पवन कुमार
झारखंड सरकार राज्य के किसानों की आमदनी दोगुनी करने का भरसक प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में राज्य के 26 किसानों को इस्राइल ले जाकर उन्नत कृषि तकनीक सीखने का अवसर दिया गया, ताकि वे अपने खेतों में इसका उपयोग कर खुद को आर्थिक तौर पर समृद्ध कर सकें.
रांची जिला अंतर्गत मांडर प्रखंड की कैम्बो पंचायत के गुड़गुड़जाड़ी गांव के किसान गंदूरा उरांव भी इस्राइल गये थे. गंदूरा उरांव पिछले 15 साल से खेती-बारी कर रहे हैं. खेती के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुका है. उन्हें मुख्यमंत्री रघुवर दास और राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने भी सम्मानित किया है. गुड़गुड़जाड़ी गांव में 95 फीसदी लोग खेती पर आश्रित हैं. कृषि के जरिये गांव के लोग खुशहाल जीवन जी रहे हैं.
कृषि और तकनीक का समन्वय : इस्राइल एक ऐसा देश है, जहां कृषि और तकनीक का शानदार समन्वय दिखाई पड़ता है. गंदूरा उरांव समेत अन्य किसानों ने इस्राइल में जो देखा, उसे झारखंड में जमीनी स्तर पर उतारना सपने जैसा है. वहां के किसान जागरूक हैं और जानकार भी हैं.
वे चीजों को बेहतर तरीके से समझते हैं. उन्हें आधुनिक तकनीक से खेती की पूरी जानकारी है. सरकार से जो भी योजनाएं मिलती हैं, उसका पूरा लाभ उठाते हैं. वहां कृषि से लेकर पशुपालन में तकनीक का इस्तेमाल होता है. हर रोज गाय का दूध निकालने से पहले उनका वजन और चारा खिलाने के बाद वजन किया जाता है, इसके बाद ही मशीन से दूध निकाला जाता है. इससे गाय बीमार भी नहीं पड़ती है.
जल प्रबंधन का बेहतर उदाहरण : किसान गंदूरा उरांव बताते हैं कि इस्राइल में बारिश बहुत कम होती है. सप्लाई के जरिये किसानों के खेतों तक पानी पहुंचता है.
वहां हर खेत में ड्रीप एरिगेशन एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के तहत सिंचाई की जाती है. हर खेत में पॉली हाउस और ग्रीन हाउस बने हुए हैं. ड्राई जोन होने के बावजूद इस्राइल में हर ओर हरियाली दिखती है. चाहे पार्क हो या सड़कों के किनारे पेड़ हों, पूरे देश में हर जगह ड्रीप एरिगेशन प्रणाली से ही सिंचाई की जाती है. सभी किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से पानी मिलता है और अधिक पानी खर्च करने पर जुर्माना भी लिया जाता है. गंदूरा बताते हैं कि लोग वहां अपने मवेशियों को खुला नहीं छोड़ते हैं.
प्रोसेसिंग प्लांट और भंडारण की व्यवस्था : इस्राइल में फल और सब्जियों का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है. यहां फल और सब्जियां खराब नहीं होती हैं, क्योंकि वहां भंडारण की उचित व्यवस्था है, जहां किसान अपने उत्पाद रखते हैं.
कई किसानों ने खुद का प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाया है. गंदूरा बताते हैं कि टीम के साथ वे एक शकरकंद के फार्म में गये थे. जहां एक हजार एकड़ में शकरकंद की खेती की गयी थी. वहां से शकरकंद की प्रोसेसिंग करके विदेश भेजा जाता है. गंदूरा समेत अन्य किसानों ने अनार, संतरा और केले के बगान भी देखे.
नयी तकनीक का हो प्रयोग : इस्राइल की खेतों में ड्रीप एरिगेशन प्रणाली के तहत पाइप के बीच में एक चिप लगायी जाती है, जिसके जरिये किसान को खेत की नमी, मिट्टी का प्रकार और पौधों में किस पोषक तत्व की कमी हो रही है, इसकी जानकारी सीधे मोबाइल पर मिल जाती है. इसके हिसाब से किसान खाद का इस्तेमाल करते हैं और सिंचाई भी करते हैं. किसान गंदूरा उस तकनीक का इस्तेमाल अपने खेतों में करना चाहते हैं.