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#Budget2019 : आउटर पर खड़ी है नये भारत की नयी रेल

अरविंद कुमार सिंहपूर्व सलाहकार, भारतीय रेल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने साफ संकेत दे दिया है भारतीय रेल गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है. इसे सक्षम बनाने के लिए 2030 तक 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की दरकार होगी. मौजूदा संसाधनों की गति से इन परियोजनाओं को पूरा करने में दशकॆं लग जायंेगे. […]

अरविंद कुमार सिंह
पूर्व सलाहकार, भारतीय रेल

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने साफ संकेत दे दिया है भारतीय रेल गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है. इसे सक्षम बनाने के लिए 2030 तक 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की दरकार होगी. मौजूदा संसाधनों की गति से इन परियोजनाओं को पूरा करने में दशकॆं लग जायंेगे.
इस नाते रेल लाइनों को बनाने से लेकर, रोलिंग स्टाक और यात्री और माल भाड़ा सेवा में पीपीपी या सार्वजनिक निजी भागीदारी की दरकार होगी. वहीं उपनगरीय रेलों के विकास के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसवीपी) के प्रस्ताव के साथ वित्त मंत्री ने परिवहन के समन्वित विकास की दिशा में जो संकेत दिया है, उससे यह भी साफ है कि परिवहन के केंद्रीय ढांचे में अब रेलवे की पहले जैसी हैसियत नहीं रही.
आर्थिक समीक्षा 2018-19 में रेल दुर्घटनाओं में आयी अप्रत्याशित गिरावट को रेखांकित करते हुए माल ढुलाई राजस्व में 5.33 फीसदी की बढोत्तरी के साथ कई उपलब्धियों का बयान किया गया था. भारतीय रेल ने 2018-19 के दौरान सुरक्षा और संरक्षा के मामले में उल्लेखनीय प्रगति की जिससे ट्रेनों के टकराने के मामले शून्य हो गये और रेलगाड़ियों के बेपटरी होने की घटनाओं में भी कमी आयी. बीते सालों में बड़ी लाइनों वाले रेल नेटवर्क से मानवरहित लेवल क्रॉसिंग समाप्त करने के साथ रेलवे ने तमाम काम किया है.
लेकिन समग्र रूप से रेलवे जिस तरह से चरमरा रही है और दबावों से जूझ रही है, उस लिहाज से भविष्य़ की ठोस योजना और दिशा नजर नहीं आ रही है. और सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में चरमरा रही रेल सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए जिस रणनीति पर रेलवे को काम करना था उस तरफ वह नहीं बढ़ी है.
हाल के सालों में स्वदेशी इंजन रहित ट्रेन यानि टी-18 ने काफी सुर्खियां बटोरी. वंदे भारत एक्सप्रेस को भारतीय इंजीनियरों की बड़ी सफलता माना जा रहा है. ऐसे कई प्रयासों को गति दी जा रही है. सरकार 2022 तक डेडिकेटेड फ्रेट काॅरिडोर को साकार करना चाहती है जिसके बाद भारतीय रेल की गति के साथ तस्वीर कुछ बदलेगी और क्षमता का विकास होगा.
बजट पेश करते समय वित्त मंत्री ने रेलवे परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए पीपीपी के प्रस्ताव के साथ समन्वित परिवहन ढांचे पर भी जोर दिया. बीते सालों में इस दिशा में खास काम नहीं हो पाया. फिर भी सारे रेल नेटवर्क को विद्युतीकृत करने की दिशा में आगे बढ़ना रेलवे के लिए फायदेमंद हो सकता है. इस पर 32,591 करोड़ रुपये का भारी व्यय होना है. लेकिन जब सभी गाड़ियां बिजली से चलने लगेंगी, तो ईंधन बिल में सालाना 13,510 करोड़ की बचत होगी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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