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ताइवान के रक्षा क्षेत्र में चीन ने 3 दिन में उड़ाए 100 फाइटर प्लेन, तो अमेरिका ने दी चेतावनी, जानें पूरा मामला

बता दें कि ताइवान बीते एक साल से चीन की घटिया हरकतों की शिकायत करता आ रहा है.

नई दिल्ली : दक्षिण एशिया में चीन अपने विस्तारवादी रवैये से बाज नहीं आ रहा है. ताजा मामले के अनुसार, चीन ने 3 दिनों के भीतर ताइवान के रक्षा क्षेत्र में तकरीबन 100 फाइटर प्लेनों को उड़ाया. इसके जवाब में ताइवान ने भी चेतावनी देने के लिए चीन के इलाके में अपने लड़ाकू विमानों को भेज दिया. अब चीन की ओर से उठाए गए कदम से दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भड़क गया और उसने इस मामले में चीन को चेतावनी तक दे डाली. उसने चीन से उसकी उकसाने वाली सैन्य गतिविधियों पर रोक लगाने की चेतावनी दी है.

अमेरिका की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘हम बीजिंग से अपील करते हैं कि वह ताइवान पर सैन्य कार्रवाई, कूटनीतिक और आर्थिक दबाव के साथ दंडात्मक कार्रवाई करना बंद करे.’ ताइवान के रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीन की वायुसेना ने शुक्रवार, शनिवार और रविवार को फिर से सैन्य विमानों को भेजा है. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अकेले शनिवार को चीन की ओर से 39 सैन्य विमानों को ताइवान के रक्षा क्षेत्र में देखा गया था.

बता दें कि ताइवान बीते एक साल से चीन की घटिया हरकतों की शिकायत करता आ रहा है. बावजूद इसके वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. हालांकि, यह बात दीगर है कि ताइवान के रक्षा मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के बाद चीन ने अपनी गतिविधियों पर कोई टिप्पणी नहीं की है. अभी यह भी साफ नहीं है कि बीजिंग ने किन वजहों से इन मिशनों को माउंट करने का फैसला किया है. हालांकि, चर्चा यह भी की जा रही है कि शुक्रवार को चीन का राष्ट्रीय दिवस था और इस मौके पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए इस प्रकार के कदम उठाए हैं.

Also Read: ताइवान पर फिर दबाव बना रहा चीन, सबक सिखाने के लिए अमेरिका ने तैनात किये युद्धपोत

हालांकि, इससे पहले अपने बयानों में चीन पहले ही कह चुका है कि इस तरह की उड़ानें देश की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए थीं और इसका उद्देश्य ताइवान और अमेरिका के बीच मिलीभगत के खिलाफ है. बयान में कहा गया कि अमेरिका ताइवान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है और वहां की सरकार की पर्याप्त आत्मरक्षा क्षमता के लिए मदद करना जारी रखेगा. गृह युद्ध के बाद 1949 में ताइवान और चीन अलग हो गए थे. ‘कम्युनिस्ट’ समर्थकों ने चीन पर कब्जा कर लिया था और उसके प्रतिद्वंद्वी ‘नेशनलिस्ट’ समर्थकों ने ताइवान में सरकार बनाई थी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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