शशांक भारद्वाज, वाइस प्रेसिडेंट,
च्वाइस ब्रोकिंग
जीवन के सभी क्षेत्रों में चयन अर्थात सेलेक्शन का बहुत महत्व होता है और सफलता चयन पर बहुत कुछ निर्भर करती है. वित्तीय निवेश क्षेत्र और उत्पाद जैसे शेयर, म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस आदि पर भी यह पूर्णतया लागू होता है. या यूं कहें तो कुछ ज्यादा ही लागू होता है, क्योंकि वित्तीय निवेश के प्रोडक्ट, मूल्य और रिटर्न्स के दृष्टिकोण से काफी सेंसेटिव होते हैं. इसे कई तरह के कारक प्रभावित करते रहते हैं. इसलिए अपने वित्तीय सलाहकार का चयन बहुत ही सावधानी के साथ करना चाहिए.
हम सीए, इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट आदि विशेषज्ञों का चयन सावधानी से करते हैं, लेकिन वित्तीय सलाहकार के चयन में अपेक्षित सावधानी नहीं बरतते, जबकि यह संपूर्ण आर्थिक संपदा के प्रबंधन से जुड़ा होता है और जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं को काफी प्रभावित करता है.
वित्तीय सलाहकार के चयन के कई आयाम हैं. इसमें सर्वप्रथम है आपके वित्तीय सलाहकार को वित्तीय जगत और विभिन्न वित्तीय उत्पादों की कितनी जानकारी है. उसकी जानकारी का स्तर कैसा है क्योंकि वित्तीय जगत एक अत्यंत कंप्लेक्स वर्ल्ड है और यहां सफलता और अच्छे निवेश के लिए वित्तीय संसार एवं उत्पादों का पर्याप्त और अद्यतन ज्ञान पहली आधारभूत शर्त है.
गहरी समझ होनी चाहिए : चयन में दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है उनका वित्तीय जगत का अच्छा अनुभव होना. चूंकि वित्तीय बाजार कालांतर में अनेक अतिवादी आयामों और चरणों से गुजरा है. इसलिए वित्तीय सलाहकार को इन चरणों का पर्याप्त अनुभव होना चाहिए, ताकि वे आपके श्रेष्ठ सलाह दे सके.
क्लायंट के लिए प्रतिबद्धता : वित्तीय सलाहकार में अपने क्लायंट के लिए प्रतिबद्धता होनी चाहिए. उनके लिए क्लायंट का हित सर्वोपरि होना चाहिए. उन्हें क्लायंट के वित्तीय संपदा के लिए सलाह स्वयं की वित्तीय संपदा की तरह समझ कर देनी चाहिए. आज का युग तकनीक का युग है. ऐसे में आपका वित्तीय सलाहकार को भी अद्यतन तकनीकी सुविधाओं से लैस होना चाहिए. इससे निवेश की प्रक्रिया सरल हो सकेगी और आप भी अपने निवेश की वर्तमान स्थिति पर दृष्टि रख सकेंगे.
चयन का आधार मित्रता या रिश्ता न हो : यह देखा गया है कि कुछ लोग अपने अपने मित्र को वित्तीय सलाहकार बना लेते हैं. मित्रता घूमने, पार्टी, सहयोग आदि के लिए है, वित्तीय सलाहकार के लिए वित्तीय बाजार से संबंधित विभिन्न मानकों की कसौटियों पर परखना प्राथमिकता होनी चाहिए.
एक से अधिक का करें चयन : एक ही वित्तीय सलाहकार नहीं रखना चाहिए. अगर दो हो, तो तुलना की जा सकती है कि श्रेष्ठ कौन है और फिर आपके पास विकल्प भी उपलब्ध होता है.
एक्सपर्ट व्यू
एसके मल्लिक, पूर्व जीएम, पंजाब नेशनल बैंक
आज के डिजिटल दौर में बैंकिंग को भी काफी सरल बना दिया है. सभी बैंक अपने कस्टमर को सारी सुविधाएं अपने मोबाइल एप और इंटरनेट बैंकिंग के जरिये दे रहे हैं. ऑनलाइन शॉपिंग, डिजिटल वालेट का उपयोग बढ़ गया है, लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि इसका इस्तेमाल जितना आसान है, उतना ही यह असुरक्षित भी है. साइबर क्राइम में ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इसलिए यह जरूरी हो गया है कि इन सेवाओं का उपयोग करते समय कुछ सावधानियां बरती जाये.
यूजर आईडी, पासवर्ड न बताएं
बैंक खाते को सुरक्षित रखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप नेट बैंकिंग में उपयोग होनेवाले यूजर आईडी और पासवर्ड को किसी भी दूसरे व्यक्ति से शेयर न करें. विशेषकर अपने पासवर्ड को हमेशा गुप्त रखें. साथ ही कोशिश करें कि एक निश्चित अंतराल पर पासवर्ड बदलते भी रहें.
दूसरे के सिस्टम का उपयोग न करें
सामान्यतया लोग किसी दूसरे के सिस्टम से इंटरनेट बैंकिंग करने लग जाते हैं. यह बड़ी गलती साबित हो सकती है. हैकर्स यूआरएल लिंक के माध्यम से आपके एकाउंट को हैक कर सकते हैं. इसलिए हमेशा अपने घर के सिस्टम से ही नेट बैंकिंग करनी चाहिए.
ओटीपी किसी को न बताएं
किसी भी वित्तीय लेनदेन के दौरान चाहे इंटरनेट बैंकिंग हो या ऑनलाइन वॉलेट से पेमेंट करना हो, हमेशा ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) का इस्तेमाल करना होता है. यह बहुत ही सुरक्षित तरीका है. यह आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ही आता है. हमेशा इसी तरीके से कोई भी भुगतान करना चाहिए. और हमेशा यह सावधानी रखनी चाहिए कि अगर कोई भी आपसे ओटीपी मांगे, चाहे किसी भी बहाने से, तो कभी भी किसी से भी शेयर न करें.
खुद को रखें सतर्क
इंटरनेट बैंकिंग के दौरान बैंकिंग अलर्ट खुद को सुरक्षित रखने का एक बेहतरीन तरीका है. कोशिश करें कि आप अपने मोबाइल नंबर और इमेल को लेन-देन से संबंधित अलर्ट्स के लिए पंजीकृत रखें. सभी बैंक अपने कस्टमर को उसके खाते से होनेवाली सभी लेन-देन की सूचना इसी के माध्यम से प्रदान करते हैं. किसी भी तरह की सूचना को जरूर पढ़ें, इग्नोर नहीं करें और अगर आपने कोई लेन-देन नहीं किया है, तो तुरंत बैंक को इसकी सूचना दें.
सीवीवी व पिन शेयर न करें
जब आप ऑनलाइन लेन-देन करते हैं और उसमें डेबिट कार्ड पेमेंट विकल्प को चुनते हैं, तो आपको अपने कार्ड नंबर के साथ-साथ कार्ड के पीछे लिखे तीन अंकों का सीवीवी नंबर देना पड़ता है और फिर एटीएम पिन कोड को भी देना पड़ता है. इन नंबरों को किसी से भी शेयर न करें.
फिशी कॉल-मेल से रहें सतर्क
बढ़ते बैंकिंग फ्रॉड को देखते हुए ग्राहकों को एक सतर्कता अवश्य बरतनी चाहिए कि किसी भी फोन कॉल पर, चाहे फोन करनेवाला खुद को आरबीआइ या बैंक के बड़े अधिकारी बताये, अपना नेट बैंकिंग का पासवर्ड या एटीएम या क्रेडिट कार्ड का पिन यानी नंबर या ओटीपी कतई न बताएं. इसी तरह किसी अपरिचित द्वारा लालच देकर बैंक से जुड़ी जानकारी इमेल से मांगने पर भी कोई जानकारी न दें. किसी भी अनधिकृत लेन-देन होने पर इसकी शिकायत संबंधित बैंक के कॉल सेंटर पर तुरंत करें और पंजीकृत संख्या प्राप्त करें. बैंक के कॉल सेंटर का नंबर कार्ड के पीछे अंकित रहता है. प्रत्येक बैंक के वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी उपलब्ध रहती है.