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अमेजन के बीच बहती आग की नदी! जानें क्या है ‘Boiling River’ का रहस्य, जहां पानी उबलता है 100°C पर, वैज्ञानिक भी हैरान

Boiling River: अमेजन के जंगलों में बहती ‘Boiling River’ यानी शानाय-टिम्पिश्का बिना किसी ज्वालामुखी के 100°C तक उबलने वाली नदी है. यह विज्ञान, संस्कृति और प्रकृति का संगम है जहां स्थानीय मान्यताएं और आधुनिक शोध साथ-साथ चलते हैं. यह नदी प्रकृति की ताकत और रहस्य का सबसे जीवंत उदाहरण है.

Boiling River: सोचिए, एक ऐसी नदी जो उबलती है! सुनने में कहानी लगती है न? लेकिन ये कहानी नहीं, हकीकत है. दुनिया के सबसे बड़े जंगल अमेजन के बीचोंबीच बहती है पेरू की शानाय-टिम्पिश्का नदी जिसे लोग Boiling River यानी “उबलती नदी” कहते हैं. इस नदी का तापमान इतना ज्यादा होता है कि इसका पानी 210°F (लगभग 100°C) तक पहुंच जाता है. इतना कि अगर कोई जीव इसमें गिर जाए तो कुछ ही सेकंड में जल जाए. करीब 9 किलोमीटर लंबी यह नदी किसी ज्वालामुखी इलाके में नहीं है फिर भी लगातार उबलती रहती है. यही बात इसे रहस्यमयी और खास बनाती है. अमेजन के आदिवासी समुदाय इसे पवित्र मानते हैं. उनके लिए यह नदी सिर्फ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि आस्था और डर दोनों का प्रतीक है.

जब स्पेनिश खोजकर्ताओं ने सुनाई ‘उबलती नदी’ की कहानी

इस नदी का नाम पश्चिमी दुनिया तक तब पहुंचा जब स्पेनिश कॉन्क्विस्टाडोर अमेजन की जंगल यात्रा पर निकले थे. वे El Dorado सोने के शहर की तलाश में थे. उन्होंने लिखा कि घने जंगलों के बीच एक ऐसी नदी बहती है जो इतनी गर्म है कि इंसान को भी जला सकती है. उस वक्त किसी ने इन बातों पर यकीन नहीं किया. सबको लगा कि ये बस एक लोककथा है. सदियों बाद पेरू के भूवैज्ञानिक आंद्रेस रूजो (Andrés Ruzo) को अपनी चाची से पता चला कि ये नदी वाकई में असली है. उन्होंने बताया कि कभी-कभी भारी बारिश के बाद इसका पानी ठंडा हो जाता है और लोग उसमें नहा भी लेते हैं. यही सुनकर रूजो का शक जिज्ञासा में बदल गया और उन्होंने ठान लिया कि इस नदी का सच जानना ही होगा.

Boiling River: जब विज्ञान भी रह गया हैरान

आंद्रेस रूजो जब खुद अमेजन के अंदर तक पहुंचे तो उन्होंने देखा कि न कोई ज्वालामुखी न कोई फटती चट्टान फिर भी नदी का पानी उबल रहा था. उन्होंने तापमान मापा तो 210°F यानी पानी के उबलने का बिंदु. तुलना के लिए सोचिए कि आपकी कॉफी करीब 130°F की होती है. यानी यह नदी कॉफी से भी लगभग 80°F ज्यादा गर्म! यह नदी भूविज्ञान के लिए अब भी एक रहस्य है. इतनी गर्मी आखिर आती कहां से है?

वैज्ञानिक मानते हैं कि यह गर्मी शायद जमीन के नीचे किसी गहराई में मौजूद भू-तापीय सिस्टम से आती है, लेकिन अब तक इसका ठोस जवाब नहीं मिला. दूसरी तरफ स्थानीय जनजातियां सदियों से इस नदी के साथ जी रही हैं. वे इसका इस्तेमाल खाना पकाने, पानी गर्म करने और कुछ मेडिक्लिनल कामों में करती हैं. 

नदी की रक्षा के लिए चार बड़े लक्ष्य निर्धारित किए गए 

आंद्रेस रूजो ने स्थानीय शमानों और समुदाय की अनुमति लेकर The Boiling River Project शुरू किया. इसका मकसद था इस अनोखी नदी को समझना और उसकी रक्षा करना. इस प्रोजेक्ट के चार बड़े लक्ष्य हैं जिसमें शामिल है वैज्ञानिक अध्ययन इसमें यह पता लगाना है कि नदी का पानी इतना गर्म क्यों है. संरक्षण देना जो कि नदी के आसपास के जंगल और जीव-जंतुओं की सुरक्षा देना. संस्कृति की रक्षा करना जिसमें स्थानीय जनजातियों के ज्ञान और परंपरा को आगे बढ़ाना और जागरूकत बढ़ना जिससे कि दुनिया को इस नदी और इसके महत्व के बारे में पता चल सके. रूजो कहते हैं कि यह प्रोजेक्ट सिर्फ विज्ञान का नहीं, बल्कि लोगों और प्रकृति के रिश्ते को समझने का भी तरीका है.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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