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आतंकपरस्त नीतियों से दुनियाभर में फजीहत पाकिस्तानी जमीन पर पल रहे हथियारबंद जिहादियों की संख्या बता कर प्रधानमंत्री इमरान खान ने दुनिया के सामने एक नया ढोंग रचा है. दरअसल, नफरत और साजिश की नीतियों के रास्ते पर पाकिस्तानी सत्ता को चलानेवाली वहां की सेना और आइएसआइ ऐसे प्रपंच रचने में माहिर है. आतंकवाद से […]

आतंकपरस्त नीतियों से दुनियाभर में फजीहत

पाकिस्तानी जमीन पर पल रहे हथियारबंद जिहादियों की संख्या बता कर प्रधानमंत्री इमरान खान ने दुनिया के सामने एक नया ढोंग रचा है. दरअसल, नफरत और साजिश की नीतियों के रास्ते पर पाकिस्तानी सत्ता को चलानेवाली वहां की सेना और आइएसआइ ऐसे प्रपंच रचने में माहिर है. आतंकवाद से खुद को पीड़ित बताना और जम्मू-कश्मीर व अफगानिस्तान समेत समूचे दक्षिण एशिया में आतंकियों की सप्लाई करना पाकिस्तान की राष्ट्रीय नीति है. आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मुहिम में पाकिस्तान की छद्म भूमिका उसे गैर जिम्मेदार मुल्क की पहचान दे चुकी है. इमरान के हालिया बयान के निहितार्थ, पाकिस्तान में आतंकियों की मौजूदगी और विशेषज्ञ की टिप्पणी के साथ प्रस्तुत है आज का इन-दिनों…

पाकिस्तान प्रायोजित आतंक
पाकिस्तान पर आतंकियों को पालने का आरोप भारत, अफगानिस्तान और ईरान ही नहीं, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देश भी लगाते हैं. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अफगानिस्तान से लगे सीमावर्ती जनजातीय इलाकों में पाकिस्तानी सह पर कई आतंकी कैंप संचालित हो रहे हैं.
वर्ष 1979 से ही पाकिस्तान धार्मिक उन्मादियों को संरक्षण देकर दक्षिण एशिया क्षेत्र में अातंक को उकसावा दे रहा है. भारत के खिलाफ आतंकियों को फंडिंग, ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराने में आइएसआइ और पाकिस्तानी सेना की सक्रिय भूमिका है.
अफगान आतंकियों से जुड़े पाकिस्तानी आतंकी
बीते 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट के आतंकी कैंपों पर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी अातंकियों ने नये सिरे से तैयारी शुरू कर दी है. इंटेलीजेंस इनपुट के अनुसार पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तयबा ने अफगान चरमपंथी संगठनों हक्कानी नेटवर्क और अफगान तालिबान से साथ हाथ मिलाया है. पाकिस्तानी आतंकी अपने कैंपों को अफगानिस्तान से लगी अंतराष्ट्रीय सीमा के निकट कांधार और कुनार में शिफ्ट कर रहे हैं.
वैश्विक आतंकियों की भी पनाहगाह
भारत में हमले के आरोपी आतंकी पाकिस्तान में खुलेआम घूमते और रैलियां करते हैं. आइएसआइ और पाकिस्तानी सेना इन आतंकियों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करती है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे खूंखार आतंकी संगठन भारत के खिलाफ पाकिस्तान में बैठकर भड़काऊ बयान देते हैं.
पाकिस्तानी में छिपे ओसामा बिन लादेन को एबटाबाद में अमेरिकी कमांडो ने ऑपरेशन कर मौत के घाट उतार दिया था. मुंबई 26/11 हमले का सरगना हाफिज सईद और अन्य आतंकी सैयद सलाहुद्दीन, मसूद अजहर और दाऊद इब्राहिम आदि पाकिस्तानी में शरण ले रहे हैं.
पाकिस्तान ने 69 संगठनों पर लगाया प्रतिबंध
पाकिस्तान की नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी (एनएसीटीए) अब तक (फरवरी 2019 तक) 69 आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगा चुकी है. एनसीटीए ने वर्ष 2001 में लश्कर-ए-झांगवी पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही आतंकी संगठनों को गैरकानूनी घोषित करना शुरू किया था. एनसीटीए के अनुसार, जिन आतंकी संगठनों को पाकिस्तान ने गैरकानूनी घोषित किया है, उनमें बड़ी संख्या बलूचिस्तान, गिलगिट-बाल्टिस्तान और फाटा स्थित संगठनों की है.
एनसीटीए दस्तावेज के अनुसार, उसने जिन संगठनों पर प्रतिबंध लगाया है, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (अफगानिस्तान), बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, लश्कर-ए-बलूचिस्तान, बलूचिस्तान लिबरेशन यूनाइटेड फ्रंट, तंजीम नौजवान-ए-अहले सुन्नत, गिलगिट, अंजुमन-ए-इमामिया गिलगिट बाल्टिस्तान और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन गिलगिट शामिल हैं.
इसके अलावा अब्दुल्लाह आजम ब्रिगेड (लेबनान, सीरिया व अरब प्रायद्वीप), इस्ट तुर्कमेनिस्तान इस्लामिया मूवमेंट (तुर्की, अफगानिस्तान), इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान (उज्बेकिस्तान) व इस्लामिक जिहाद यूनियन (उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान, जर्मनी) पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. वहीं गुलामन-ए-सहाबा और मयमार ट्रस्ट पर पाकिस्तानी सरकार की नजर है, जबकि अल अख्तर ट्रस्ट को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के प्रस्ताव के तहत गैरकानूनी घोषित किया गया है.
इतना ही नहीं, बढ़ते वैश्विक दबाव के कारण हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दवा और इसके धर्मार्थ संगठन फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर भी इस वर्ष की शुरुआत में पाकिस्तान ने प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि, इसने हिज्बुल मुजाहिदीन, हरकत-उल-मुजाहिदीन और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अल बद्र जैसे प्रमुख आतंकी संगठनों को प्रतिबंधित नहीं किया है.
आतंकियों की मौजूदगी स्वीकार की इमरान ने
पहली बार पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व ने यह स्वीकार किया है कि बड़ी संख्या में जिहादी संगठन पाकिस्तान में सक्रिय हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बढ़ते दबाव के बीच इमरान के इस कबूलनामे को दुनिया को एक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है.
वाशिंगटन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 30 से 40 हजार के बीच हथियारबंद आतंकी हैं, जिनको कश्मीर और अफगानिस्तान में लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया गया है. भारत ने पाकिस्तान से आतंकियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है.
क्या बदल रहा है पाकिस्तान का मिजाज!
इमरान का बयान नया नहीं है, बल्कि पाकिस्तान की इस सच्चाई से दुनिया पहले से ही वाकिफ है. इमरान ने कोई गोपनीयता या अपनी आतंक परस्त नीति को उजागर नहीं किया है. वर्षों से पाकिस्तानी नेता वैश्विक मंचों पर सच्चाई को स्वीकारने की बजाय ‘पाकिस्तान आतंकवाद का सबसे बड़ा भुक्तभोगी है’ की रट लगाते रहे हैं.
जिहादी संगठनों से बातचीत या कार्रवाई की शुरुआत करने की कोशिश करनेवाले हर नेता को हटा दिया गया या दरकिनार कर दिया गया. पहली अफगान लड़ाई से ही जिहादी प्रोजेक्ट को पाकिस्तान सेना और आइएसआइ का उसे समर्थन मिलता रहा है.
इमरान का वक्तव्य और सच्चाई
इमरा‌न खान द्वारा बतायी गयी जिहादियों की संख्या आश्चर्यजनक है. पाकिस्तान की आतंकरोधी एजेंसी एनएसीटीए की वेबसाइट के मुताबिक, पाकिस्तान के आतंक रोधी अधिनियम के तहत 40 संगठनों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें 8307 सक्रिय आतंकियों का जिक्र है.
यही सूची पाकिस्तान द्वारा फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को सौंपी गयी है. एफएटीएफ वर्तमान में आतंकवाद पर पाकिस्तान द्वारा की जा रही कार्रवाई की समीक्षा कर रहा है. भारत के लिए इमरान का बयान अहम है, क्योंकि कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा भारत अरसे से उठा रहा है, जिसे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अब स्वीकार कर लिया है.
भारत की प्रतिक्रिया
इमरान खान द्वारा अपने अमेरिका दौरे पर यह स्वीकार किये जाने के बाद कि पाकिस्तान में 30 से 40 हजार हथियार बंद जिहादी सक्रिय हैं, भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा है कि पाकिस्तानी नेतृत्व ने स्पष्ट रूप से प्रायोजित आतंकवाद को स्वीकार किया है.
उन्होंने कहा अब समय आ गया है कि पाकिस्तान आतंकियों और संगठनों पर कठोर व विश्वसनीय तरीके से कार्रवाई करे. प्रवक्ता ने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा कश्मीर मसले पर दिये गये बयान की आलोचना की.
पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी
अलकायदा
वर्ष 1988 में ओसामा बिन लादेन और मोहम्मद अतीफ ने पेशावर में इसकी स्थापना की थी. अफगानिस्तान में सोवियत घुसपैठ के खिलाफ लड़ रहे लड़ाकों को एकजुट करने के उद्देश्य से स्थापित इस संगठन के वर्तमान में तकरीबन 60 देशों में आतंकी सेल हैं. ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अयमान अल-जवाहिरी इसकी कमान संभाल रहा है.
हिज्बुल मुजाहिदीन
सितंबर 1989 में मास्टर अहसान डार ने कश्मीर घाटी में इस समूह की शुरुआत की थी. पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में इसका मुख्यालय है. इस समूह का मुखिया सैयद सलाहुद्दीन है. इस संगठन में कम-से-कम 1500 कैडर हैं. यह उन 32 आतंकी संगठनों में से एक है, जो आतंकवाद निरोधक धारा, 2002 (प्रिवेंशन ऑफ टेररिज्म एक्ट) के तहत प्रतिबंधित है.
लश्कर-ए-तयबा
वर्ष 1990 में अफगानिस्तान के कुनर प्रांत में लश्कर-ए-तयबा की स्थापना हुई थी. वर्तमान में लाहौर के नजदीक मुरीदके से यह संगठन संचालित होता है. इसका मुखिया हाफिज मोहम्मद सईद है. यह संगठन जम्मू-कश्मीर के अलावा नयी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, वाराणसी, कोलकाता, गुजरात में भी आतंकी हमले का जिम्मेदार है. भारत में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत यह प्रतिबंधित है. अमेरिका, ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र ने भी इस संगठन को प्रतिबंधित किया हुआ है.
जैश-ए-माेहम्मद
इस समूह की स्थापना जनवरी 2000 में मौलाना मसूद अजहर ने कराची में की थी. यह संगठन 31 दिसंबर, 2001 को भारतीय संसद पर हमले का जिम्मेदार है. भारत सरकार ने पोटा के तहत इस संगठन को प्रतिबंधित किया हुआ है.
हरकत-उल-मुजाहिदीन (पूर्व में हरकत-उल-अंसार)
हरकत-उल-अंसार की शुरुआत हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी और हरकत-उल-मुजाहिदीन के विलय के बाद हुई थी, जिसका सरगना मौलाना सादतुल्लाह खान था. वर्ष 1997 में अमेरिका ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया था. इस समूह ने नाम बदलकर फिर से हरकत-उल-मुजाहिदीन कर लिया .
अन्य आतंकी संगठन
अल बद्र, जमीयत उल-मुजाहिदीन, लश्कर-ए-जब्बार, हरकत-उल-जेहाद-उल-इस्लामी, मुत्ताहिदा जेहाद कौंसिल, तहरीक-उल-मुजाहिदीन, अल उमर मुजाहिदीन समेत अनेक ऐसे आतंकी संगठन हैं, जो पाकिस्तानी जमीं से संचालित होते हैं.
भारत में आतंकी हमले
मुंबई आतंकी हमला : 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा मुंबई में किये गये 12 धमाकों में 174 लोगों की जान चली गयी.
पठानकोट हमला
पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर 2 जनवरी, 2016 को हुए आतंकी हमले में पांच हमलावर और सुरक्षा बल के तीन जवान मारे गये थे. सभी हमलावर जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे.
उरी हमला
18 सितंबर, 2016 को उरी स्थित भारतीय आर्मी ब्रिगेड मुख्यालय पर चार आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका था. कैंप के टेंट में आग लग गयी और 17 जवानों की जान गयी. इस हमले को जैश-ए-मोहम्मद शामिल था.
पुलवामा हमला
इसी वर्ष 14 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर द्वारा सीआरपीएफ के काफिले पर किये गये हमले में 40 जवान शहीद हो गये थे.
पाक के घरेलू आतंकी संगठन, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान
9 सितंबर, 2011 को ट्रेड टावर पर हुए हमले के बाद नाटो द्वारा अफगानिस्तान में ऑपरेशन किये जाने के प्रतिक्रिया स्वरूप तहरीक-ए-तालिबान का गठन किया गया. बैतुल्लाह महसूद के नेतृत्व में 13 चरमपंथी समूहों द्वारा पाकिस्तान के फेडरली एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरिया (फाटा) में इसकी स्थापना हुई थी.
सिपह-ए-सहाबा पाकिस्तान
सुन्नी समुदाय के इस आंतकी संगठन को पहले अंजुमन सिपह-ए-सहाबा के नाम से जाना जाता था. वर्ष 1985 में स्थापित इस संगठन का लक्ष्य शिया समुदाय को निशाना बनाना है. इस आतंकी समूह का गठन मौलाना हक नवाज झांगवी, मौलाना जिया-उर-रहमान फारूकी, मौलाना ऐसार-उल-हक कासमी और मौलाना आजम तारिक ने किया था.
लश्कर-ए-झांगवी
इस सुन्नी-देवबंदी आतंकी समूह की स्थापना 1996 में सिपह-ए-सहाबा के टूटने से हुई थी. वर्तमान में समूह का प्रमुख मुहम्मद अजमल है.इन सभी घरेलू आतंकी संगठनों के अलावा लश्कर-ए-उमर, तहरीक-ए-नफज-ए-शरीयत-ए-मोहम्मदी, सिपह-ए-मोहम्मद पाकिस्तान समेत अनेक घरेलू संगठन पाकिस्तान में सक्रिय हैं, जो समय-समय पर आतंकी हमलों को अंजाम देते रहते हैं. इसके साथ ही अल-राशिद ट्रस्ट, अल-अख्तर ट्रस्ट, राबिता ट्रस्ट, उम्माह तमिर-ए-नाउ जैसे कई चरमपंथी समूह भी पाकिस्तान में सक्रिय हैं.

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