Advertisement
चीनी उत्पादों के बहिष्कार का होगा दूरगामी असर, जानें भारत-चीन के व्यापार आंकड़ों के बारे में
संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी ठहराये जाने पर चीन द्वारा अड़ंगा लगाये जाने से भारत में गुस्सा है. इसी कारण इन दिनों ट्विटर पर चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान भी किया जा रहा है. यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि चीनी उत्पादों के बहिष्कार का हमारे देश पर कैसा […]
संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी ठहराये जाने पर चीन द्वारा अड़ंगा लगाये जाने से भारत में गुस्सा है.
इसी कारण इन दिनों ट्विटर पर चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान भी किया जा रहा है. यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि चीनी उत्पादों के बहिष्कार का हमारे देश पर कैसा असर पड़ेगा. अगर हम चीनी उत्पाद का बहिष्कार करते हैं तो हमारे पास कैपिटल गुड्स, मशीनरी, इलेक्ट्रिकल व केमिकल गुड्स के साथ ही इंटरमीडिएट व कंज्यूमर गुड्स की कमी हो जायेगी, जिससे हमारे उद्योग प्रभावित होंगे.
चीन से निर्यात होनेवाले ये उत्पाद हमारे कई प्रमुख उद्योगों के लिए बहुत ही जरूरी हैं. दूसरा, चीनी सामान सस्ते होते हैं, क्योंकि सरकार द्वारा उन्हें कई तरह की रियायतें दी जाती हैं. ऐसे में इनके बहिष्कार से उत्पादों की लागत बढ़ जायेगी. नतीजा, हमें उन्हें खरीदने के लिए ज्यादा पैसे चुकाने होंगे. इतना ही नहीं ऊर्जा, खासकर नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर है.
बीते वर्ष लोकसभा में नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बताया था कि पिछले तीन वर्षों से भारत ने अपनी सौर उपकरणों की जरूरत का एक बड़ा हिस्सा चीन से आयात किया है. आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2017-18 में भारत ने तकरीबन साढ़े तीन बिलियन डॉलर के सौर उपकरण चीन से आयात किये थे. इसके अलावा, वर्ष 2018-19 में चीन ने 80 प्रतिशत से अधिक एंटीबायोटिक्स और 60 प्रतिशत से अधिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद व उसके घटक भारत को निर्यात किये थे. इस प्रकार कहा जा सकता है कि भारतीय उद्योग के कुछ प्रमुख क्षेत्र चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, जबकि चीन के साथ ऐसा नहीं है.
लेकिन एक सच यह भी है कि भले ही आज भारत द्वारा चीन में निर्यात किये जाने का प्रतिशत कम है, लेकिन आगे चलकर यह चीन को प्रभावित करेगा. ऐसे में यदि हमारे यहां चीनी उत्पादों का बहिष्कार होता है तो इसका प्रभाव चीन पर भी पड़ेगा, क्योंकि भारत एक बड़ा बाजार है, लेकिन फिलहाल इस प्रभाव की तीव्रता चीन की बजाय भारत को ज्यादा महसूस होगी.
वर्ष 2017-18 में भारत ने चीन को कुल 303,526.16 मिलियन डॉलर मूल्य के वस्तुओं का निर्यात किया था, जबकि 2018-19 (अप्रैल-दिसंबर तक) में यह निर्यात 243,963.15 मिलियन डॉलर का रहा. वहीं वर्ष 2017-18 में भारत ने चीन से 465,580.99 मिलियन डॉलर व 2018-19 (अप्रैल-दिसंबर तक) में 389,927.47 मिलियन डॉलर मूल्य के वस्तुओं का आयात किया था.
भारत द्वारा चीन किया जानेवाला निर्यात
(मूल्य : मिलियन डॉलर में)
वस्तुएं 2017-18 2018-19
(अप्रैल-दिसंबर तक)
कार्बनिक रसायन 2,106.24 2,409.27
तांबा व इससे बनी सामग्री 1,548.47 176.27
खनिज ईंधन, खनिज तेल
व अन्य 1,507.21 2,525.38
अयस्क, लावा व राख 1,259.79 890.52
कपास 1,003.28 1,231.41
चीन से भारत में होनेवाला आयात
(मूल्य : मिलियन डॉलर में)
वस्तुएं 2017-18 2018-19
(अप्रैल-दिसंबर तक)
इलेक्ट्रिकल मशीनरी, उपकरण, कल-पुर्जे,
साउंड रिकॉर्डर व अन्य 28,672.44 16,075.87
न्यूक्लियर रिएक्टर, बॉयलर,
मशीनरी व अन्य 13,539.97 9,898.81
कार्बनिक रसायन 7,091.53 6,605.40
प्लास्टिक व इससे
बने सामान 2,365.49 2,033.51
लौह व इस्पात 1,621.03 1,097.31
स्रोत : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement