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पाकिस्तान में ‘ईशनिंदा’ कानून को हथियार बनाकर अल्पसंख्यकों का कत्ल, कट्टरपंथियों के आगे इमरान सरकार बेबस

पाकिस्तान में ईशनिंदा का कानून दुनिया में सबसे सख्त है. इसमें फांसी की सजा तक का प्रावधान है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा का मामला कोर्ट में पहुंचे इससे पहले ही वहां कट्टरपंथियों की भीड़ आरोपी को पीट-पीट कर मार डालती है.

नेशनल कंटेंट सेल : पाकिस्तान में ‘ईशनिंदा’ कानून को हथियार बनाकर अल्पसंख्यकों का कत्ल किया जा रहा है. यहां के कट्टरपंथियों के आगे प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार नतमस्तक दिखाई दे रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि ‘ईशनिंदा’ को लेकर किसी मामले को अदालत तक पहुंचने से पहले ही यहां के कट्टरपंथी अल्पसंख्यक को मौत के घाट उतारने में गुरेज नहीं कर रहे हैं. अभी पिछले शुक्रवार को ही कट्टरपंथियों की भीड़ ने ‘ईशनिंदा’ के संदेह को लेकर सियालकोर्ट में कपड़ा फैक्टरी में श्रीलंकाई मैनेजर को मौत के घाट उतार दिया.

पाकिस्तान में सबसे सख्त है ‘ईशनिंदा’ कानून

पाकिस्तान में ईशनिंदा का कानून दुनिया में सबसे सख्त है. इसमें फांसी की सजा तक का प्रावधान है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा का मामला कोर्ट में पहुंचे इससे पहले ही वहां कट्टरपंथियों की भीड़ आरोपी को पीट-पीट कर मार डालती है. पाकिस्तान के निर्माण के बाद से ही वहां पर कट्टरपंथियों के हौसले बुलंद हैं. शुक्रवार को कट्टरपंथियों की भीड़ ने ईशनिंदा के संदेह में सियालकोट के कपड़ा फैक्टरी में श्रीलंकाई मैनेजर प्रियंता कुमारा दियावदना की पीट-पीट कर हत्या के बाद शव को जलाने के खौफनाक मामले ने पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया है.

अफवाहों के आधार पर कट्टरपंथियों के निशाने पर अल्पसंख्यकों का घर

ईशनिंदा से जुड़ा हत्या का मामला बहुत पुराना है. उग्र भीड़ सिर्फ अफवाहों के कारण पूरे-पूरे अल्पसंख्यक समुदाय के घरों को निशाना बनाया. उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. अमेरिकी सरकार के सलाहकार पैनल की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के किसी भी देश की तुलना में पाकिस्तान में सबसे अधिक ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग होता है. अंग्रेजो ने 1860 में ईशनिंदा कानून बनाया था. इसका मकसद धार्मिक झगड़ों को रोकना था. दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने या मान्यताओं या धार्मिक आयोजनों का अपमान करने पर इस कानून के तहत जुर्माना या एक से 10 साल की सजा होती थी.

पाकिस्तान में अब तक 78 लोगों की कोर्ट के बाहर हत्या

पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय ईशनिंदा का सबसे अधिक शिकार होते हैं. नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस की रिपोर्ट के मुताबिक 1987 से 2018 के बीच मुसलमानों के खिलाफ 776, अहमदिया समुदाय के खिलाफ 505, ईसाइयों के खिलाफ 226 और हिंदुओं के खिलाफ 30 ईशनिंदा के केस आये. इनमें से किसी को भी मौत की सजा नहीं मिली है, इसके बावजूद कोर्ट से बाहर अब तक 78 लोगों की हत्या की जा चुकी है. ईशनिंदा के ज्यादातर मामले फर्जी होते हैं जिन्हें कोर्ट खारिज कर देता है. लेकिन कट्टरपंथी इन्हें कभी माफ नहीं करते.

बरी होने के बाद भी आसिया बीबी का जीवन दुभर

आसिया बीबी पर आरोप था कि उन्होंने ‘कुएं से पानी पीकर उसे अपवित्र कर दिया’. 2010 में अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनायी थी. आसिया ने ईशनिंदा फैसले को चुनौती दी. हाईकोर्ट में अपील की. 2015 लाहौर हाइकोर्ट ने भी अपील खारिज कर दी जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंची. वर्ष 2018 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने आसिया के हक में फैसला सुनाते हुए उनकी सजा रद्द कर दी. ईशनिंदा के आरोप में जिंदगी के आठ साल जेल में गुजारने के बाद अब आसिया बीबी के लिए जिंदगी गुजारना आसान नहीं था, वह 2019 में कनाडा चली गयी.

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पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर कब-कब हुए बड़े हमले

  • 2009 में गोजरा के ईसाइयों के 40 से ज्यादा घरों और चर्च में आग लगा दी आठ ईसाई मारे गये

  • 2014 में गुजरांवाला में अहमदी समुदाय के तीन सदस्यों की हत्या कर दी गयी

  • 2019 में हिंदू डॉक्टर रमेश कुमार के क्लिनिक समेत कई हिंदू घरों को जला दिया

  • कोरोना के अवसाद में डॉक्टर ने की पत्नी व दोनों बच्चों की हत्या

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