माले: मालदीव में एक बार रद्द होने के बाद दोबारा हो रहे राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पुलिस ने आज मतदान होने से रोक दिया जिससे देश नई राजनीतिक अनिश्चितता का शिकार हो गया है. देश के बड़े राजनीतिक दल मामले में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं.आज सुबह मतदान शुरु होने के कुछ ही मिनट पहले चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि पुलिस ने अपने अधिकारियों को मतदान व्यवस्था में भाग लेने से रोक दिया.
पुलिस प्रवक्ता अब्दुल्ला नवाज ने कहा कि मतदान इसलिए रोक दिया गया है क्योंकि चुनाव आयोग मतदाता सूची को राष्ट्रपति चुनाव के सभी प्रत्याशियों से सत्यापित कराने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कर सका है.उन्होंने कहा कि पुलिस ने राष्ट्रपति मोहम्मद वाहिद, सुरक्षा परिषद् और गृह मंत्रलय के साथ विमर्श के बाद यह निर्णय लिया है.
चुनाव आयोग के प्रमुख फवाद तौफीक ने कहा कि पुलिस ने उनके कार्यालय में प्रवेश करके उन्हें चुनावी सामग्री बांटने से रोक दिया. उन्होंने टीवी पर एक बयान में कहा, ‘यह लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है.’चुनाव आयोग ने पुलिस पर अपने अधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.तौफीक ने कहा, ‘‘अब क्या होगा और क्या नहीं, चुनाव हो या नहीं यह पुलिस के हाथ में है.’’उच्चतम न्यायालय द्वारा रद्द किए गए सात सिंतबर के पहले चरण के चुनाव में बहुतम हासिल करने वाले पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी(एमडीपी)ने इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की है. एमडीपी के प्रवक्ता अब्दुल गफूर ने कहा, ‘‘अब अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. हम इंतजार कर रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कब कर्रवाई करने का एहसास हो, वरना हम दूसरा बर्मा बन जाएंगे.’’
उन्होंने बताया, ‘‘राष्ट्रपति नशीद तो अपनी सूझबूझ और भारतीय उच्चायोग में शरण लेने के कारण बच गए.. यह चूहे बिल्ली का खेल है.’’ गफूर ने कहा कि पुलिस, सेना, राष्ट्रपति मोहम्मद वाहिद और उच्चतम न्यायालय सहित पूरा तंत्र लोकतांत्रिक प्रक्रिया का विरोध कर रहा है और फरवरी 2012 के तख्ता पलट के बाद पूरी दुनिया ने उन्हें मान्यता भी दे दी है.नशीद को पिछले वर्ष पद से हटाए जाने के बाद से ही मालदीव संकटों से घिरा हुआ है. नशीद आज के चुनाव के लिए तैयार थे, लेकिन पहले चरण में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे गासिम इब्राहीम और अब्दुला यमीन चुनावी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाना चाहते.
हावीरु समाचारपत्र की वेबसाइट के अनुसार, पुलिस का कहना है कि उसने मतदान होने से इसलिए रोका क्योंकि उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करके चुनाव कराने पर उसे राष्ट्रीय स्थिरता को खतरा होने का डर था.चुनाव आयोग के प्रमुख तौफीक ने कहा कि पुलिस की भूमिका सिर्फ मतदान पत्रों के प्रकाशन और परिवहन के दौरान उनकी सुरक्षा करने तक सीमित है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन्होंने हद पार कर दी है. उन्हें लगता है कि वे दादागिरी कर सकते हैं.. यह उनके अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है.’’