आर्थिक अपराध के मामलों में सरकार का कड़ा रूख नहीं होने के कारण लोगों का विश्वास टूटता है. इस तरह के मामलों में सरकार को कड़ा कानून बनाकर पालन करना चाहिए. आर्थिक अपराध करने वाले लोगों के साथ कड़ाई बरतनी चाहिए, ताकि दूसरे को ऐसा करने से पहले सोचना पड़े. अगर किसी संस्था की आर्थिक स्थिति खराब हो जाये, तो उसके रिस्ट्रक्चर का प्लान भी सरकार के पास होना चाहिए.
इससे बाजार के प्रति लोगों को विश्वास बना रहेगा. निवेशक अपने को सुरक्षित महसूस करेंगे. ऐसा कहना है कोटेक एसेट मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक निलेश साह का. निलेश साह में नारनोलिया फाइनांसियल एडवाइजर्स लिमिटेड के कार्यक्रम में हिस्सा लेने रांची आये थे. प्रभात खबर के मुख्य संवाददाता मनोज सिंह ने उनसे निवेश और उससे जुडे कई मुद्दों पर बात की. प्रस्तुत है बातचीत का हिस्सा…
Q क्या लगता है कि शेयर बाजार के प्रति देश में लोगों का रुझान बढ़ा है?
पिछले 20 साल में इस क्षेत्र में काफी विकास हुआ है. लेकिन, अभी बड़ा बाजार हम लोगों से काफी दूर है. संभावना बहुत है. लोगों को विश्वास बढ़ाने की जरूरत है. अभी देश में करोड़ म्युच्युअल फंड का पोर्टफोलियो है.
इसमें करीब 1.8 करोड़ यूनिक इंवेस्टर हैं. 20 साल पहले करीब 70-75 लाख के आसपास ही यूनिक इंवेस्टर थे. करीब दो करोड़ म्युच्युअल फंड के पोर्टफोलियो थे. चार करोड़ के आसपास डिमेट एकाउंट है. छह करोड़ लोग इनकम टैक्स भर रहे हैं. 80 करोड़ लोगों के पास बैंक अकाउंट है. इससे लगता है कि निवेशक बनाये जाने का स्कोप अभी भी बहुत है. इसके लिए बहुत काम करने की जरूरत है.
Q तो क्यों लोगों का विश्वास इस तरह के निवेश में हो पा रहा है?
देखिए, भारत के लोग सुरक्षित जीवन जीना चाहते हैं. वे रिस्क बहुत नहीं लेते हैं. उनको निवेश के बारे में बहुत जानकारी नहीं है. इसके लिए काम करने की जरूरत है. उनको बाजार की समझ बढ़ानी होगी. इसमें निवेश कराने वाली एजेंसियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.
Q कैसे जागेगा विश्वास, जब बड़े-बड़े लोग पैसे लेकर भाग जा रहे हैं?
बैंक से पैसे लेकर भाग जाना आर्थिक अपराध है. इससे आम लोगों को सीधे कोई नुकसान नहींहोता है. अगर विजय माल्या पैसा लेकर चले गये, तो सरकार उनकी संपत्ति जब्त कर बैंकों का पैसा लौटा सकती है.
नीरव मोदी का मामला अलग हो सकता है. उनका देश में बहुत निवेश नहीं था, लेकिन माल्या जैसे मामलों में सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए. आर्थिक अपराध करने वाले लोगों पर कड़ा कानून लगना चाहिए. इसका निष्पादन भी जल्द होना चाहिए. इससे लोगों को विश्वास सरकार पर बढ़ेगा. लोग अपना पैसा बाजार में देना चाहेंगे. इससे निवेश बढ़ेगा. निवेश बढ़ेगा, तभी देश का विकास होगा.
Q जब आइएलएफएस, सत्यम जैसी कंपनियां डूबने लगती हैं, तो निवेशकों का विश्वास कैसे बना रहेगा?
आइएलएफएस ट्रिपल ए रेटिंग की कंपनी थी. इसके शेयर के मूल्य भी काफी ऊंचे थे. कुछ कारणों से बाजार का विश्वास इन पर नहीं रहा.
इससे निवेशकों के पैसे डूबे, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि सरकार के हस्तक्षेप से स्थिति सुधरने लगी है. सत्यम के साथ भी कुछ इसी तरह की स्थिति थी. सरकार को अगर लगे कि इस तरह की संस्था ने जानबूझ कर लोगों का पैसा नहीं डूबाया, तो सरकार को ऐसी कंपनियों के साथ खड़ा होना चाहिए. इससे निवेशकों को लगेगा कि सरकार संकट में उनका पैसा डूबने नहीं देगी. इससे लोगों को विश्वास बना रहेगा. विदेशों में ऐसा होता रहा है. 2008 में अमेरिका में जनरल मोटर डूब गयी थी. सरकार ने उसका अधिग्रहण कर उसको फिर से खड़ा कर दिया. इससे लोगों का विश्वास बना रहा.
Q क्या छोटे शहरों में भी शेयर बाजार और म्युच्युअल फंड का कारोबार बढ़ा है?
जैसे-जैसे छोटे शहरों की इकोनॉमी बढ़ेगी, निवेश का बाजार बढ़ेगा. पहले यह महानगरों का खेल था. अब छोटे-छोटे शहरों में यह काम हो रहा है. काफी निवेशक छोटे शहरों से हैं. शेयर बाजार का बड़ा हिस्सा अब इन शहरों से जा रहा है.
Q निवेश करने का सही मोड क्या हो सकता है?
निवेश भी आपके शरीर की संरचना की तरह है. जैसे-जैसे आप शरीर को खाना देते हैं, निवेश भी उसी तरह करें. अगर आपके खाने का समय तय है तो निवेश का समय भी तय करें. सप्ताह, 15 दिन, माह, दो माह जो भी आपको सूट करे, उसी हिसाब से निवेश करें. निवेश हमेशा बचत से करें. यह अलग-अलग कमाई के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है. कोशिश करें कि निवेश लंबी अवधि हो. जल्द से पैसा लगाकर भागने की कोशिश नहीं करें. यह नुकसान भी कर सकता है.
Q बजार को कौन-कौन चीज प्रभावित करता है?
बाजार को कई चीजें प्रभावित करती है. इसमें क्रुड ऑयल की कीमत, राजनीतिक व्यवस्था, आर्थिक निर्णय आदि महत्वपूर्ण है. कभी-कभी अंरराष्ट्रीय कारणों से भी बाजार पर असर दिखता है. अभी ट्रंप की एक नीति के कारण क्रुड ऑयल की कीमत घट गयी है. क्रुड ऑयल की कीमत घटती है तो भारत जैसे देश को आर्थिक फायदा काफी होता है.
यहां से बड़ी मात्रा में पैसा तेल खरीदने में जाता है. अभी चुनाव आने वाले हैं. चुनाव में किसी सरकार बनेगी, उसकी नीतियां क्या होगी. इससे भी बाजार प्रभावित होता है. यह निवेश का अच्छा समय हो सकता है. इसमें शॉर्ट टर्म इनवेस्टर कमा भी सकते हैं. इसके अतिरिक्त कुछ आर्थिक परिस्थितियां भी होती है.
Q बाजार में कब तक दिखेगा नोटबंदी और जीएसटी का असर?
आने वाले एक साल में नोटबंदी और जीएसटी का असर बाजार पर नहीं दिखेगी. इन दो निर्णयों से बाजार पर असर पड़ा था. अब इससे उबर रहा है. जल्द ही स्थिति सुधर जायेगी. इसी बीच चुनाव भी आ रहा है. चुनाव का असर अब बाजार पर दिखेगा. यह निवेश का उचित समय हो सकता है. मतगणना के दिन भी शेयर बेचकर कमाई कर सकते है. उस दिन बाजार का आकलन करना होगा. देश की व्यवस्था बदल रही है. इसका असर दिख रहा है. आने वाले कुछ दशक भारत के होंगे.
कहां चूक रहा है देश
भारत को चलाना किसी के लिए भी आसान नहीं हैं. यहां इतनी डायवर्सिटी है कि समझना मुश्किल है. भारत 1947 में आजाद हुआ. 1950 में साउथ कोरिया आजाद हुआ. आज भारत की प्रति व्यक्ति आमदनी 2020 डॉलर प्रतिव्यक्ति है. वहीं साउथ कोरिया आज 32050 डॉलर प्रतिव्यक्ति तक पहुंच गया है. इससे लगता है कि हमारा विकास के मॉडल को कहीं रोका गया है. इसके पीछे नीतियां भी जिम्मेदार है.
इसके लिए एक उदाहरण है: आजादी के करीब जब टाटा कंपनी संकट में आयी तो उसने बैंकों से सहयोग मांगा. कर्मियों के वेतन पैसे घट गये थे. बैंक ने सहयोग नहीं किया. इस वक्त टाटा स्टील पॉस्को से अधिक स्टील का उत्पादन करती थी. एक समय पॉस्को कंपनी जब डूब रही थी, तो वहां की सरकार ने उसे आर्थिक सहायता देकर खड़ा कर दिया. इस कारण आज पॉस्को 40 मिलियन टन से अधिक कोयले का उत्पादन कर रही है. सरकार को ईमानदार व्यापारी को हमेशा समर्थन करना चाहिए.
