Osman Hadi’s death Media offices on Fire journalists targeted: बांग्लादेश के युवा सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देश में हिंसा भड़क उठी है. उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं और कई इलाकों में आगजनी, तोड़फोड़ और लूटपाट की घटनाएं सामने आई हैं. 2024 के छात्र आंदोलन से जुड़े प्रमुख नेता और इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी के सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई. हादी के निधन के बाद भड़की हिंसा के दौरान विशेष रूप से मीडिया संस्थानों और पत्रकारों को निशाना बनाया गया. मौत को उनके भारत-विरोधी और अवामी लीग विरोधी रुख से जोड़कर देखा जा रहा है. गुरुवार देर रात भड़की हिंसा के बाद ढाका और बांग्लादेश के कई अन्य शहरों में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा की वजह से व्यापक तोड़फोड़, आगजनी और सड़कों की नाकेबंदी हुई.
कैसे घटा रात का पूरा घटनाक्रम
पूरी रात चली यह अशांति हाल के वर्षों में मीडिया संस्थानों पर हुए सबसे गंभीर हमलों में से एक मानी जा रही है. इससे पत्रकारों में दहशत फैल गई और देश के बड़े हिस्से तनाव में आ गए. सबसे गंभीर घटनाओं में से एक करवान बाजार में हुई, जहां अंग्रेजी दैनिक द डेली स्टार और बांग्ला अखबार प्रोथोम आलो के कार्यालयों पर हमला किया गया. वहीं चट्टोग्राम में प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर धरना दिया.
एक पत्रकार के अनुसार, द डेली स्टार के न्यूजरूम स्टाफ को फोन के जरिए सूचना मिली कि प्रोथोम आलो के दफ्तर में तोड़फोड़ करने के बाद भीड़ उनके भवन की ओर बढ़ रही है. जैसे ही कर्मचारी बाहर निकलने की कोशिश करने लगे, भीड़ इमारत के ग्राउंड फ्लोर तक पहुंच गई और तोड़फोड़ शुरू कर दी, इसके बाद आग लगा दी गई. घना धुआं तेजी से फैल गया, जिससे नीचे उतरना असंभव हो गया. मजबूरन कुछ पत्रकार 10वीं मंजिल की छत पर चले गए, जहां 28 लोग फंस गए.
पत्रकार ने बताया कि एक कैंटीन कर्मचारी बाहरी फायर-एग्जिट सीढ़ी से नीचे उतरने की कोशिश कर रहा था, लेकिन जमीन पर पहुंचते ही भीड़ ने उसे पकड़कर पीट दिया. यह देखकर किसी और ने नीचे उतरने की हिम्मत नहीं की. बाद में दमकल कर्मियों ने निचली मंजिलों में लगी आग बुझाई और चार फायरफाइटर छत पर फंसे लोगों को निकालने पहुंचे. हालांकि, नीचे हमलावरों की मौजूदगी और तोड़फोड़ जारी रहने के कारण कर्मचारियों ने उतरने से इनकार कर दिया और छत का दरवाजा बंद कर लिया.
दमकल कर्मियों ने अंदर मौजूद लोगों को आश्वासन दिया कि नीचे सेना के जवान तैनात हैं. इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार जायमा इस्लाम ने फेसबुक पर लिखा, “मैं सांस नहीं ले पा रही हूं. बहुत धुआं है. मैं अंदर हूं. आप मुझे मारने की कोशिश कर रहे हैं.” एक अन्य पत्रकार ने बताया कि शुरुआत में कुछ कर्मचारियों को नीचे उतारा गया, लेकिन बाद में दमकलकर्मी खुद भी फंस गए. वहीं एडिटर्स काउंसिल के अध्यक्ष और न्यू एज के संपादक नूरुल कबीर तथा फोटोग्राफर शाहिदुल आलम मौके पर पहुंचे और हमलावरों को शांत करने की कोशिश की. लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के अनुसार, कबीर को “अवामी लीग का एजेंट” कहकर गाली दी गई, धक्का-मुक्की की गई और उनके बाल खींचे गए.
बाद में सेना ने रणनीतिक रूप से सीढ़ी का एक रास्ता खोला, लेकिन हमलावर उसी रास्ते से ऊपर चढ़ आए और दोबारा तोड़फोड़ और लूटपाट शुरू कर दी. अंततः द डेली स्टार के छत और इमारत के अंदर फंसे कर्मचारियों को फायर-एग्जिट सीढ़ी के जरिए पीछे के रास्ते से बाहर निकाला गया. यह निकासी सुबह करीब 3:45 बजे पूरी हुई. रिपोर्टों के अनुसार, चार घंटे से अधिक समय बाद कम से कम 25 पत्रकारों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. रात में हुई हिंसा को याद करते हुए एक पत्रकार ने कहा, “हम किस्मत वाले थे कि आज एक बड़े हादसे से बाल-बाल बचे. मुझे नहीं पता यह देश किस दिशा में जा रहा है.”
नहीं छपा शुक्रवार का पेपर
हमलों के बाद प्रोथोम आलो और द डेली स्टार दोनों ने घोषणा की कि वे शुक्रवार का प्रिंट संस्करण प्रकाशित नहीं करेंगे. बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों मीडिया संस्थानों की ऑनलाइन सेवाएं भी लगभग ठप हो गईं. वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि हमलों के तुरंत बाद सभी कर्मचारियों को इमारत खाली करने का आदेश दिया गया, जिससे प्रिंट और डिजिटल दोनों तरह का काम संभव नहीं हो सका.
करवान बाजार के अलावा भी अशांति फैल गई. धनमंडी में सांस्कृतिक संस्था छायानट पर रात 1 बजे के बाद हमला किया गया. प्रदर्शनकारी पीछे के प्रवेश द्वार से अंदर घुसे, व्यापक तोड़फोड़ और लूटपाट की और बाद में इमारत के सामने आग लगा दी. बाद में पुलिस और सेना ने स्थिति को नियंत्रित किया.
राजशाही में समय टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अवामी लीग के एक कार्यालय को बुलडोजर से गिरा दिया गया. चट्टोग्राम में प्रदर्शनकारियों ने रात करीब 11:15 बजे शोलोशहर इलाके में पूर्व मेयर एबीएम मोहिउद्दीन चौधरी (नौफेल) के घर में आग लगा दी. यह घर उनके बेटे, पूर्व शिक्षा मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी नौफेल इस्तेमाल करते थे. यही भीड़ रात में भारतीय उच्चायोग की ओर भी बढ़ी, हालांकि सुरक्षा बलों ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया.
सोशल मीडिया पर इस हमले के कई वीडियो सामने आए हैं. देखें-
मीडिया पर क्यों किया हमला
प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि प्रथोम आलो और डेली स्टार भारत के पक्ष में रिपोर्टिंग करते हैं और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रति नरम रुख अपनाते रहे हैं. गौरतलब है कि 2024 के छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना भारत में रह रही हैं. शरीफ उस्मान हादी को भारत और हसीना दोनों का मुखर आलोचक माना जाता था और वे आगामी आम चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर उतरने की तैयारी में थे.
हालांकि तेजी से बढ़ती हिंसा के बीच, इंकलाब मंच ने देर रात फेसबुक पर संयम बरतने की अपील जारी की. संगठन ने हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों का मकसद बांग्लादेश को एक राज्य के रूप में कमजोर करना है. नागरिकों से सरकार के साथ सहयोग करने और स्थिरता बनाए रखने की अपील की गई.
यूनुस ने की शांति की अपील
हादी की मौत के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख और मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने देश को संबोधित करते हुए उन्हें एक निडर फ्रंटलाइन फाइटर बताया और ‘फासीवादी आतंकवादियों’ को नाकाम करने का संकल्प दोहराया. इस बीच ढाका में प्रदर्शन कर रही भीड़ ने “भारतीय हस्तक्षेप खत्म करो” और “लीग से जुड़े लोगों को पकड़ो और मार डालो” जैसे उकसाऊ नारे लगाए. मुहम्मद यूनुस पहले ही देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील कर चुके थे. उन्होंने कहा था कि कानून व्यवस्था बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है और जांच एजेंसियों को स्वतंत्र व पेशेवर तरीके से काम करने दिया जाना चाहिए. यूनुस ने स्पष्ट किया कि सरकार कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
कौन थे उस्मान हादी?
शरीफ उस्मान हादी इंकलाब मंच के सह-संस्थापक और प्रवक्ता थे. यह संगठन बांग्लादेश में हालिया विद्रोह के बाद उभरा एक युवा राजनीतिक मंच है, जो न्याय, देश की संप्रभुता की रक्षा, विदेशी प्रभाव खासतौर पर भारतीय प्रभाव का विरोध और जुलाई आंदोलन के शहीदों के लिए जवाबदेही की मांग करता है. हादी आगामी 12 फरवरी 2026 को होने वाले राष्ट्रीय चुनावों में ढाका-8 सीट से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे.
32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी को 12 दिसंबर को ढाका के बिजोयनगर इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान मोटरसाइकिल सवार नकाबपोश हमलावरों ने सिर में गोली मार दी थी. यह हमला उस वक्त हुआ, जब उन्होंने कुछ ही समय पहले फेसबुक पर एक विवादित नक्शा साझा किया था, जिसमें पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों को मिलाकर ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ दिखाया गया था. इसके बाद इस हमले को लेकर भारत से जुड़े होने की अटकलें भी लगाई जाने लगीं.
हादी की मौत के बाद फिर हिंसा की आग
गंभीर रूप से घायल होने के बाद हादी को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां गुरुवार को उनकी मौत हो गई. जैसे ही यह खबर फैली, हजारों लोग शाहबाग चौराहे पर इकट्ठा हो गए और हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग करने लगे. भारत और शेख हसीना के खिलाफ नारेबाजी के साथ प्रदर्शन हिंसक हो गया, जो बाद में करवान बाजार तक फैल गया. फिलहाल ढाका में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है और मीडिया संस्थानों पर हुए हमलों की देश-विदेश में कड़ी निंदा की जा रही है.
ANI के इनपुट के साथ.
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