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बेहतर जीवन के लिए दिमाग, शरीर और लाइफ स्टाइल में संतुलन जरूरी, अपनाएं खुशी के ये मंत्र

डॉ डीके झा (एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन, रिम्स, रांची) हर व्यक्ति अच्छा, सुखमय, स्वस्थ और तनाव रहित जीवन जीना चाहता है. लेकिन ऐसा हो नहीं पाता. इसके लिए बहुत हद तक मनुष्य खुद जिम्मेवार है. यह सही है कि जीवन में बहुत कुछ पहले से तय है और उन पर किसी का वश नहीं चलता. […]

डॉ डीके झा
(एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन, रिम्स, रांची)
हर व्यक्ति अच्छा, सुखमय, स्वस्थ और तनाव रहित जीवन जीना चाहता है. लेकिन ऐसा हो नहीं पाता. इसके लिए बहुत हद तक मनुष्य खुद जिम्मेवार है. यह सही है कि जीवन में बहुत कुछ पहले से तय है और उन पर किसी का वश नहीं चलता. लेकिन कई ऐसी चीजें हैं, जो मनुष्य के हाथ में है. उसे या तो अच्छा करें या खराब. जैसा करेंगे, जीवन वैसा ही होगा. जानते हैं कैसे बनाएं हम अपने जीवन को बेहतर.
कृति ने हर जीव-जंतु के लिए कुछ नियम तय कर रखे हैं और जिस किसी ने उन नियमों को तोड़ा, उसे उसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा ही. इंसान के साथ भी यही फॉर्मूला लागू होता है. बेहतर जीवन जीना चाहते हैं, तो दिमाग, शरीर और आपकी लाइफ स्टाइल में तालमेल होना सबसे आवश्यक है. दिमाग और शरीर दोनों का अपना-अपना महत्व है.
इसे बनने में समय लगता है. 18-20 साल तक बच्चे जितना ग्रहण कर लेते हैं, बुद्धि और ज्ञान की जो पूंजी जमा कर लेते हैं, उसके बाद ही आगे के कैरियर के लिए उनके पास च्वाइस का रास्ता बनता है. बुद्धि और ज्ञान की पूंजी जो जैसे खर्च करेगा, उसका जीवन वैसा ही होगा.
जीवन जीना है एक कला : इस बात को समझना होगा कि दिमाग और शरीर दोनों का आपस में गहरा संबंध है. दिमाग आदेश देता है, शरीर मानता है.
लेकिन दिमाग तभी सही तरीके से काम करेगा, जब शरीर स्वस्थ हो. इसलिए शरीर का स्वस्थ रहना सबसे जरूरी है. शरीर तभी स्वस्थ होगा, जब अच्छा भोजन आप लें. अच्छा भोजन का मतलब संतुलित भोजन से है न कि मात्रा से. आज दुनिया जहां खड़ी है, लोग ज्यादा बीमारी पाल कर चल रहे हैं, तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है- खराब लाइफ स्टाइल. जीवन जीने की कला को नहीं जानना या जानने के बावजूद उसके साथ मजाक करना. आजकल चलन फास्ट फूड का है और यही सबसे बड़ी आफत है. बीमारियों की जड़ है.
क्या-क्या खाना होगा लाभप्रद : बेहतर जीवन जीना है तो कम-से-कम चीनी लें, फास्ट फूड से बचें, खाने में कम-से-कम तेल हो, मैदा का उपयोग नहीं के बराबर करें. ये सब चीजें हार्ट को प्रभावित करती हैं. जब इतनी बंदिश हों, तो खायें क्या? जवाब है- फल खाइए. फल बूढ़ा होने से बचाता है.
खुराक का एक-चौथाई फल लें तो सबसे अच्छा. शरीर चलने के लिए बना है. रोजाना तीन-चार किलोमीटर चलिए. व्यायाम करिए. जीवन तो चलने का नाम है. मौका मिले तो मैदान में कुछ खेलिए. घूमने से, खेलने से एंडोर्फिन यानी हैप्पी हॉर्मोन बनता है. यही शरीर को फायदा पहुंचाता है.
पर्याप्त नींद भी है जरूरी : बेहतर खाने, घूमने के साथ-साथ पर्याप्त नींद भी आवश्यक है. शरीर तभी रिचार्ज होगा, जब पर्याप्त नींद लेंगे. यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है. कोई कम सोता है, कोई ज्यादा. लेकिन इतनी नींद जरूर लें, ताकि दूसरे दिन सवेरे उठने पर फ्रेश महसूस करें. इसी सत्य को स्वीकार करना होगा, खास कर बच्चों को.
टाइम मैनेजमेंट से रहे तनावमुक्त : आजकल नयी बीमारी आयी है, तनाव की. यह कई बीमारियों की जड़ है. घर का तनाव, कार्यालय का तनाव. लोगों में इस तनाव को सहने की क्षमता घट गयी है और वे जान दे रहे हैं. लोगों की अपेक्षाएं बहुत बढ़ गयी हैं. इसे नियंत्रित करना होगा.
व्यक्ति खुशहाल हो सकता है, तनाव रहित जीवन जी सकता है, अगर उसका टाइम मैनेजमेंट बेहतर हो. टाइम मैनेजमेंट खराब रहने पर ही एक ही समय बहुत सारा काम सामने दिखता है और उसे पूरा नहीं कर पाने के कारण तनाव बढ़ता है. परीक्षा के समय छात्रों पर आया पढ़ाई का भार उदाहरण है. अगर साल भर छात्र थोड़ी-थोड़ी पढ़ाई करते रहें तो परीक्षा के समय कोई परेशानी नहीं होगी. वही व्यक्ति स्मार्ट और सफल होता है, जिसका टाइम मैनेजमेंट बेहतर होता है.
ना कहना भी सीखना चाहिए : हर चीज में हां कह देने से भी परेशानी बढ़ती है. जो काम आप नहीं कर सकते हैं, उसमें न कहना भी सीखें. जीवन जीना एक कला है. ज्यादा महत्वपूर्ण काम को पहले करें, आज की सोचें, आज को जीएं, तो चीजें आसान हो जायेंगी. तनाव रहित जीवन जीने के लिए खुद में थोड़ा बदलाव लाना होगा. विवाद-बहस से लाभ नहीं होता है, इससे बचें.
काम के साथ-साथ आराम भी करें : इस बात को स्वीकार करें कि जिंदगी अपने हिसाब से चलती है. उसे चलानेवाला परमात्मा है, आप नहीं. इसलिए हार हो या जीत, अच्छा हो या बुरा, उसे स्वीकार करना सीखें. इंटेलिजेंट माइंड लचीला होता है और चीजों को जल्द स्वीकार करता है. कई चीजें एक-दूसरे से जुड़ी हैं. शरीर दिमाग से जुड़ा है और इन दोनों से जुड़ी है जिंदगी. शरीर और दिमाग जब काम करता है तो वह थकता भी है. मशीन की तरह उसे भी आराम चाहिए. नींद इसका उदाहरण है.
अच्छी नींद आराम देती है. शारीरिक श्रम भी करें, आराम भी करें. आराम के तरीके और भी हैं. सुंदर चीजों को देखें, जब आप जंगलों को देखते हैं, झरना से पानी गिरते देखते हैं, उसकी आवाज को सुनते हैं, कितना अच्छा महसूस करते हैं. हर जगह और हर समय प्राकृतिक सुंदरता नहीं मिल सकती. ऐसे में जो भी संगीत पसंद हो, आराम करने के लिए उसका सहारा लें. बहुत सुकून मिलेगा. हंसने का और ठहाका लगाने का बहाना खोजिए. यह अपने आप में अच्छा व्यायाम है.
काम प्रति रखें सकारात्मक नजरिया : समस्याएं हर व्यक्ति के जीवन में आती हैं. जैसे आती हैं, वैसे जाती भी हैं. इस तर्क को स्वीकार करना पड़ेगा कि अच्छा वक्त भी आयेगा और खराब वक्त भी. दोनों गुजर जायेगा. आप उसे हंस कर गुजारें या रो कर, लेकिन गुजारना तो होगा ही. समस्याओं से भागे नहीं, घबराएं नहीं, उसका मुकाबला करें और उसे मात दें. उसका हल निकालें. समस्या को उतना ही महत्व दें, जितने की वे लायक हैं. जरूरत से ज्यादा महत्व देने पर चिंता बढ़ेगी. चिंता को हंस कर टालने का गुण विकसित करें. समय सबसे बलवान होता है.
वह चीजों को ठीक कर देगा. गलती किसी से भी हो सकती है, आपसे भी. इसका अर्थ यह नहीं कि आप किसी काम के लायक नहीं हैं और सबसे बेकार हैं. खुद पर भरोसा रखें, अपने काम पर फोकस करें, एक समय एक ही काम करें, ताकि ध्यान नहीं भटके, आपको जरूर सफलता मिलेगी. थोड़ा समय भले लग सकता है.
इस बीच परेशानी आती रहेगी, जाती रहेगी, अच्छे क्षण आयेंगे, जायेंगे. यह सब जीवन का हिस्सा है. आपके हिस्से का जो सुख-दुख है, उसे आपको ही ढोना पड़ेगा. इसलिए उम्मीद न छोड़ें. सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों से संपर्क रखें, सुख-दुख बांटे, समय ठीक से कटेगा. अपना दायित्व निभाएं. प्रयास करें, लेकिन वादा नहीं करें. वादा पूरा करना आपके हाथ में नहीं होता.
गुस्सा आये तो एक ग्लास पानी पी लें : मनुष्य को सबसे ज्यादा नुकसान जो पहुंचाता है, वह है क्रोध (गुस्सा). इस पर नियंत्रण न हो तो चीजें खराब होंगी ही.
इसे खत्म अगर नहीं कर सकें, तो कम तो कर ही सकते हैं. कम करने के गुण सीखें. पानी क्रोध को कम करता है. जब गुस्सा आये, पानी पी लें. थोड़ा सुस्ता लें. अगर सामनेवाले गुस्सा में हो, तो अपने अच्छे व्यवहार से उन्हें किसी तरह एक गिलास पानी पिला दें, गुस्सा कम हो जायेगा. हां, गुस्से में कोई भी बड़ा निर्णय न लें. गुस्सा में लिया गया निर्णय कभी सही नहीं होता.
किसी भी नशे से रखें खुद को दूर : बेहतर जीवन जीना है, तो नशे से दूर रहिए. किसी चीज का गुलाम मत बनें. ऐसी बात नहीं कि नशा करने से आपकी समस्याएं दूर हो जायेंगी. यह सिर्फ भ्रम है. याद रखिए अपने परिवार पर भरोसा करें, बच्चों को प्यार करें, उन्हें बिना शर्त सहयोग दें, आपकी कई समस्याओं का निदान जो जायेगा.
बच्चों पर न थोपें अपने सपने : आप तय न करें कि बच्चों को क्या बनना है, उस पर कोई भार-दबाव न दें. ईश्वर ने उसके लिए कुछ न कुछ तय कर रखा है.
आपके दबाव देने से कुछ होनेवाला नहीं. जो आपको अच्छा लगता है, जरूरी नहीं कि आपके बच्चों को भी अच्छा लगे. इसके उदाहरण हैं अमिताभ बच्चन और सचिन तेंदुलकर. अगर अमिताभ बच्चन या सचिन के पिता दबाव देकर अपने बच्चों को वही बनाना चाहते जो वे खुद थे, तो क्या आज अमिताभ या सचिन इतना नाम कमा पाते. इसलिए बच्चों पर अनावश्यक दबाव न बनाएं. रास्ता निकलेगा और बेहतर निकलेगा. इन छोटे-छोटे प्रयासों पर आप गौर करें, तो आपका जीवन निश्चय ही खुशहाल होगा.
(लेखक रिम्स, रांची में एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन हैं. वह एमडी, गोल्ड मेडलिस्ट, एफआइसीपी हैं. वह एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया, इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के लाइफ मेंबर हैं. 12 पुस्तकों का संपादन किया है. कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में साइंटिफिक लेख प्रकाशित हुए हैं.)
अपनाएं खुशी के ये मंत्र
शरीर चलने के लिए बना है, रोजाना तीन-चार किलोमीटर जरूर चलिए,
व्यायाम करिए, मैदान में कुछ देर खेलिए. घूमने से, खेलने से एंडोर्फिन यानी हैप्पी हॉर्मोन बनता है.
शारीरिक श्रम भी करें, आराम भी करें. पसंद का संगीत सुनें.
वही स्मार्ट व सफल होता है, जिसका टाइम मैनेजमेंट बेहतर होता है.
हंसने का और ठहाका लगाने का बहाने खोजिए. यह अपने आप में बढ़िया व्यायाम है.
परिवार पर भरोसा करें, अपने बच्चों को भरपूर प्यार करें. उन्हें बिना शर्त सहयोग दें.

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