यूएन सदस्य नहीं होते हुए भी परमाणु परीक्षण
आज 31 अक्तूबर है. भारतीय राजनीति के दो महान नेताओं को याद करने का दिन. आज भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है तो देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की जयंती भी. कांग्रेस इस दिन को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के रूप में जोर शोर से मनाने की तैयारी में है, तो भाजपा देश के प्रथम गृहमंत्री रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को रन फॉर यूनिटी जैसे बड़े आयोजनों के साथ धूमधाम से मनाने में जुटी है.
भारतीय राजनीति के इतिहास में एक बेहद मजबूत इरादों वाली राजनेता के रूप में विख्यात इंदिरा गांधी को कठोर फैसले लेने वाली प्रधानमंत्री के रूप में देखा जाता है. उन्होंने अपनी दृढ़ता का परिचय सिर्फ अपने राजनीतिक फैसले लेकर ही नहीं दिया बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी उतनी ही मजबूत इरादों में से थीं.
आयरन लेडी के रूप में विख्यात पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी शुरू से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं. 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने ‘बाल चरखा संघ’ की स्थापना की और असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सहायता के लिए 1930 में बच्चों के सहयोग से ‘वानर सेना’ का निर्माण किया था.
उनकी प्रसिद्धि देश ही नहीं विदेशों में भी रही. फ्रांस जनमत संस्थान के सर्वेक्षण के अनुसार वह 1967-68 में फ्रांस की सबसे लोकप्रिय महिला थी. 1971 में अमेरिका के विशेष गैलप सर्वेक्षण के अनुसार वह दुनिया की सबसे लोकप्रिय महिला थी.
आयरन लेडी ने 13 साल की उम्र में बनायी थी वानर सेना
रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम को भी नहीं थी जानकारी
18 मई, 1974 को बुद्ध जयंती के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एक फोन का इंतजार कर रही थीं. तभी उनके पास एक वैज्ञानिक का फोन आता है और वह कहते हैं कि बुद्ध मुस्कुराये. इस संदेश का मतलब था कि पोखरण परमाणु परीक्षण सफल रहा.
इसके बाद दुनिया में भारत पहला ऐसा देश बन गया था जिसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य न होते हुए भी परमाणु परीक्षण करने का साहस किया. इस पूरे ऑपरेशन के बारे में इंदिरा के अलावा कुछ ही लोगों को इसकी जानकारी थी. रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम को भी ऑपरेशन सफल होने के बाद ही जानकारी हो पायी थी.
प्रणब मुखर्जी की स्मोकिंग पर किया था कमेंट
असम के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता देबकांत बरुआ ने पहली बार प्रणब मुखर्जी को पाइप पीने को दिया था. इसके बाद उन्हें पाइप पीने की लत लग गयी. प्रणब मुखर्जी के पाइप पीने के शौक को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पसंद नहीं करती थीं.
हालांकि, इंदिरा नाराज नहीं होतीं पर धुएं की वजह से उन्हें परेशानी होती थी. इंदिरा गांधी कहा करती थीं कि प्रणब मुखर्जी से कोई चाहे जो कहे, लेकिन उसके मुंह से धुआं के अलावा कुछ नहीं निकलेगा. इंदिरा गांधी के इस बयान का अर्थ यह था कि प्रणब मुखर्जी कभी भी कोई बात लीक नहीं करते थे, वे गुप्त बातें अपने मन में दबाये रहते थे.
