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भाजपा हासिल करेगी पूर्ण बहुमत:अनंत

न्यूयॉर्क : भाजपा ने आज कहा कि अगले साल के लोकसभा चुनाव उसके लिए ऐतिहासिक होंगे और पार्टी का दावा है कि देश में 1977 जैसा माहौल संप्रग सरकार को सत्ता से दूर कर देगा. भाजपा महासचिव अनंत कुमार ने दावा किया कि उनकी पार्टी को चुनावों में पूर्ण बहुमत मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘‘भारत में […]

न्यूयॉर्क : भाजपा ने आज कहा कि अगले साल के लोकसभा चुनाव उसके लिए ऐतिहासिक होंगे और पार्टी का दावा है कि देश में 1977 जैसा माहौल संप्रग सरकार को सत्ता से दूर कर देगा. भाजपा महासचिव अनंत कुमार ने दावा किया कि उनकी पार्टी को चुनावों में पूर्ण बहुमत मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘‘भारत में 1977 जैसा माहौल है जब देश में आपातकाल लगने के बाद चुनाव हुए थे. तब मतदाता चाहते थे कि इंदिरा गांधी जाएं और लोगों ने जनता पार्टी को खंडित जनादेश नहीं बल्कि पूर्ण बहुमत दिया जो आजादी के बाद से कई मायनों में अभूतपूर्व था.’’

अनंत ने कहा कि अगले चुनावों में भाजपा का नारा होगा, ‘‘कांग्रेस मुक्त भारत’’. उन्होंने कहा, ‘‘हम जनता से अनुरोध कर रहे हैं कि मनमोहन सिंह सरकार की तुलना वाजपेयी सरकार के ट्रैक रिकार्ड से करें और स्पष्ट निर्णय पर पहुंचें.देश के सामने बुनियादी मुद्दा सुशासन और विकास का है. भारत ने अटलजी की सरकार के काल में छह साल का स्वर्णिम समय देखा था लेकिन पिछले नौ साल में कांग्रेस और संप्रग देश को सुशासन से अंधकार युग की तरफ ले गये हैं.’’कुमार ने कहा कि अटलजी के कार्यकाल में विकास दर आठ प्रतिशत थी और मुद्रास्फीति तीन प्रतिशत नियंत्रित रखी गयी थी. वाजपेयी जी के दूरदृष्टि वाले नेतृत्व के कारण अर्थव्यवस्था मजबूत थी. लेकिन मनमोहन सिंह और उनकी टीम की गलत नीतियों के कारण देश 1991 से पहले के दिनों में पहुंच गया है जहां हमें अपने सोने के भंडार को गिरवी रखना पड़ा था.

अनंत कुमार ने कहा कि भारत के तीन अर्थशास्त्रियों- मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम और मोंटेक सिंह अहलूवालिया देश की मौजूदा आर्थिक हालत के लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें इसकी जवाबदेही स्वीकार करनी चाहिए. नरेंद्र मोदी के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री अब नये रॉक स्टार हैं और उन्हें युवाओं तथा कॉलेज जाने वाले छात्रों के मित्र के तौर पर देखा जाता है.

उन्होंने कहा, ‘‘युवा शक्ति को अनदेखा नहीं किया जा सकता और अब वे बहुत मजबूत हो गये हैं और भारतीय राजनीति को समझते हैं. 18 से 25 साल की आयुवर्ग के लोगों ने भारत का भविष्य बदलने का फैसला किया है और वे सभी मोदी के प्रशंसक हैं और बदलाव की मांग करते हैं.’’गठबंधन के सवाल पर अनंत कुमार ने कहा कि यह कांग्रेस के खिलाफ, भ्रष्टाचार के खिलाफ तथा मतदाता द्वारा दिये गये अधिकारों के दुरपयोग के खिलाफ लड़ाई है.

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि हमारे जैसे विचारों वाले दल हमें सहयोग दें. किसी भी स्थिति में चुनाव के बाद गठबंधन की संभावनाएं हैं जैसा कि अटलजी ने केंद्र में राजग का गठबंधन बनाया था.’’अमेरिका की पांच दिन की यात्र पर भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के साथ आये कुमार ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि भाजपा खुद को चुनाव लड़ने के लिए तैयार कर रही है. हम अन्नाद्रमुक जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन के खिलाफ नहीं हैं लेकिन मुझे लगता है कि जब भाजपा अग्रिम और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी तो एक जैसे विचारों वाले दलों का चुनाव पश्चात गठबंधन बनेगा.’’उन्होंने कहा कि बिहार में विश्वासघात के खिलाफ जनता का गुस्सा साफ जाहिर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अस्थिरता के चंगुल में हैं और कांग्रेस की दया पर टिके हैं.

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘नीतीश कुमार को अपने फैसले पर पछतावा होगा और मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा, अगर वह बिहार में मतदाता के मूड को देखते हुए चुनावों से पहले अपनी सोच बदल लें.’’ अनंत ने कहा कि तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, पूर्वोत्तर राज्यों और ओडिशा जैसे राज्यों को लेकर भी देश को आश्चर्यचकित करने वाले नतीजे देखने को मिलेंगे जहां भाजपा को बहुत मजबूत स्थिति में नहीं माना जाता.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत को एक मजबूत और निर्णायक नेतृत्व की जरुरत है और कमजोर नेतृत्व की जरुरत नहीं है जो आंतरिक और बाहरी तौर पर दबाव में है. भारत 1977 से काफी आगे आ गया है और कुल मिलाकर जागरकता आई है जिसका श्रेय सोशल मीडिया, टीवी और साक्षरता को जाता है.’’

उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर छद्म सरकार चलाने का आरोप लगाया. अनंत ने कहा, ‘‘राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री के पद के लिए कोई दावेदारी और कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. जब हम इस दिशा में बढ़ेंगे तो तस्वीर साफ होती जाएगी और संसदीय बोर्ड उम्मीदवार का नाम तय करेगा. हम इस बारे में किसी सवाल से बच नहीं रहे.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस चुनाव को धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता की बहस के साथ लड़ने के प्रयास में है.

भाजपा महासचिव के मुताबिक, ‘‘हम सुशासन के एजेंडे पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. लोग धर्मनिरपेक्षता में नहीं बल्कि राष्ट्रवाद में रचि रखते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आजाद भारत के पिछले 63 सालों में कांग्रेस ने खुलकर हर तरह की और हर रंग की सांप्रदायिक राजनीति की है. वे अपनी वोट बैंक की और तुष्टीकरण की राजनीति के लिए, विभाजनकारी सियासत के लिए जाने जाते हैं.’’

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