18.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

कितनी सही है पहचान सत्यापित करनेवाली फेशियल रिकॉग्निशन, भारत में इस्तेमाल की हो रही तैयारी

किसी व्यक्ति की बायोमीट्रिक पहचान को संग्रहित करने का चलन वर्षों पुराना है, लेकिन इस दिशा में फेसप्रिंट तकनीक फेशियल रिकॉग्निशन आशंकाओं को बढ़ानेवाली है. डीप लर्निंग एल्गोरिदम आधारित इस तकनीक से निजता के उल्लंघन का मसला विश्वभर में चर्चित है. कई देशों ने इस पर पाबंदी, तो कई ने नियमन की मांग की है. […]

किसी व्यक्ति की बायोमीट्रिक पहचान को संग्रहित करने का चलन वर्षों पुराना है, लेकिन इस दिशा में फेसप्रिंट तकनीक फेशियल रिकॉग्निशन आशंकाओं को बढ़ानेवाली है. डीप लर्निंग एल्गोरिदम आधारित इस तकनीक से निजता के उल्लंघन का मसला विश्वभर में चर्चित है. कई देशों ने इस पर पाबंदी, तो कई ने नियमन की मांग की है. इस तकनीक के विभिन्न पहलुओं की जानकारी के साथ प्रस्तुत है इन्फो-टेक्नोलॉजी पेज…
बड़े पैमाने पर हो रहा इस्तेमाल
फेशियल रिकॉग्निशन फीचर आने के बाद से इसका उपयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है. कई देशों की सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस अपराधियों तथा आतंकियों को पकड़ने के लिए ऑटोमेटेड फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (एएफआरएस) का इस्तेमाल करने लगी हैं. अमेरिका और चीन जैसे देशों में सरकारी और निजी सुरक्षा एजेंसियां इस तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं.
उठ रहे हैं सवाल ऑटोमेटेड फेशियल रिकॉग्निशन पर
सुरक्षा दृष्टिकोण से भले ही फेशियल रिकॉग्निशन (एफआर) का इस्तेमाल बढ़ रहा हो, लेकिन इसके खतरे भी हैं. इसी को लेकर न्यूयॉर्क के प्रतिनिधि और प्रमुख राजनीतिज्ञ अलेक्जेंड्रिया ओकेशिया-कोर्तेज ने आवाज उठायी है. इस तकनीक के उपयोग को लेकर अमेरिका के लोगों में भी नाराजगी है.
बढ़ती सरकारी निगरानी वर्षों से इस देश के लोगों की नाराजगी का कारण रहा है, ऊपर से अमेजन रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर जैसी तकनीक को वे किसी आतंक की तरह देख रहे हैं. अमेरिका में पुलिस ट्रायल में सहायता के लिए अमेजन रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर तकनीक का इस्तेमाल सार्वजनिक स्थान पर लोगों के चेहरे को स्कैन करने के लिए किया गया था, जिसे लोगों ने निजता का उल्लंघन माना था.
सैन फ्रांसिस्को में प्रतिबंधित हुआ एफआर
हाल ही में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में फेशियल रिकॉग्निशन की खामियों और नागरिक स्वतंत्रता के खतरों के मद्देनजर कानून और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. लेकिन अमेरिका के अन्य शहरों और दूसरे देशों में इस तकनीक का परीक्षण अभी भी जारी है.
काली त्वचा वाले महिला-पुरुष की पहचान में भूल करता है एफआर
एमआइटी मीडिया लैब के कंप्यूटर वैज्ञानिक जॉय बुओलैम्विनी और गूगल के एथिकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टीम के टेक्निकल को-लीड टिम्निट गेब्रू के अनुसार, फेशियल रिकॉग्निशन को बेहद काले रंग (डार्कर स्किन टोन) वाले पुरुष व महिला की पहचान में कठिनाई आती है. फेशियल रिकॉग्निशन के माध्यम से एक काले रंग की महिला की पहचान करते समय उसे पुरुष समझ लेने की बहुत ज्यादा संभावना होती है.
इस तकनीक को मिली कानूनी चुनौती
एक ब्रिटिश व्यक्ति एड ब्रिजेज ने खरीदारी के दौरान अपनी फोटो खिंचे जाने पर नाराजगी जाहिर की. साउथ वेल्स पुलिस द्वारा इस तकनीक के उपयोग पर कानूनी चुनौती दी है. ब्रिटेन की इन्फॉर्मेशन कमिश्नर, एलिजाबेथ डेन्हम ने भी एफआर के उपयोग से संबंधित कानूनी संरचना की कमी पर चिंता जाहिर की है.
क्या है फेशियल रिकॉग्निशन
फेशियल रिकॉग्निशन बायोमेट्रिक सॉफ्टवेयर की एक श्रेणी है, जो किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं का गणितीय रूप से मानचित्रण करती है और डेटा को फेसप्रिंट के रूप में संग्रहीत करती है. यह सॉफ्टवेयर किसी व्यक्ति की पहचान को सत्यापित करने के लिए एक लाइव कैप्चर या डिजिटल इमेज की संग्रहित फेसप्रिंट से तुलना करता है. यह तुलना डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके किया जाता है.
भारत में इस्तेमाल की तैयारी
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो ने 28 जून को ऑटोमेटेड फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम के लिए कंपनियों से आवेदन मांगा है. इसका इस्तेमाल देशभर के पुलिस अधिकारियों द्वारा किया जायेगा. यह सिस्टम ब्यूरो के नयी दिल्ली स्थित डेटा सेंटर से संचालित किया जायेगा तथा इससे सभी पुलिस थाने जोड़े जायेंगे.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के जरिये अपराधी की ताजा तस्वीर को पहले से उपलब्ध डेटा से मिलाया जायेगा और उसकी पहचान की कोशिश की जायेगी. इस प्रणाली को ‘न्यूरल नेटवर्क’ कहा जाता है. अभी तक अपराध नियंत्रण तंत्र में तस्वीरों को कर्मचारियों द्वारा मिलाया जाता है.
ऐसा माना जा रहा है कि फेशियल रिकॉग्निशन से भीड़ में या क्लोज सर्किट कैमरे से आयी तस्वीर से अपराधी को पहचानने में मदद मिलेगी. मुंबई आतंकी हमले के बाद 2009 में ब्यूरो के अधीन क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम को शुरू किया गया था. फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम लगाने की योजना इस पहल में उल्लिखित है. इस सिस्टम में देशभर के सभी 15,500 पुलिस स्टेशनों और 6,000 बड़े कार्यालयों से जुटायी गयीं अपराधों से जुड़ी तमाम सूचनाओं को इकठ्ठा किया जाता है.
फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम को इंटीग्रेटेड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम से भी जोड़ा जायेगा. क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम की सूचनाएं अभी सीबीआइ, आइबी, एनआइए, इडी तथा नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के लिए उपलब्ध है.
अगस्त, 2018 में पुलिस थानों को जोड़ने का पहला चरण लगभग पूरा हो गया था. दूसरे चरण में सेंटर फिंगर प्रिंट ब्यूरो के डेटाबेस को भी इस व्यापक तंत्र से जोड़ने का काम जारी है. इस महीने की एक तारीख से हैदराबाद हवाई अड्डे पर चेक-इन और बोर्डिंग पास के लिए फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम लगाया गया है. यह एक स्वैच्छिक व्यवस्था है.
आगामी महीनों में केंद्रीय विमानन मंत्रालय के ‘डिजीयात्रा’ कार्यक्रम के तहत शुरू हुई यह सेवा देश के अन्य हवाई अड्डों पर भी लगायी जा सकती है. कुछ राज्य सरकारें अपने पुलिस विभाग के लिए इस तंत्र को लाने का प्रयास कर रही हैं. तेलंगाना पुलिस ने पिछले साल अगस्त में ऐसे सिस्टम को शुरू किया है.
उचित नियमन की आवश्यकता
फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक के साथ पहचान की समस्या तो है ही, इसके नियमन को लेकर भी समस्या है. इस तकनीक द्वारा चेहरे की पहचान का दुरुपयोग न हो, इसे लेकर अमेरिकी सरकार ने अभी तक व्यापक नियमन नहीं किया है. दुनियाभर के तमाम शोधकर्ताओं का भी यही कहना है कि फेशियल रिकॉग्निशन को लेकर स्पष्ट रूप से कोई कानून नहीं है. ऐसे में जरूरी यह है कि फेशियल रिकॉग्निशन को लेकर एक कानून बने और उसमें रिकॉग्निशन के तरीके को बताया जाये.
80 फीसदी मामलों में गलत साबित हुआ एफआर
वर्ष 2018 में एसीएलयू के एक अध्ययन में पाया गया था कि अमेजन के रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर ने पुलिस के रिकॉर्ड में शामिल लोगों की फोटोग्राफ के साथ कांग्रेस के सदस्यों का गलत तरीके से मिलान किया था. एफआर द्वारा चेहरे की पहचान को लेकर जो सबसे बड़ी चिंता सामने आयी, वह थी कि बड़ी संख्या में काले रंग के पुरुष शामिल थे. देखा जाये तो यह तकनीक उन लोगों के प्रति पक्षपाती है, जो गोरे नहीं हैं. वर्ष 2018 में ही एमआइटी के शोधार्थियों ने माना था कि काले लोगों के फेशियल रिकॉग्निशन के मामले में यह तकनीक ज्यादा गलतियां करता है.
इतना ही नहीं, इसी सप्ताह एसेक्स विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि लंदन पुलिस की फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक 80 फीसदी मामलों में गलत साबित हुई है, जो सशक्त रूप से घोर अन्याय और नागरिकाें के निजता कानून के उल्लंघन को बढ़ावा दे रहा है. इन शिक्षाविदों ने एफआर की कमियों को दर्शाने के लिए इसका लाइव डेमो भी दिया.
इस दौरान फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक ने पुलिस डेटाबेस में मौजूद जानकारी के आधार पर 42 लोगों को संदिग्ध माना, जिनमें से सिर्फ 8 लोगों का मिलान ही सही था. वहीं कुछ वर्ष पूर्व फेशियल रिकॉग्निशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जांच के लिए चिह्नुआ कुत्ता और मॉफिन के बारे में सवाल पूछा गया था, लेकिन कंप्यूटर मॉफिन और चिन्हुआ कुत्ते की पहचान में असफल रहा था.
‘एजेंट स्मिथ’ ने संक्रमित किया 2.5 करोड़ डिवाइस : शोधार्थियों ने एक ऐसे नये कंप्यूटर वायरस का पता लगाया है, जो आपके फोन से डेटा चोरी करने के बजाय, अनधिकृत रूप से एप में प्रवेश कर जाता है.
‘एजेंट स्मिथ’ नाम के इस मैलवेयर ने विश्वभर के 2.5 करोड़ से अधिक एंड्राॅयड डिवाइसेज को संक्रमित किया है, जिसमें 1.5 करोड़ अकेले भारत से हैं. सिक्योरिटी फर्म ‘चेक प्वाइंट’ के शोधार्थियों का ऐसे ही मैलवेयर से सामना हुआ, जो गूगल एप की तरह लग रहा था. इस वायरस ने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए पहले से इंस्टॉल वैध एप को नकली एप से बदल दिया. ‘एजेंट स्मिथ’ पहले थर्ड-पार्टी एप स्टोर 9एप्स में घुसा, उसके बाद फोटो यूटिलिटी व अन्य एप्स के बीच छुप गया.
इस वायरस अटैक के बाद, यह गूगल प्ले स्टाेर में गया और ब्लॉकचेन गो, लूडो मास्टर, बायो ब्लास्ट, गन हीरो, कुकिंग विच बाई घोस्ट रैबिट समेत 11 एप्स में अनधिकृत रूप से प्रवेश कर गया. हालांकि, अब गूगल ने इसको प्ले स्टोर से हटा दिया है. हैकर्स ने रशियन, इंडोनिशयन, अरबी और हिंदी भाषियों को निशाना बनाया. इतना ही नहीं, इस मैलवेयर ने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के डिवाइसेस को भी संक्रमित किया.
शोधार्थियों ने यह भी पाया कि एजेंट स्मिथ की गतिविधियां कॉपीकैट, गूलिगन्स और हमिंगबर्ड के हाल की कार्यशैली से काफी मेल खाती है. इस नये खोजे गये मैलवेयर की दिलचस्प विशेषता है कि यह टार्गेट को एप को अपडेट करने से रोकता है और डिवाइस को अपने कब्जे में लेने के लिए कोड के कुछ हिस्से को बदल देता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel