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बदलती लाइफ स्टाइल से बढ़ा लेट मैरिज का चलन, पढ़ें खास रिपोर्ट

-बॉलीवुड से प्रभावित होकर भी बदल रहा है ट्रेंडशादी किस उम्र में की जाये, यह एक कठिन सवाल है. उम्र कोई जादुई नंबर नहीं, जहां पहुंचते ही आपके जीवन में सब कुछ सही होगा, इसकी गारंटी हो. माना जाता है कि शादी तब करनी चाहिए जब आप शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तौर पर इस नयी […]

-बॉलीवुड से प्रभावित होकर भी बदल रहा है ट्रेंड
शादी किस उम्र में की जाये, यह एक कठिन सवाल है. उम्र कोई जादुई नंबर नहीं, जहां पहुंचते ही आपके जीवन में सब कुछ सही होगा, इसकी गारंटी हो. माना जाता है कि शादी तब करनी चाहिए जब आप शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तौर पर इस नयी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार हों. शादी का पहलू हमेशा ही बड़ा खूबसूरत दिखता है जहां बैंड-बाजा-बरात के साथ नये सपने बुने जाते हैं.

जुही स्मिता
पटना :
हाल के दिनों में लेट मैरिज का चलन काफी बढ़ा है. इसको लेकर लोगों की अलग-अलग सोच है. एक बड़ा तबका मानता है कि अगर 30 साल के बाद शादी होती है तो अपने पार्टनर को समझने और एडजस्ट करने में आसानी होती है. वहीं पैरेंट्स की सोच का दायरा भी अब बढ़ा है. बदलते वक्त के साथ पैरेंट्स की सोच में भी काफी बदलाव आया है. शादी को लेकर उनका नजरिया भी बदला है. अपने बच्चों को यह शिक्षा दे रहे हैं कि शादी जिंदगी नहीं है शादी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यही कारण है कि अब शादियों की उम्र बढ़ती जा रही है. जहां पहले आमतौर पर 18 से 25 साल के बीच शादियां होती थी वह अब 25 से 35 होती जा रही है. हर बार कभी फैशन तो कभी लाइफ स्टाइल में आय दिन ट्रेंड सेट हो रहे हैं. ट्रेंड सेटिंग की शुरुआत बॉलीवुड या हॉलीवुड से ही शुरू होती है. उदाहरण के तौर पर सुष्मिता सेन द्वारा दो बेटियों को गोद लेना काफी चर्चा का विषय रहा. उन्होंने बिना शादी के बच्चियों को गोद लेकर पुरानी भ्रांतियों को तोड़ा. अब जो लेटेस्ट ट्रेंड है सरोगेसी व बाइलोजिकल सिबलिंग का है. इसका जीता-जागता उदाहरण बॉलीवुड के डायरेक्टर करण जौहर और एक्टर तुषार कपूर ने सेट किया है. अब शादी के बिना भी आप अपने बच्चे को जन्म देकर परवरिश कर सकते हैं. नयी टेक्नोलॉजी आने की वजह से अब युवतियों में सोशल एग फ्रीजिंग तकनीक का चलन भी बढ़ा है. इसमें युवतियां अपने एग को फ्रिज करवा सकती हैं और आगे जाकर इनकी मदद से गर्भधारण कर सकती हैं. इन सुविधाओं ने लेट से होने वाली शादियों को बढ़ावा दिया है.

इन वजहों से युवा कर रहे लेट से शादी, बढ़ गया करियर का महत्व

युवा अपने करियर को लेकर महत्वाकांक्षी हो गये है. शादी से पहले जॉब में अच्छी तरह से सेटल हो जाना चाहते है.

-पहले शादी का फैसला बड़े-बूढ़ों हाथों में था. अब युवा शादी से जुड़े सारे फैसले खुद लेने लगे हैं.

-आर्थिक तौर पर मजबूती- शादी से पहले आर्थिक आत्मनिर्भरता को महत्व देने लगे है ताकि शादी के बाद उनका घर अच्छे से चले.

-नयी व विकसित तकनीकें- अब तरह-तरह के तकनीक और इलाज ज्यादा उम्र में भी लोगों को माता-पिता बनने के अवसर दे रहे हैं.

-कमिटमेंट से डरते हैं युवा- बनते-बिगड़ते रिश्तों के कई उदाहरण सामने है. ऐसे में वे शादी के कमिटमेंट से डरते हैं और सही वक्त का इंतजार करते है.

पहले और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है. जिसकी वजह से लेट मैरेज का चलन ज्यादा दिख रहा है. एजुकेशन की वजह से अधिकांश लड़कियां आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ जॉब करना पसंद करती है. पहले घर का प्रेशर रहता था लेकिन अब ऐसा नहीं है. पैरेंट्स हर तरीके से अपनी बेटियों को सपोर्ट करते हैं. सोच में काफी बदलाव भी आया है. लेट मैरेज से मैच्योरिटी आ जाती है जो आज के परिवेश के लिए काफी सही है. आज कि युवतियां काफी स्ट्रांग हो गयी है.
-डॉ बिंदा सिंह, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट

आज लड़कियों में जागरूकता बढ़ी है जिसकी वजह वे अपने पार्टनर को लेकर अपनी च्वाइस रिविल करती हैं.पैरेंट्स पब्लिक सेक्टर में जॉब कर रहे लड़कों की तलाश करते हैं. इसका कारण यह है कि उनकी बेटियों को शहर का माहौल मिलेगा. पहले परिवार वाले जमीन-जायदाद के नाम पर शादी कर देते थे लेकिन आज लड़का सेटल है कि नहीं इस पर शादी का निर्णय लिया जाता है. पढ़े-लिखे लड़कों की पसंद पढ़ी-लिखी लड़कियां होती है और ऐसी लड़कियों की तादाद कम है. ऐसे में बदतले परिवेश के साथ अब युवा मैच्योर्ड मैरेज की ओर जा रहे हैं.
-डीएम दिवाकर, समाजशास्त्री

पिछले कुछ सालों में शादी की उम्र में लगातार बदलाव दिख रहा है. लेट मैरेज की वजह से महिलाओं में प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. महिलाओं की ओवरी में लिमिटेड एग्स का नंबर सीमित होता है. उम्र के साथ एग्स की क्वालिटी और क्वांटिटी में फर्क आने लगता है. जिसकी वजह फर्टिलिटी रेट कम हो जाता है. हमारे बायोलॉजिकल क्लॉक में काफी अंतर है एेसे में लेट मैरेज के बाद बच्चे को जन्म देने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. एबॉर्शन, ऐज रिलेटेड बीमारी से लेकर बच्चों को कई तरह की कॉम्प्लिकेशन भी शामिल होते हैं.
-डॉ मीना सामंत, स्त्री रोग विशेषज्ञ, कुर्जी हॉस्पिटल

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