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5 करोड़ प्रकाश-वर्ष लंबा ‘घूमता ब्रह्मांड’ खोजा गया! 14 आकाशगंगाएं एक साथ घूमती मिलीं, वैज्ञानिक भी रह गए हैरान

Giant Spinning Cosmic Filament Galaxies: वैज्ञानिकों ने 5 करोड़ प्रकाश-वर्ष लंबा एक विशाल घूमता हुआ कॉस्मिक फिलामेंट खोजा है, जिसमें 14 आकाशगंगाएं एक ही दिशा में घूमती मिलीं. यह खोज बताती है कि आकाशगंगाओं का स्पिन बड़े ब्रह्मांडीय ढांचों से जुड़ा हो सकता है, जो गैलेक्‍सी निर्माण की समझ बदल देगी.

Giant Spinning Cosmic Filament Galaxies: वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में कुछ ऐसा ढूंढ निकाला है जिसने आकाशगंगा बनने की पूरी कहानी को ही नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है. दुनिया भर के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा कॉस्मिक ढांचा खोजा है जो 5 करोड़ से भी ज्यादा प्रकाश-वर्ष लंबा है, और सबसे बड़ी बात यह है कि पूरा ढांचा घूम रहा है. इस फिलामेंट में 55 लाख प्रकाश-वर्ष लंबी एक चेन मिली है, जिसमें 14 युवा आकाशगंगाएं हैं. ये सभी आकाशगंगाएं एक ही तरह से घूम रही हैं. इस खोज को MNRAS में प्रकाशित किया गया है और इसे अब तक की सबसे बड़ी रोटेशन सिस्टम में से एक माना जा रहा है.

Giant Spinning Cosmic Filament Galaxies: घूमता हुआ विशाल कॉस्मिक फिलामेंट

धरती से लगभग 14 करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर वैज्ञानिकों ने एक बड़ा डार्क-मैटर फिलामेंट खोजा. इसके साथ 14 गैस से भरी, युवा आकाशगंगाएं लाइन में एकदम सीधी कतार में दिखाई दीं. यह सीधी कतार अपने आप में एक दुर्लभ बात है, लेकिन असली चौंकाने वाली बात यह थी कि सभी आकाशगंगाएं एक ही दिशा में घूम रही थीं और कतार के दोनों सिरों पर मौजूद आकाशगंगाएं एक-दूसरे के उलट घूमती दिखीं यानी पूरा फिलामेंट ही एक बड़े पहिए की तरह घूम रहा था. इतनी सटीक एक जैसी रफ्तार और घूमने का तरीका किसी भी संयोग की तरह नहीं लगता. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे ब्रह्मांड में मौजूद कोई बड़ा और अब तक न समझा गया नियम काम कर रहा है.

आकाशगंगाएं अपना स्पिन कहां से पाती हैं?

अब तक माना जाता था कि आकाशगंगाएं टक्कर, मिलन या आसपास के गुरुत्वाकर्षण के कारण घूमना शुरू करती हैं. लेकिन यह खोज पुराने विचार को चुनौती देती है. ये 14 आकाशगंगाएं युवा हैं, शांत हैं और ज्यादा बदलावों से नहीं गुजरीं, इनमे गैस भरपूर है और नई तारों का निर्माण तेजी से हो रहा है. इनकी यह हालत बताती है कि यह फिलामेंट मानो एक पुराना ब्रह्मांडीय निशान है. यह उस समय की जानकारी देता है जब शुरुआती ब्रह्मांड में पदार्थ बह रहा था. हो सकता है कि उसी बहाव ने इन आकाशगंगाओं को घूमने की ताकत दी हो. वैज्ञानिकों के अनुसार यह खोज साफ इशारा करती है कि आकाशगंगाओं का घूमना सिर्फ आसपास की चीजों से नहीं तय होता, बल्कि बहुत बड़े स्तर की ब्रह्मांडीय संरचनाएं इसे प्रभावित करती हैं.

गैलेक्‍सी बनने के पुराने मॉडल अब बदलेंगे

इतनी दूरी पर फैली आकाशगंगाओं का इतने सही तालमेल में घूमना अभी तक के विज्ञान मॉडल में शामिल नहीं था. यह खोज बताती है कि आकाशगंगा बनने की कहानी इससे कहीं ज्यादा बड़ी और जटिल हो सकती है, पूरा ब्रह्मांड शायद किसी बड़े घूमते हुए ढांचे की धारा में बना हो. अब वैज्ञानिक नए मॉडल और सिमुलेशन तैयार कर रहे हैं ताकि यह समझा जा सके कि इतने बड़े स्केल पर चीजें एक साथ कैसे घूमती हैं. एक ऐसा फिलामेंट, जो लाखों-करोड़ों प्रकाश-वर्ष तक फैला हो और जिसके अंदर दर्जनों आकाशगंगाएं एक सुर में घूम रही हों यह किसी साइंस फिक्शन जैसा लगता है, लेकिन यह खोज बताती है कि यह सच है.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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