ईरानी सेना के मिसाइल हमले में एक यात्री विमान के मार गिराये जाने के बाद बड़ी तादाद में लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अमेरिका द्वारा ईरानी सैन्य कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मारे जाने पर ईरान ने जवाबी कार्रवाई में यह हमला किया था. ईरान में जारी अस्थिरता और आर्थिक मंदी से जूझ रही जनता पिछले नवंबर महीने से ही आक्रोशित है. नये घटनाक्रम के बाद ईरान सरकार के खिलाफ तेहरान समेत देश के अलग-अलग शहरों में लोग मुखर हो रहे हैं.
बीते शनिवार को इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कार्प्स (आइआरजीसी) एयरोस्पेस डिवीजन के कमांडर जरनल अमीर अली हाजीजादेह ने सार्वजनिक रूप से इस बात को स्वीकार किया कि ईरान के हवाई रक्षा बलों (एयर डिफेंस फोर्सेस) ने गलती से यूक्रेन के अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस के विमान पीएस752 को मार गिराया था.हाजीजादेह की इस स्वीकृति के थोड़े समय बाद ही छात्रों ने तेहरान में सराकर विरोधी प्रदर्शन शुरू कर दिया. ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद अमेरिका विरोधी प्रदर्शन में पूरे ईरान में एकजुटता दिखायी दी थी. लेकिन, यूक्रेनी विमान मार गिराने की स्वीकारोक्ति के बाद यह एकता तुरंत ही सरकार की नाकामी के खिलाफ आक्रोश में बदल गयी.
प्रदर्शनकारियों में गुस्सा है कि सरकार ने तीन दिन तक इस बात को छुपाये रखा. तेहरान स्थित आल्लामेह ताबाताबायी विश्वविद्यालय के छात्र नेता मित्र जाफरी ने कहा कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि ईरानी अधिकारियों ने यूक्रेन और कनाडा सरकार के दबाव में विमान दुर्घटना की जिम्मेदारी ली हो, जबकि इसका असली कारण कुछ और हो? हालांकि, ईरान ने इस हादसे से जुड़ी किसी भी जानकारी को छुपाने से इनकार किया है.
दुर्घटना में मारे गये थे सभी यात्री
बोइंग 737-800 यात्री विमान तेहरान के इमाम खोमैनी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से 8 जनवरी को उड़ान भरने के थोड़ी देर बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस हादसे में विमान में सवार कुल 176 लोगों की मौत हो गयी थी. विमान में सवार अधिकांश नागरिक ईरान के थे, जबकि कुछ नागरिक कनाडा व यूक्रेन के थे.
विमान के उड़ान भरने के घंटे भर बाद ही ईरान ने इराक के उन दो ठिकानों पर एक दर्जन से अधिक मिसाइल दागे थे, जहां अमेरिकी सैनिक तैनात थे. ईरान ने अपने सैन्य जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए मिसाइल हमला किया था. इसी तीन जनवरी को अमेरिकी हमले में सुलेमानी मारे गये थे.
जनता के भरोसे का अंतिम संस्कार : तेहरान जर्नलिस्ट एसोसिएशन
तेहरान प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं. सड़कों पर उतरे लोगों द्वारा नारे लगाये जा रहे हैं- चाहे नरमपंथी हों या कट्टरपंथी, खेल खत्म हो चुका है. तेहरान जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ कहा है- ‘राजनीतिक प्रतिष्ठान और यथास्थिति में हम जनता के भरोसे का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.’ इन प्रदर्शनों में लगनेवाले नारे ईरानी नेतृत्व पर सीधा प्रहार हैं- ‘हमारा कलंक, हमारा कलंक, हमारे गूंगे नेता’, ‘अक्षम नेता इस्तीफा दो, इस्तीफा दो’, ‘सभी बलों के कमांडर-इन-चीफ इस्तीफा दो, इस्तीफा दो’, ‘हमें देशद्रोही मत कहो, तुम्हारा दमन द्रेशद्रोह है’, ‘जनमत संग्रह, जनमत संग्रह कि लोगों को कैसे बचाया जाये’ और ‘न्यायशास्त्र के संरक्षक सिद्धांतों की मृत्यु’. इन नारों से स्पष्ट है कि सरकार कितने गंभीर संकट का सामना कर रही है.
खामनेई नेतृत्व के योग्य नहीं : मेहदी करौबी
वर्ष 2011 से नजरबंद ग्रीन मूवमेंट के विपक्षी नेता मेहदी करौबी ने कहा कि सर्वोच्च नेता अली होसैनी खामनेई नेतृत्व के योग्य नहीं हैं. करौबी ने लिखित में कहा कि विमान दुर्घटना का पता लगने के बावजूद अगर आपने सेना, सुरक्षा और प्रचार अधिकारियों को यह अनुमति दी कि वे जनता को छलें तो निस्संदेह, संविधान के अनुसार आपके पास नेतृत्व करने की आवश्यक योग्यता नहीं है. ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफसंजानी की बेटी फैजेह हाशमी ने भी खामनेई की आलोचना की है.
सुलेमानी के खिलाफ लगे नारे
प्रदर्शनकारियों ने दिवंगत जनरल सुलेमानी के खिलाफ भी नारे लगाये. उन्होंने सुलेमानी की याद में लगाये गये पोस्टरों को भी फाड़ दिया. छात्र नेता मित्र जाफरी का कहना है कि विरोध प्रदर्शन की यह लहर पूर्व के प्रदर्शनों से अलग है, क्योंकि इसमें मांगों का दायरा, उनकी प्रकृति और उनके लक्ष्य अधिक स्पष्ट हैं. तेहरान में कुछ प्रदर्शनकारी तो यह भी कह रहे थे कि हमारा दुश्मन यहीं है, वे झूठ बोलते हैं कि वह अमेरिका है.
शीर्ष कमांडर के इस्तीफे की मांग
पिछले रविवार ईरानी संसद यानी मजलिस में हुई एक बैठक में आइआरजीसी के कमांडर-इन-चीफ मेजर जनरल होसैन सलामी ने कहा कि रक्षा प्रतिष्ठान अगर चाहता, तो सच्चाई छिपा सकता था. प्रतिष्ठान ने ही इस बात का खुलासा किया था कि उनके मिसाइल ने विमान को मार गिराया है.
अगर उसने नहीं बताया हाेता तो किसी को इस बारे में कुछ पता नहीं चलता. ईरानी दैनिक एत्तेमाद के संवाददाता मिलाद अलावी के अनुसार, आइआरजीसी की भूमिका को लेकर संसद अभी भी बंटी हुई है. कट्टरपंथी सांसद जहां आइआरजीसी और ईरान को सुरक्षित रखने के इसके प्रयासों की प्रशंसा कर रहे हैं, वहीं नरमपंथी इसकी गतिविधियों को लेकर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं और शीर्ष कमांडरों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
नेतृत्व और अार्थिक अव्यवस्था के खिलाफ आक्रोश
ईरान में जारी आर्थिक कुप्रबंधन के खिलाफ लोगों में तेजी से गुस्सा बढ़ रहा है. मौजूदा प्रदर्शन में आर्थिक स्तर पर सरकारी रवैये और शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ नारेबाजी हो रही है. ईरान की अर्थव्यवस्था में अनियंत्रित गिरावट हो रही है.
ईरान अमेरिका द्वारा आर्थिक दबाव की नयी मुहिम का सामना कर रहा है. ईरान ने 2015 के नाभिकीय समझौते में शामिल यूरोपीय देशों से समझौते के तहत आर्थिक मदद प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को दोबारा शुरू करने की कोशिश करता रहा. ईरान के इस रवैये से यूरोपीय देश इस समझौते को एक साथ मिलकर खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
आर्थिक मंदी से गुस्से में लोग : डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरान सरकार को समझौते पर विवश करने के लिए अधिकतम दबाव बनायेंगे. लेकिन ईरानी नेतृत्व अडिग रहा. अमेरिका द्वारा लगाये गये आर्थिक प्रतिबंधों के बाद ईरानी अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है. आम जनजीवन में बढ़ रही दुश्वारियों से नाराज जनता पिछले नवंबर से प्रदर्शन कर रही है. हालांकि, प्रशासन द्वारा बड़ी निर्दयता के साथ आंदोलनों को कुचलने की कोशिश की गयी.
ईरान के केंद्रीय बैंक के अनुसार, साल 2017 में ईरानी जीडीपी गिरकर 3.7 प्रतिशत पर आ गयी. आर्थिक मंदी की आहट से लोगों में अंसतोष बढ़ा और सरकार विरोधी धरना-प्रदर्शन शुरू हो गये थे. साल 2018 में अमेरिका द्वारा ऊर्जा, नौवहन और वित्तीय क्षेत्र पर आर्थिक प्रतिबंध थोपे जाने के बाद विदेशी निवेश का सूखा पड़ गया और तेल निर्यात पर बुरा असर पड़ा.
अमेरिका के अलावा कई विदेशी कंपनियों का ईरान में कारोबार बंद हो गया, जिसका सर्वाधिक असर ईरान पर पड़ा. ईरान के तेल निर्यात को खत्म करने की अमेरिका की धमकी के बाद ईरानी अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है. साथ ही 2018 के मुकाबले 2019 में बेरोजगारी दर 14.5 प्रतिशत से बढ़कर 16.8 प्रतिशत पर पहुंच गयी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने साल 2020 में ईरान की अार्थिक विकास दर को शून्य हो जाने की आशंका व्यक्त की है.
हिंसात्मक तरीकों से दूरी
सरकार विरोधी देशव्यापी प्रदर्शनों की एक अन्य विशेषता सुरक्षाबलों द्वारा दमनात्मक कार्रवाई के बावजूद प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंसा का सहारा न लेना है. यह प्रदर्शन पूर्व के हिंसात्मक प्रदर्शन से एकदम अलग है.
तेहरान के अलावा कई शहरों में हो रहे प्रदर्शन
सोशल मीडिया पर शेयर किये जा रहे वीडियो में प्रदर्शनकारियों को ईरान सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए देखा जा सकता है. प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं. तेहरान के आजादी स्क्वायर पर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया.
ईरानी न्यूज एजेंसी फार्स का दावा है कि प्रदर्शन तेहरान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश के कई अन्य शहरों में तेजी से बढ़ रहा है. बीते शनिवार को छात्रों के समूह ने इकट्ठा होकर विमान में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि दी और इसके बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. ईरान की मीडिया भी इसे शर्मनाक और अक्षम्य बता रही है. सरकार समर्थित अखबारों ने सरकार की ओर से गलती स्वीकार किये जाने को साहसिक कदम बताया है.
ओलिंपिक मेडल विजेता ने छोड़ा देश
ईरान की एकमात्र महिला ओलिंपिक पदक विजेता 21 वर्षीय किमिया अलीजादेह ने देश छोड़ने का फैसला किया है. सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा कि वे ईरान में झूठ, अन्याय और चापलूसी का हिस्सा नहीं बनना चाहती हैं. ईरान में महिलाओं की स्थिति पर भी उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि लाखों महिलाओं को सताया जा रहा है, जिसमें वे भी शामिल हैं. किमिया ने 2016 के रियो अोलंपिक में ताइक्वांडो में कांस्य पदक जीता था.
किमिया का कहना है कि सरकार ने उनकी कामयाबी का राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल किया, लेकिन अधिकारियों ने उनका अपमान करना जारी रखा. ईरान के राजनेता अब्दुल करीम हुसेनजादेह ने इसके लिए अयोग अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है. ईरानी समाचार एजेंसी इसना का दावा कि अलीजादेह नीदरलैंड में बसी हैं. रिपोर्ट के अनुसार, उम्मीद है कि अलीजादेह 2020 के टोक्यो ओलंपिक में शामिल होंगी, लेकिन ईरान का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगी.
लगातार हो रहे हैं विरोध
ईरान द्वारा यूक्रेनी जहाज गिराये जाने के बाद हो रहे प्रदर्शन असल में पिछले कुछ सालों से लगातार हो रहे विरोधों की कड़ी ही है. हालांकि, सभी प्रदर्शनों के पीछे कुछ तात्कालिक कारण रहे हैं, पर अंततः हर विरोध में ईरानी शासन से धार्मिक मुल्ला समूह के नियंत्रण को समाप्त करने की मांग की जाती है. मौजूदा विरोध में भी अयातुल्लाह अली खामनेई से पद छोड़ने को कहा जा रहा है. ईरानी शासन को 1979 में सत्ता संभालने के बाद पहली सबसे बड़ी चुनौती 2009 में राष्ट्रपति चुनाव में हुई कथित धांधली के बाद हुए देशव्यापी प्रदर्शनों से मिली थी.
ये विरोध 13 जून, 2009 से शुरू हुए थे और 11 फरवरी, 2010 तक जारी रहे थे. चुनाव में महमूद अहमदीनिजाद दुबारा निर्वाचित हुए थे. गार्डियन काउंसिल (12 सदस्यीय शूरा, जो बेहद ताकतवर संस्था है) ने आंशिक जांच करायी थी और खामनेई ने परिणाम को सही बताते हुए विरोधों को बर्दाश्त नहीं करने की चेतावनी दी थी.
आम तौर पर यह माना जाता है कि उस चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी और उदारवादी उम्मीदवारों को हरा दिया गया था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन प्रदर्शनों में 36 लोग मारे गये थे, जबकि विपक्ष का कहना था कि मृतकों की संख्या 72 थी. कम-से-कम चार हजार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था.
इसके बाद दूसरा बड़ा विरोध 28 दिसंबर, 2017 से सात जनवरी, 2018 तक चला. इसमें मुख्य रूप से आर्थिक समस्याओं, भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया गया था, पर जल्दी ही प्रदर्शनकारियों ने धार्मिक शासन और खामनेई को हटाने की मांग शुरू कर दी. इस विरोध में करीब 25 प्रदर्शनकारी मारे गये थे और पांच हजार लोगों को हिरासत में लिया गया था. पिछले साल 15 नवंबर को ईरान सरकार द्वारा तेल की कीमतें बढ़ाने के बाद समूचे देश में विरोध भड़क गया था, जो अभी भी जारी है.
17 को खामनेई करेंगे खिताब
ईरानी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामनेई 17 जनवरी को तेहरान की एक मस्जिद में नमाज का नेतृत्व करेंगे. इसके बाद वे खिताब करेंगे. तेहरान की मस्जिद में शुक्रवार को होनेवाला खिताब शासन द्वारा जनता, मीडिया और सरकारी तंत्र को संदेश देने का पारंपरिक तरीका है. यहां और देश के अन्य मस्जिदों के शुक्रवार के खिताब चुनिंदा मौलानाओं द्वारा दिये जाते हैं और इसे खामनेई की निगरानी में तैयार किया जाता है.
इससे पहले खामनेई ने 2012 में मस्जिद से शुक्रवार को खिताब के जरिये तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के एक बयान का जवाब दिया था. तब ओबामा ने ईरानी परमाणु कार्यक्रम के बारे में कहा था कि अमेरिका के सामने सभी विकल्प खुले हैं. इस पर खामनेई ने चेताया था कि युद्ध की धमकी अमेरिका के लिए महंगा पड़ सकता है और युद्ध उससे भी दस गुना अधिक महंगा होगा.
रिपोर्टों में न तो इस खिताब की वजहों की जानकारी दी गयी है और न ही इसके विषय के बारे में बताया गया है. परंतु ऐसा माना जा रहा है कि जनरल सुलेमानी की हत्या, ईरान-अमेरिका में तनातनी, यूक्रेनी जहाज को गिराया जाना और ईरान में हो रहे प्रदर्शनों के बारे में भी खामनेई भाषण देंगे. इससे यह भी इंगित होता है कि ईरानी शासन अंदरूनी और बाहरी कारकों के कारण दबाव में है.