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पत्रकार जमाल खशोगी हत्या में सऊदी के क्राउन प्रिंस का हाथ ? ये रिपोर्ट आई सामने

Jamal Khashogi News : पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या संबंधी अभियान को सऊदी अरब के राजकुमार ने संभवत: दी मंजूरी थी. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि सऊदी अरब के वली अहद ने इस्तांबुल स्थित सऊदी उच्चायोग में पत्रकार जमाल खशोगी को ‘पकड़ने या उसकी हत्या' करने के अभियान को मंजूरी देने का काम किया था.

पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या संबंधी अभियान को सऊदी अरब के राजकुमार ने संभवत: दी मंजूरी थी. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि सऊदी अरब के वली अहद ने इस्तांबुल स्थित सऊदी उच्चायोग में पत्रकार जमाल खशोगी को ‘पकड़ने या उसकी हत्या’ करने के अभियान को मंजूरी देने का काम किया था. सार्वजनिक की गई एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है.

माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद बाइडन प्रशासन पर राजघराने को हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराने का दबाव बढ़ सकता है. यदि आपको याद हो तो दो अक्टूबर 2018 को खशोगी की मौत के बाद हंगामा मच गया था. अमेरिका में दोनों राजनीतिक पार्टियों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुस्सा फूट पड़ा था. खशोगी को सऊदी अरब के वली अहद मोहम्मद बिन सलमान का कड़ा आलोचक माना जाता था. हालांकि, अभी तक इस निष्कर्ष को आधिकारिक रूप से सार्वजनिक नहीं किया गया है.

रिपोर्ट की बात करें तो ये ऐसे समय सामने आयी है, जब एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सऊदी के नरेश सलमान से शिष्टाचार बातचीत करने का काम किया है. हालांकि, व्हाइट हाउस की ओर से वार्ता के संबंध में जारी बयान में इस दौरान पत्रकार की हत्या का मामला सामने आने का कोई उल्लेख नहीं किया गया था.

सऊदी सरकार के आलोचक : गौरतलब है कि जमाल खशोगी हमेशा से ही सऊदी सरकार के आलोचक के रूप में जाने जाते रहे थे. साल 2018 में जब वो अपने कुछ निजी दस्तावेज़ लेने के लिए वाणिज्य दूतावास के अंदर गए थे,ताकि वो अपनी तुर्की मंगेतर हतीजे जेंग्गिज़ से शादी कर सके. उसी दौरान इस्तांबूल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास के अंदर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. इस मामले में सऊदी की अदालत ने शक के आधार पर आठ आरोपियों को सितंबर 2020 में सजा भी सुनाई थी.

क्राउन प्रिंस की आलोचना : सऊदी शाही परिवार से संबंध खराब होने के बाद खशोगी अमेरिका में रह कर ही वाशिंगटन पोस्ट के लिए कॉलम लिखा करते थे जिनमें वो अक्सर सऊदी क्राउन प्रिंस की नीतियों की आलोचना करते थे. समाचार एजेंसी एपी के अनुसार हत्या से पहले, खशोगी ने वाशिंगटन पोस्ट के कई कॉलम में क्राउन प्रिंस की आलोचना की थी.अपने पहले ही कॉलम में खशोगी ने लिखा था कि उन्हें इस बात का डर था कि असहमति को दबाने की कोशिश में उन्हें भी गिरफ़्तार किया जा सकता था. उनके अनुसार ख़ुद क्राउन प्रिंस खुद इसकी देखरेख कर रहे थे. 2019 में यूएन के एक विशेष अधिकारी एग्नेस कैलामार्ड ने सऊदी सरकार पर जानबूझकर पहले से निर्धारित योजनाबद्ध तरीक़े से खशोगी की हत्या करने का आरोप लगाया था जबकि सऊदी सरकार ने मुक़दमे को इंसाफ़ के ठीक विपरीत क़रार दिया था.

हथियारों के समझौते को रद्द करने पर विचार : रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अमेरिकी प्रशासन सऊदी अरब से हुए हथियारों के समझौते को रद्द करने पर विचार कर रहा है. हथियारों के समझौते ने मानवाधिकार से जुडी चिंताओं को बढ़ा दिया है इसलिए बाइडन प्रशासन भविष्य में भी हथियारों की बिक्री को केवल अपनी हिफ़ाज़त के लिए ज़रूरी हथियार तक सीमित रखने पर विचार कर रहा है. उल्लेखनीय है कि आधिकारिक रूप से सऊदी अरब का यही कहना है कि पत्रकार खशोगी की हत्या सऊदी अरब के एजेंटों ने कर दी थी जबकि उन्हें सिर्फ़ यह कह कर भेजा गया था कि उन्हें खशोगी को अग़वा कर सऊदी अरब लाना है. अब देखना यह है कि अमेरिका के डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलीजेंस के सीधे आरोप के बाद सऊदी प्रिंस की क्या प्रतिक्रिया रहेगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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