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भारत का यह पड़ोसी देश बना रहा है दुनिया का सबसे बड़ा नेशनल पार्क सिस्टम, अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया

World Largest National Park: चीन दुनिया का सबसे बड़ा नेशनल पार्क सिस्टम बना रहा है, जिसमें 2035 तक 49 पार्क शामिल होंगे. ये पार्क जैव विविधता, संकटग्रस्त प्रजातियों और प्राकृतिक आवास की सुरक्षा पर केंद्रित हैं. पर्यटन, रोजगार और संरक्षण साथ-साथ बढ़ रहे हैं, जिससे स्थानीय समुदायों को भी बड़ा लाभ मिल रहा है.

World Largest National Park: अमेरिका में हर साल करोड़ों लोग नेशनल पार्क घूमने जाते हैं. अलास्का का डेनाली हो या नॉर्थ कैरोलाइना का ग्रेट स्मोकी माउंटेन्स. 85 मिलियन एकड़ में फैला यह सिस्टम जंगल, पहाड़ और जानवरों की सुरक्षा के लिए जाना जाता है. लेकिन अब चीन ने एक ऐसा प्लान पेश किया है, जिसे पूरा कर लिया तो वह दुनिया का सबसे बड़ा नेशनल पार्क नेटवर्क बना देगा. इसका मकसद है कि प्रकृति को बचाना, जानवरों की रक्षा करना और दिखाना कि पर्यटन और पर्यावरण दोनों एक साथ चल सकते हैं.

चीन का लक्ष्य- 2035 तक 49 नेशनल पार्क

चीन की छवि दुनिया में बड़े प्रदूषक देश की है, मगर 2020 में उसने दावा किया कि वह 2060 तक कार्बन न्यूट्रल बनेगा. इसी दिशा में सरकार ने नेशनल पार्क सिस्टम बनाने की शुरुआत की. 2021 में चीन ने पहले पांच नेशनल पार्क लॉन्च किए, जो 88,000 वर्ग मील से ज्यादा इलाके को कवर करते हैं. इन पार्कों में देश की लगभग 30% सबसे अहम वन्य प्रजातियां रहती हैं जैसे कि नॉर्थईस्ट चाइना टाइगर एंड लेपर्ड पार्क में दुर्लभ बाघ-तेंदुए, हैनान ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट पार्क में दुर्लभ प्राइमेट्स और जायंट पांडा नेशनल पार्क में हजारों पांडा. आने वाले 10 साल में यह नेटवर्क 270 मिलियन एकड़ तक फैला दिया जाएगा, यानी अमेरिका के पूरे नेशनल पार्क सिस्टम से लगभग तीन गुना बड़ा.

पहले पांच पार्क बनने के बाद चीन में कई प्रजातियों की संख्या बढ़ने लगी है. तिब्बती हिरण 1980 के दशक में 20,000 से भी कम थे, जो अब 70,000 से ज्यादा हो गए हैं. हैनान गिबन 35 से बढ़कर 42 हो गए हैं और जंगली तेंदुए 42 से बढ़कर 80 तक पहुँच गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव प्राकृतिक आवास को फिर से सुधारने और पुराने जंगलों को वापस बढ़ाने की वजह से आया है.

World Largest National Park: कैसे चल रहा है सिस्टम

चीन के हर नेशनल पार्क में दो तरह के इलाके हैं कोर जोन, जहां इंसानी दखल लगभग नहीं होता, और बफर एरिया, जहां सीमित मात्रा में लोगों को घूमने की अनुमति दी जाती है. इसी बफर इलाके में पर्यटक पांडा और दूसरे दुर्लभ जीवों को उनके प्राकृतिक माहौल में देख सकते हैं. बीजिंग और शंघाई की तेज रफ्तार जिंदगी के बीच ये पार्क चीन का एक ऐसा चेहरा दिखाते हैं, जिसे बाहर वाले बहुत कम जानते हैं. नए पार्कों के लिए जिन इलाकों पर विचार हो रहा है, उनमें चिंगहाई-तिब्बत पठार, पीली नदी (Yellow River) बेसिन और यांग्त्जे नदी बेसिन शामिल हैं.

स्थानीय लोगों को मिला नया रास्ता

सरकार का कहना है कि नेशनल पार्क सिस्टम से दो बड़े फायदे हो रहे हैं एक तरफ जैव विविधता की सुरक्षा बढ़ रही है और दूसरी तरफ स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है. कई लोग पार्क रेंजर, गाइड और इको-टूरिज्म से जुड़े काम कर रहे हैं. कुछ पार्कों में नेचर ऑब्जर्वेशन और मॉनिटरिंग जैसे कार्यक्रम भी चल रहे हैं, जिससे साफ दिख रहा है कि संरक्षण और आमदनी दोनों चीजें साथ-साथ बढ़ सकती हैं.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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