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भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट हुआ वैश्विक समुदाय, सरकार की बदौलत चेतना हमारे पक्ष में

पाकिस्तान की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए भारत ने अपनी कूटनीतिक क्षमता का इस्तेमाल करके वैश्विक चेतना को अपने पक्ष में किया है और हर कदम पर पाकिस्तान को झुकने के लिए मजबूर किया है. इसी दबाव के चलते पाकिस्तान को हमारे जांबाज विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ने के लिए भी मजबूर होना […]

पाकिस्तान की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए भारत ने अपनी कूटनीतिक क्षमता का इस्तेमाल करके वैश्विक चेतना को अपने पक्ष में किया है और हर कदम पर पाकिस्तान को झुकने के लिए मजबूर किया है. इसी दबाव के चलते पाकिस्तान को हमारे जांबाज विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ने के लिए भी मजबूर होना पड़ा है. लगातार अलग-थलग पड़ते पाकिस्तान को आने वाले दिनों में भारत सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र में भी मुंह की खानी है…
डॉ जे जगन्नाथन
दक्षिण एशिया व न्यूक्लियर
मामलों के जानकार
सरकार की बदौलत वैश्विक चेतना हमारे पक्ष में
विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी भारत की बहुत महत्वपूर्ण डिप्लोमैटिक (कूटनीतिक) जीत है. ऐसे समय में, जब युद्ध जैसी स्थिति के बीच चारों तरफ युद्धोन्माद के बादल के छाये हुए हैं, केंद्र सरकार ने शांति बनाये रखते हुए, देश के नागरिकों को बिना परेशान किये, सभी को युद्ध की मानसिक यंत्रणा से बचाते हुए स्थिति को संभाला है.
सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है. उदाहरण के लिए, याद कीजिए साल 2001 का समय, संसद पर हमला हुआ था और देश में संकट की स्थिति पैदा हुई थी, युद्ध की आशंका भी थी, देश में एक डर का माहौल था. ऐसे कई मौके अतीत में भारत के सामने आये हैं.
लेकिन, पहली बार ऐसा देखने में आया है कि सरकार ने टीम-वर्क के साथ बहुत आराम व शांति से स्थिति को संभाल लिया है और देश पर कोई आंच नहीं आने दी है.
कूटनीतिक दृष्टि से बात करें, तो हमारी ऊर्जस्वी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक के बाद रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक के लिए वुहान (चीन) गयी और भारत की एयर स्ट्राइक का विस्तृत पक्ष उनके सामने रखा. विदेश मंत्री ने पुलवामा हमले से लेकर पाकिस्तान के आतंकी व्यवहार और एयर स्ट्राइक की जरूरत का महत्व उन्हें समझाया और रूस व चीन को भारत के पाले में किया.
इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्री के प्रयासों से वैश्विक स्तर पर पुलवामा हमले और आतंकवाद के मसले पर भारत के पक्ष में देश खड़े हुए हैं. इसी क्रम में भारत के कूटनीतिज्ञों ने चीन पर असर डाला, जिससे चीन भी पाकिस्तान के पक्ष में नहीं दिखा. चीन के वुहान शहर में हुई बैठक को रद्द करने की मांग पाकिस्तान ने चीन से की थी, लेकिन चीन नहीं माना. इसलिए, पाकिस्तान चीन से खफा भी चल रहा है. इससे, पाकिस्तान और चीन के घरेलू संबंधों/योजनाओं पर भी असर पड़ा है. इस बात से यह भी स्पष्ट हो गया कि ऐसा नहीं चलता रहेगा कि पाकिस्तान कुछ भी करता रहेगा और चीन उसकी मदद करता रहे.
रूस के साथ संबंधों ने हमारी बहुत मदद की है. अमेरिका भी हमारे पक्ष में खड़ा रहा है. डोनाल्ड ट्रंप ने एयर स्ट्राइक के पहले ही कह दिया था कि कुछ गंभीर होनेवाला है.
इसका साफ मतलब है कि उन्हें भी पता था कि भारत क्या करनेवाला है और पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को सबक सिखाने के हमारे जरूरी कदम के वे पक्ष में थे. पाकिस्तान केवल इन्हीं देशों के बीच अलग-थलग नहीं पड़ गया है. अबु धाबी में चल रहे 57 मुस्लिम बहुल देशों के संगठन ओआईसी (आर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन) की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आमंत्रित किया गया. पाकिस्तान ने इसका विरोध किया था और भारत के आमंत्रण को रद्द करने की मांग कर रहा था.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ और भारत इस बैठक में हिस्सा लेने पहुंच गया है तथा ओआईसी के संस्थापक देशों में से एक पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया है. पाकिस्तान की भारत को न्योता न देने मांग ही बेबुनियाद थी. उसका कहना था कि ओआईसी में केवल मुस्लिम देश शामिल हो सकते हैं.
लेकिन पाकिस्तान ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया कि भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है और इस देश के मुस्लिम सबसे अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं. वैश्विक इस्लामिक समुदाय को भारत और वर्तमान सरकार पर भरोसा था, इसलिए उन्होंने भारत को आमंत्रित किया. पिछले 70 सालों में पहली बार सऊदी अरब, ईरान, इराक जैसे पश्चिम एशियाई देशों को भारत पर भरोसा हुआ है और उन्होंने अपना समर्थन हमें दिया है.
उनको भारत की कार्रवाइयों पर भरोसा है, जबकि आज तक पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता आया है और इस्लाम के नाम पर उनके बीच जगह बनाये रखता है. अब पाकिस्तान केवल धर्म का नाम लेकर नहीं बच सकता है.
हमारे कूटनीतिज्ञों और विदेश मंत्री ने केवल 2-3 दिनों के भीतर ही वैश्विक समर्थन जुटाया और पाकिस्तान पर अभिनंदन को छोड़ने का ऐसा दबाव कायम किया, जिससे पाकिस्तान को भारत के सामने झुकना पड़ा.
वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान ने अपनी छवि बना ली है कि वह दुनिया भर के देशों से मदद मांगता फिरता है, जबकि दूसरी तरफ प्रॉक्सी वॉर करता है और आतंकियों को पनाह देता है. अमेरिका ने जो एफ-16 लड़ाकू विमान पाकिस्तान को दिया था, कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, वह केवल आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में या उनसे रक्षा में इस्तेमाल होना था. पाकिस्तान ने इस नियम का भी उल्लंघन किया है. भारत के पास यह सबूत हैं कि पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए एफ-16 का इस्तेमाल किया है.
इस उल्लंघन की वजह से अब भविष्य में पाकिस्तान इस तरह के लड़ाकू विमान या हथियार हासिल करने से भी वंचित रह जायेगा. ऐसे में कोई देश उसकी मदद नहीं करेगा. दस सालों से हम जिस कोशिश में थे, पुलवामा हमले के बाद अब ऐसा माहौल बन गया है कि चीन भी इस बार संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को बचाने नहीं आयेगा. खबर है कि अगले हफ्ते फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष हो जायेगा और अपनी वीटो शक्ति से मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगा देगा तथा चीन भी इसका विरोध नहीं करेगा. कुछ ही दिनों में भारत ने कूटनीति से अपने पक्ष में वैश्विक चेतना पैदा की है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था.
एफ-16 के इस्तेमाल पर मुसीबत में पाक
कश्मीर में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर हवाई हमले के लिए एफ-16 विमान का इस्तेमाल पाकिस्तान के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. पेंटागन की डिफेंस सिक्योरिटी एंड कॉरपोरेशन एजेंसी (डीएससीए) के अनुसार, पाकिस्तान को यह विमान आतंक के विरुद्ध अभियानों में अपनी क्षमता बढ़ाने और आतंकियों के खात्मे के लिए दिया गया था. इसके इस्तेमाल को लेकर अमेरिका ने पाकिस्तान पर लगभग 12 पाबंदियां लगायी हैं.
हालांकि पाकिस्तान ने इस बात का खंडन किया है कि उसने भारत के खिलाफ एफ-16 का इस्तेमाल किया है. लेकिन भारतीय वायुसेना ने एफ-16 विमान के कुछ टुकड़े साक्ष्य के तौर पर पेश किये हैं, जिससे साबित होता है कश्मीर में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर हवाई हमले के लिए पाकिस्तान ने इस विमान का इस्तेमाल किया था.
असल में 26 फरवरी को पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों पर भारतीय वायुसेना द्वारा हवाई हमला करने के अगले ही दिन एलओसी के नजदीक उड़ रहे 24 पाकिस्तानी विमानों को भारतीय लड़ाकू विमानों ने सीमा से दूर भगा दिया था. इन पाकिस्तानी विमानों में एफ-16 भी शामिल था. भारतीय सैनिकों द्वारा उड़ाये जा रहे 8 विमानों में मिग 21 बायसन विमान विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान उड़ा रहे थे.
अभिनंदन ने ही पाकिस्तान के एफ-16 विमान को हवा से हवा में मार करने वाली आर-73 मिसाइल दाग कर मार गिराया था. हालांकि, पाकिस्तान ने इस बात से भी इंकार किया है कि उसके किसी विमान को भारत ने मार गिराया है. वहीं, भारत के खिलाफ एफ-16 के इस्तेमाल को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान द्वारा एफ-16 लड़ाकू विमान के गलत इस्तेमाल संबंधी रिपोर्टों पर अमेरिका और जानकारियां जुटा रहा है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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