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तीन दिन टाना भगतों के बीच रहे महात्मा, पीढ़ि‍यों पर रहा असर

प्रो सचिंद्र नारायण गांधी जी का व्यक्तित्व ऐसा है कि जो भी उनके संपर्क में आया, वह उनसे इतना प्रभावित हो जाता था कि उनके जीवन को आत्मसात कर लेता था. मौजूदा वक्त में गांधी जी के विचार और विचारधारा से शायद ही कोई देश ऐसा है जो उनसे प्रभावित नहीं है. मेरी समझ से […]

प्रो सचिंद्र नारायण

गांधी जी का व्यक्तित्व ऐसा है कि जो भी उनके संपर्क में आया, वह उनसे इतना प्रभावित हो जाता था कि उनके जीवन को आत्मसात कर लेता था. मौजूदा वक्त में गांधी जी के विचार और विचारधारा से शायद ही कोई देश ऐसा है जो उनसे प्रभावित नहीं है. मेरी समझ से ऐसा कोई देश नहीं जो गांधी और उनके विचारों से प्रभावित न हो. गांधी जी न केवल शहरों में, बल्कि गांवों में और आदवासियों के बीच भी बेहद लोकप्रिय रहे. इसका एक उदाहरण टाना भगत हैं.
टाना भगत एक जनजाति है जिनके बीच गांधी जी तीन दिन रहे और इस प्रवास का असर है कि टाना भगत आज भी उनके विचारों को नहीं छोड़ सके.यह समाज अब भी गांधी के विचारों को जीवित रखे हुए है. टाना भगत की जीवनशैली गांधी जी के विचारों से प्रभावित है.
वे सुबह दिनचर्या के बाद गांधी जी के भजन से दिन की शुरुआत करते हैं. उसे बाद तिरंगे को फहराते हैं. धूप-दीप दिखाते हैं, सूर्य को प्रणाम करते हैं,चरखा चलाते हैं, झंडे को उतारते हैं और चंद्रमा को प्रणाम कर सोने चले जाते हैं. वे शाकाहारी हैं. वे वही खाते हैं जो उपजाते हैं. वे घर से बाहर बना हुआ खाना नहीं खाते हैं न ही पानी पीते हैं. आमतौर पर वे वही कपड़े पहनते हैं जिसे वे खुद बनाते हैं.
विवाह भी उनके दहेजमुक्त हैं. विवाह के पूर्व ही लड़के या लड़की को यह बता दिया जाता है कि उन्हें अपने काते हुए सूत से बनाये कपड़े का ही प्रयोग करना है. यदि विवाह टाना भगत से बाहर हो रहा है तो लड़का अथवा लड़की दोनों को टाना भगत के रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है. जब वे उसे पालन करने का वचन देते हैं, तभी उनकी शादी करायी जाती है.
एक बार टाना भगत में आ जाने के बाद वे इससे बाहर नहीं जा सकते. टाना भगत गांधी जी के सच्चे अनुयायी हैं और अंग्रेजों को देश से भगाने और भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इन लोगों ने जमीन का लगान देना बंद कर दिया था. इसके कारण अंग्रेजों ने उनकी जमीन नीलाम कर दी. आज भी ज्यादातर टाना भगतों को उनकी जमीन वापस नहीं हो सकी हैं.
हालांकि, सरकार ने देश की आजादी के बाद एक अध्यादेश निकाला था कि जिन टाना भगतों की जमीन सरकार ने ले ली थी, उसे वापस कर दी जाये, लेकिन किन्हीं वजहों से और टाना भगतों में जागरूकता के अभाव के चलते कई को अब भी जमीन नहीं मिल सकी.टाना भगतों में देश के प्रति समर्पण की भावना अनुकरणीय है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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