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जानें हाल के वर्षों में इसरो की बड़ी उपलब्धियों के बारे में

चंद्रयान-1 : चंद्रमा पर खोज के लिए भारत का पहला अभियान चंद्रयान-1 अक्तूबर, 2008 में लांच किया गया था, जो अगस्त, 2009 तक सक्रिय रहा. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की परिकल्पना वाले मून इंपैक्ट प्रोब (एमआईपी) को इसरो ने विकसित किया था, जिससे चंद्रयान-1 द्वारा छोड़ा गया. चंद्रयान-1 से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर निष्कर्ष […]

चंद्रयान-1 : चंद्रमा पर खोज के लिए भारत का पहला अभियान चंद्रयान-1 अक्तूबर, 2008 में लांच किया गया था, जो अगस्त, 2009 तक सक्रिय रहा. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की परिकल्पना वाले मून इंपैक्ट प्रोब (एमआईपी) को इसरो ने विकसित किया था, जिससे चंद्रयान-1 द्वारा छोड़ा गया. चंद्रयान-1 से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि चंद्रमा के बर्हिमंडल में पानी होने के संकेत हैं.
मार्स ऑर्बिटर मिशन : इस उत्कृष्ट मिशन से लाल ग्रह की कक्षा में पहले ही प्रयास में दाखिल होनेवाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया. इसे पीसीएलवी सी-25 द्वारा लांच किया गया, जो 44 मीटर लंबा और 320 टन वजन का रॉकेट है. इस प्रोजेक्ट की लागत 450 करोड़ रुपये आयी थी. सितंबर, 2015 में इस मिशन की पहली वर्षगांठ पर स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (इसरो), अहमदाबाद द्वारा ‘मार्स एटलस’ जारी किया गया, जिसमें मार्स कलर कैमरा द्वारा प्राप्त चित्र और परिणाम शामिल थे.
2019 में इसरो की सफलता
वर्ष 2019 की शुरुआत से अब तक इसरो ने तीन प्रमुख मिशन को सफलतापूर्वक लांच किया है. माइक्रोसैट-आर और कलामसेट-वी2 : इसरो ने 24 जनवरी को श्रीहरिकोट प्रक्षेपण केंद्र से मिलिट्री सेटेलाइट माइक्रोसैट-आर और कलामसैट-वी2 को पोलर रॉकेट पीएसएलवी सी44 से लांच किया. सेना के उद्देश्यों के लिए माइक्रोसैट-आर इमेजिंग सेटेलाइट के तौर पर काम करेगा, हालांकि, इसरो ने इसके बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी है.
कम्युनिकेशन सेटेलाइट जीसैट-31 : इसरो ने फ्रेंच गुयाना प्रक्षेपण केंद्र से 6 फरवरी को 40वें कम्युनिकेशन सेटेलाइट जीसैट-31 को लांच किया. इसरो के मुताबिक इस सेटेलाइट का इस्तेमाल वीसैट सर्विसेज, टेलीविजन अपलिंक्स, डिजिटल सेटेलाइट न्यूज, डीटीएच टेलीविजन सर्विसेज, सेलुलर बैकहॉल कनेक्टिविटी समेत तमाम कार्यों के लिए किया जा सकेगा.
एमिसैट सेटेलाइट : बीते 21 अप्रैल को इसरो ने सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी 45 से एमिसैट सेटेलाइट को लांच किया. पोलर सेटेलाइट लांच व्हिकल के माध्यम से 28 इंटरनेशनल नैनोसेटेलाइट लांच हुए, जिसमें 24 अमेरिका से, दो लिथुआनिया और एक-एक स्पेन और स्विटजरलैंड के सेटेलाइट शामिल थे.
कारोबारी कामयाबी पर इसरो की नजर
पिछले साल वैश्विक सेटेलाइट इंडस्ट्री का कुल राजस्व 277.4 अरब डॉलर रहा था. एक आकलन के मुताबिक, अभी यह इंडस्ट्री 350 अरब डॉलर की है और इसके 2040 तक 1.9 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.
इस साल मई में भारतीय अंतरिक्ष मंत्रालय के तहत एक नयी कंपनी- न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड- बनायी गयी है. यह इसरो का व्यावसायिक हिस्सा होगी तथा इसका उद्देश्य औद्योगिक भागीदारी को बढ़ाना होगा. दुनियाभर में फिलहाल 75 से अधिक प्रक्षेपण वाहन निर्माणाधीन हैं.
भारत में भी कुछ स्टार्टअप इस काम में प्रवेश करना चाहते हैं. पिछले साल सेटेलाइट प्रक्षेपित करने का कारोबार छह अरब डॉलर रहा था और 2027 तक 6,500 से अधिक छोटे सेटेलाइटों के प्रक्षेपित होने का अनुमान है. चीन ने 2014 में ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के भागीदारी की अनुमति दे दी थी. इस वर्ष के अंतरिम बजट में सरकार ने जो दस सूत्री विजन रखा है, उसमें 2030 तक भारत को दुनिया का प्रक्षेपण स्थल बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाने के इरादे से गठित न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के अलावा एंट्रिक्स भी इसरो की एक और व्यावसायिक इकाई है. साल 2015-18 की अवधि में इसरो ने एंट्रिक्स के जरिये 5,600 करोड़ रुपये कमाया था तथा उसका कुल खर्च 7,209 करोड़ रुपये रहा था. ऐसे में प्रक्षेपण पर ध्यान देकर तथा नयी कंपनी के माध्यम से निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाकर कमाई को बढ़ाया जा सकता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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