने बिगड़ती कानून-व्यवस्था, बढ़ती तस्करी, आतंकरोधी चुनौतियों और KP प्रशासन की कथित नाकामी को इसके कारण बताया. मलिक ने कहा- गवर्नर शासन खैबर पख्तूनख्वा के लोगों को राहत देगा. मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी प्रदेश में सुरक्षा और राहत देने में नाकाम रहे हैं. News18 की एक खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लंदन से इस्लामाबाद लौटने के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा. यह फैसला राजनीतिक, प्रशासनिक और सुरक्षा दृष्टि से एक बड़ा कदम माना जा रहा है. अगर इसे मंजूरी मिलती है, तो राष्ट्रपति द्वारा इसे संसद के संयुक्त सत्र के माध्यम से लागू किया जाएगा.

कौन हो सकता है केपीके का गवर्नर?

पाकिस्तान में गवर्नर शासन संविधान के अनुच्छेद 232 और 234 के तहत लगता है. मलिक ने कहा कि इसे पहले दो महीनों तक और फिर जरूरत पड़ने पर आगे बढ़ाया जा सकता है.  ARY न्यूज की खबर के मुताबिक गवर्नर पद के लिए सूची में सबसे ऊपर वर्तमान गवर्नर फैसल करीम कुंडी का नाम है. यानी वे अपने पद पर बने रह सकते हैं. अन्य नामों में पूर्व मंत्री, आमिर हयात होटी, परवेज खटक और आफताब शेरपाओ भी शामिल हैं. लेकिन आसिम मुनीर के राज में पाकिस्तान पूरी तरह से सैन्य शासन वाला देश बनने की ओर है. ऐसे में अगर किसी राजनीतिक नाम पर सहमति नहीं बनती, तो सरकार पूर्व सैन्य अधिकारियों के नामों पर भी विचार कर सकती है. इनमें रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गयूर या रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल खालिद रब्बानी हो सकते हैं.

सरकार का दबाव, पीटीआई नहीं करेगी बवाल

इस कदम के पीछे एक कारण PTI का राजनीतिक दबाव भी है. उनकी पार्टी इमरान खान की रिहाई की मांग और संघीय सरकार के प्रति पार्टी का टकराव वाला रुख अपना रही है. खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अशांति फैलाना चाहती है. अफरीदी ने कहा- केंद्र सरकार अराजकता चाहती है, लेकिन PTI दंगे नहीं होने देगी. हमारे प्रदर्शन शांतिपूर्ण होंगे. उन्होंने मंगलवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट और अडियाला जेल के बाहर प्रदर्शन की घोषणा की. साथ ही खान की स्थिति और ठिकाने को लेकर स्पष्टता की मांग की. उन्होंने कहा- खान 4 नवंबर से एकांत कारावास में हैं. हम जानना चाहते हैं कि वे कहां हैं.

इमरान से मिलने नहीं दे रही पाकिस्तान सरकार

इमरान खान को कई मामलों में पिछले दो वर्षों से रावलपिंडी की अडियाला जेल में रखा गया है. उनकी बहनें, पार्टी कार्यकर्ता और खैबर पख्तूनख्वा के अधिकारी जेल के बाहर गुरुवार से डेरा डाले हुए हैं. वे आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन कोर्ट द्वारा आदेशित मुलाकात की अनुमति नहीं दे रहा. मुख्यमंत्री अफरीदी भी पिछले कई दिनों से जेल के बाहर धरना दे रहे हैं. अफरीदी के आठवीं बार अपील करने पर भी शहबाज शरीफ सरकार ने इमरान खान से मिलने नहीं दिया. स्थिति तब और गंभीर हो गई जब खान के बेटे कासिम ने सार्वजनिक रूप से यह मांग की कि सबूत दिया जाए कि PTI संस्थापक सही सलामत हैं.

इमरान ने खेला था मुख्यमंत्री बदलने का दांव

खान के परिवार वालों को उनसे मिलने नहीं देने से स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है. इमरान खान ने पिछले दिनों अली अमीन गंडापुर को हटाकर सोहेल अफरीदी को बनाया था. दबे खाने इस बात की चर्चा थी कि गंडापुर पाकिस्तान की केंद्र सरकार के साथ सांठ-गांठ कर सरकार चला रहे थे. इसलिए इमरान खान के दबाव में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. अब गवर्नर रूल के नई सुगबुगाहट केंद्र सरकार और खैबर सरकार के बीच तनातनी और बढ़ सकता है.

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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