Bangladesh Violence: बांग्लादेश इन दिनों बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहा है. जिस देश ने पिछले साल जुलाई में बड़े राजनीतिक बदलाव देखे थे, वही देश अब फिर से हिंसा, आगजनी और सड़कों पर उतरे गुस्से से जूझ रहा है. वजह है जुलाई आंदोलन के प्रमुख युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या. उनकी मौत के बाद हालात ऐसे बिगड़े कि ढाका से लेकर चटगांव तक विरोध, तोड़फोड़ और भारत-विरोधी नारों की गूंज सुनाई देने लगी.
Bangladesh Violence in Hindi: कौन थे शरीफ उस्मान हादी और कैसे हुई उनकी मौत
32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी छात्र-नेतृत्व वाले मंच इंकलाब मंच के वरिष्ठ नेता थे. वे जुलाई 2024 के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का अहम चेहरा रहे, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने में बड़ी भूमिका निभाई थी. हादी 12 फरवरी को होने वाले आम चुनाव में उम्मीदवार भी थे. 12 दिसंबर को ढाका के मध्य इलाके में एक मस्जिद से निकलते समय एक नकाबपोश बंदूकधारी ने उनके सिर में गोली मार दी थी. हालत गंभीर होने पर उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां छह दिन तक जिंदगी और मौत से लड़ने के बाद गुरुवार, 18 दिसंबर 2025 को उनका निधन हो गया.
हादी की मौत की पुष्टि करते हुए मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने देर रात राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने इस घटना को “देश के लिए अपूरणीय क्षति” बताया. यूनुस ने कहा कि हत्यारों को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाएगा. मामले की पूरी जांच चल रही है और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय शोक दिवस और देशभर में विशेष दुआओं की घोषणा की और नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की.
Bangladesh Violence After Sharif Osman Hadi killed: यूनुस के बयान के बाद सड़कों पर उतरा गुस्सा
यूनुस के संबोधन के तुरंत बाद हालात बिगड़ने लगे. ढाका विश्वविद्यालय के पास शाहबाग चौराहे पर सैकड़ों छात्र और आम नागरिक जमा हो गए. ‘तुम कौन हो, हम कौन हैं- हादी, हादी’ जैसे नारे गूंजने लगे. देखते ही देखते यह प्रदर्शन देशव्यापी अशांति में बदल गया. गुरुवार देर रात और शुक्रवार तड़के तक ढाका की सड़कों पर हजारों लोग उतर आए. प्रदर्शनकारियों का गुस्सा मीडिया पर भी फूटा.
देश के दो बड़े अखबारों प्रथोम आलो और द डेली स्टार के दफ्तरों पर हमला कर दिया गया. पीटीआई के अनुसार, करीब रात 11 बजे सैकड़ों प्रदर्शनकारी प्रथोम आलो के कार्यालय पहुंचे, इमारत को घेर लिया और कई मंजिलों में तोड़फोड़ की. आग लगा दी गई, जबकि उस समय पत्रकार और कर्मचारी अंदर फंसे हुए थे. दमकल विभाग ने आगजनी की कई घटनाओं की पुष्टि की है. (Bangladesh Violence After Sharif Osman Hadi killed in Hindi)
32 धानमंडी और सांस्कृतिक संस्थानों को भी नहीं छोड़ा
हिंसा यहीं नहीं रुकी. प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के ऐतिहासिक आवास ‘32 धानमंडी’ में भी तोड़फोड़ की. ढाका में मशहूर सांस्कृतिक संगठन ‘छाया नाट’ के कार्यालय पर हमला हुआ. फर्नीचर बाहर निकालकर आग लगा दी गई, जिससे इलाके में दहशत फैल गई.
भारत पर थोप रहा आरोप
हादी की हत्या के बाद विरोध प्रदर्शनों में भारत-विरोधी नारे भी तेज हो गए. छात्र आंदोलन से जुड़े संगठन ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के राजनीतिक दल नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के नेताओं ने आरोप लगाया कि हादी पर हमला करने वाला व्यक्ति वारदात के बाद भारत भाग गया. एनसीपी के प्रमुख नेता सरजिस आलम ने बेहद सख्त बयान दिया. पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि जब तक भारत हादी पर हमला करने वाले को वापस नहीं करता, तब तक बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग बंद कर देना चाहिए. अब या कभी नहीं. हम युद्ध की स्थिति में हैं. हादी के समर्थकों ने भी अंतरिम सरकार से यही मांग उठाई.
भारतीय राजनयिक परिसरों पर पथराव
तनाव बढ़ने के साथ चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास पर रात करीब 1:30 बजे पथराव किया गया. हालांकि किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई. ढाका और राजशाही में भी प्रदर्शनकारियों ने भारतीय राजनयिक परिसरों की ओर बढ़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस, बैरिकेड और लाठीचार्ज करना पड़ा. पुलिस ने 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और भारतीय अधिकारियों की सुरक्षा का भरोसा दिया. हिंसा सिर्फ राजधानी तक सीमित नहीं रही. राजशाही में अवामी लीग के एक कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया. ढाका से मयमनसिंह को जोड़ने वाला एक प्रमुख हाईवे जाम कर दिया गया. चटगांव में भी प्रदर्शनकारियों ने एक पूर्व मंत्री के आवास पर हमला किया, जैसा कि स्थानीय मीडिया ने बताया.
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