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फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद की राष्ट्रीय एकजुटता की अपील, दुनियाभर में हो रही आतंकी हमले की निंदा

पेरिस : फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक व्यंग्यात्मक पत्रिका के कार्यालय पर आतंकी हमले में इसके संपादक, कार्टूनिस्ट समेत 12 की निर्मम हत्या ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. दुनियाभर से मीडिया पर हुए इस बर्बर हमले की निंदा की आवाज सुनाई देने लगी है. शार्ली एबदो नाम की इस मैगजीन […]

पेरिस : फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक व्यंग्यात्मक पत्रिका के कार्यालय पर आतंकी हमले में इसके संपादक, कार्टूनिस्ट समेत 12 की निर्मम हत्या ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. दुनियाभर से मीडिया पर हुए इस बर्बर हमले की निंदा की आवाज सुनाई देने लगी है.
शार्ली एबदो नाम की इस मैगजीन के दफ्तर में गोलीबारी के फौरन बाद मौके पर पहुंचे फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने इसे एक बर्बर आतंकवादी हमला बताया. ओलांद ने घटनास्थल पर कहा, यह एक असाधारण बर्बर हरकत है, जिसे अभी-अभी यहां पेरिस में एक अखबार के खिलाफ अंजाम दिया गया है, जिसका मतलब स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के खिलाफ हमला है. गोलीबारी के चश्मदीद रहे एक व्यक्ति ने बताया कि उसने स्थानीय समय के मुताबिक सुबह करीब साढे ग्यारह बजे दो हमलावरों को शार्ली एबदो में गोलीबारी करते हुए निकलते देखा.
इस व्यक्ति ने बताया, मैंने उन्हें वहां से जाते और गोलीबारी करते देखा. वे नकाब पहने हुए थे. ओलांद ने राष्ट्रीय एकजुटता की अपील करते हुए कहा है, हाल के हफ्तों में कई आतंकवादी हमलों को नाकाम किया गया है. व्हाइट हाउस (अमेरिका) ने इस हमले की सख्त शब्दों में निंदा की है जबकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इसे घिनौना करार दिया.
गौरतलब है कि आज की गोलीबारी फ्रांस में दशकों में हुआ सबसे वीभत्स हमला है. इसके पहले वर्ष 1995 में एक ट्रेन में रखे गए एक बम में पेरिस के सेंट माइकल मेट्रो स्टेशन विस्फोट होने से आठ लोग मारे गए थे जबकि 119 अन्य घायल हुए थे.
फ्रांस का यह व्यंग्यात्मक अखबार फरवरी 2006 में पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छापने को लेकर चर्चा में आया था, जिसे इस्लाम में ईशनिंदा माना जाता है. हालांकि, यह मूल रुप से डेनिश अखबार जेलैंड्स पोस्ट में प्रकाशित हुआ था जिसे शार्ली एबदो ने दोबारा प्रकाशित किया था. इस कार्टून को लेकर मुस्लिम जगत में रोष छा गया था.
इसके कार्यालयों पर नवंबर 2011 में गोलीबारी हुई थी और बम फेंके गए थे, जब इसने पैगंबर का कार्टून प्रकाशित किया था. ऐसा किया जाना इस्लाम की मान्यता के खिलाफ है.
इस हमले के बारे में सूत्रों का कहना है कि इराक और सीरिया में हुए संघर्ष का असर फ्रांस एवं अन्य यूरोपीय देशों में पड़ने की आशंका बढने के बीच ये हमले हुए हैं. आइएस संगठन की ओर से लड़ने के लिए सैकड़ों की संख्या में यूरोपीय नागरिक इराक और सीरिया गए थे.
Prabhat Khabar Digital Desk
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