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सेवा की मिसाल एक मंदिर

महावीर मंदिर नैवेद्यम से साल भर में 19 करोड़ की रिकार्ड आय से सुर्खियों में है. नैवेद्यम की कमाई से कैंसर मरीजों का इलाज करने वाला महावीर मंदिर प्रबंधन धर्म से समाज सेवा की दिशा में अनोखी मिसाल पेश कर रहा है. महावीर मंदिर न केवल महावीर कैंसर संस्थान बल्कि महावीर आरोग्य और महावीर वात्सल्य […]

महावीर मंदिर नैवेद्यम से साल भर में 19 करोड़ की रिकार्ड आय से सुर्खियों में है. नैवेद्यम की कमाई से कैंसर मरीजों का इलाज करने वाला महावीर मंदिर प्रबंधन धर्म से समाज सेवा की दिशा में अनोखी मिसाल पेश कर रहा है. महावीर मंदिर न केवल महावीर कैंसर संस्थान बल्कि महावीर आरोग्य और महावीर वात्सल्य अस्पताल भी संचालित कर रहा है. महावीर मंदिर ट्रस्ट का 2017-18 का बजट 215 करोड़ रुपये का है. महावीर मंंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के निर्देशन में पूरी पारदर्शिता के कारण ही संस्थान भी चल रहे हैं. यदि इस देश के बड़े-बड़े मंदिरों की आय का ईमानदारी से इस्तेमाल हो तो न सिर्फ आम लोगों का भला होगा, बल्कि अनेक मंदिरों के प्रबंधकों और पुजारियों की छवि भी बेहतर होगी. रविशंकर उपाध्याय की रिपोर्ट

पारदर्शिता के साथ होता है काम
आचार्य किशोर कुणाल कहते हैं कि हमने मंदिर की कमाई में पूरी पारदर्शिता रखी है. भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनकी कमाई महावीर मंदिर से अधिक हो सकती है, लेकिन वे असली कमाई घोषित नहीं करते हैं. महावीर मंदिर की कमाई से महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य, महावीर आरोग्य संस्थान व नेत्रालय आदि का संचालन होता है. महावीर कैंसर अस्पताल में मरीजों को तीनों टाइम का खाना मुफ्त मिलता है. सामान्य मरीजों को भर्ती होते ही दस हजार रुपये व गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले मरीज को 15 हजार रुपये इलाज के लिए दिये जाते हैं.

300 साल पुराना है इतिहास
महावीर मंदिर का इतिहास करीब तीन सौ साल पुराना है. सन् 1713 से 1730 के बीच स्वामी बालानंद के नेतृत्व में इस मंदिर की नींव पड़ी. पहले यह मंदिर बहुत छोटा था. 1985 में मंदिर को इसका विशाल भवन मिला. मंदिर निर्माण में न केवल शहर के लोगों ने चंदा दिया बल्कि कारसेवा भी की. महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल बताते हैं कि मंदिर के निर्माण के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने जमीन दान में दी थी. प्रवेश द्वार के रास्ते को सीधा किया. ब्रिटिश सरकार के एक इंजीनियर को हावड़ा से पटना जंक्शन होते हुए वाराणसी तक रेलवे लाइन बिछाने का जिम्मा मिला था. पटना जंक्शन तक रेलवे लाइन बिछाने के क्रम में महावीर मंदिर बीच में पड़ रहा था. इंजीनियर ने सरकार को बताया कि रेलवे लाइन बिछाने के लिए मंदिर को तोड़ना अनिवार्य है. यह खबर जैसे ही आम लोगों को लगी तो उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया. स्थानीय लोगों ने ब्रिटिश समय के तत्कालीन जिलाधिकारी के पास भी गुहार लगाई. कहा गया कि इससे पहले बख्तियार खिलजी ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था. अब दोबारा से मंदिर तोड़ने नहीं दिया जाएगा. जिलाधिकारी ने जन भावना का सम्मान करते हुए रेलवे लाइन बिछाने का रास्ता बदलवा दिया.

तिरुपति के कारीगर तैयार करते हैं नैवेद्यम
साल 1992 में महावीर मंदिर में भगवान हनुमान को भोग लगाने के लिए नैवेद्यम का प्रसाद मिलना शुरू हुआ. उस समय तिरुपति बालाजी मदिर के कुछ कारीगर इस करार पर आए थे कि यहां के लोगों को नैवेद्यम बनाने का प्रशिक्षण देने के बाद वे लौट जाएंगे मगर यहां की व्यवस्था देखकर आज भी बालाजी मदिर के 40 कारीगर यहां काम कर रहे हैं. शुरुआत में इन्हें रहने-खाने के साथ पाच हजार रुपए मासिक वेतन मिलता था मगर अब नैवेद्यम की बिक्री से होने वाली आय का दस प्रतिशत इन्हें दिया जाता है. इससे उनके अंदर अधिक नैवेद्यम तैयार करने का उत्साह रहता है.

महावीर आरोग्य संस्थान
सात नवंबर 1988 को महावीर आरोग्य संस्थान की नींव द्वारिका पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद जी ने रखी थी. एक जनवरी 1989 से पटना के किदवईपुरी में एक किराये के मकान में शुरू हुआ अस्पताल इसके बाद कंकड़बाग में स्थानांतरित कर दिया गया. दिसंबर 2005 तक एक ओपीडी अस्पताल के रूप में काम करना शुरू कर दिया. मंदिर ट्रस्ट ने भूमि और भवन खरीदे और सभी सुपर स्पेशलिटी सेवाओं के साथ 60 बिस्तर वाला इनडोर अस्पताल शुरू कर दिया. एंबुलेंस, ऑडियोमेट्री, कार्डियालॉजी, डॉपलर, सीटी स्कैन, दांत, ईएनटी, नेत्र, नेत्र-बाल चिकित्सा नेत्र विज्ञान, गैस्ट्रो, आम दवाई, पेडियट्रिक सर्जरी, आईसीयू, नेफ्रोलॉजी, हड्डी रोग विज्ञान, प्लास्टिक सर्जरी के साथ ही त्वचा और उसकी सर्जरी, मूत्र विज्ञान, टीकाकरण, एक्स-रे आदि की सेवाएं यहां दी जाती है.

महावीर वात्सल्य अस्पताल
लगभग 11 करोड़ की आबादी वाले बिहार झारखंड में नवजात शिशु और मां का बड़ा बोझ होता है. देश के इस हिस्से में इस विशाल बोझ और पर्याप्त उपचार सुविधाओं की कमी को समझते हुए महावीर मंदिर ने पहली बार सुपर स्पेशलिटी नवजात और मां की देखभाल अस्पताल स्थापित करने की योजना बनायी थी. अस्पताल की नींव 21 अक्टूबर 2003 को महामंडलेश स्वामी विद्यानंद गिरि महाराज द्वारा कैलाश आश्रम, हरिद्वार और 30 अप्रैल 2006 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उद्घाटन किया गया. मंदिर ने इस अस्पताल को 120 बिस्तर वाले सामान्य सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के रूप में बदलने की योजना बनाई जहां नवजात, ओबस्टेट्रिक्स और गायनोकोलॉजी, आर्थोपेडिक्स, आई, ऑरोडेंटल, सामान्य सर्जरी, त्वचा और फिजियोथेरेपी और सामान्य दवा के बारे में बेहतर उपचार प्रदान किया जा सकता है.

महावीर कैंसर संस्थान
भारत के उत्तर पूर्व हिस्से में कैंसर रोगियों के भारी बोझ और पर्याप्त उपचार सुविधाओं की कमी को समझते हुए प्रसिद्ध महावीर मंदिर ट्रस्ट ने पहली बार 1998 में पटना में महावीर कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र (एमसीएसआरसी) शुरू किया था. यह एक छत के नीचे सभी उपचार सुविधाओं के साथ एक धर्मार्थ कैंसर संस्थान है. फुलवारीशरीफ में स्थित यह संस्थान पटना हवाई अड्डे से 2 किमी और पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन से 7 किमी दूर है.

महावीर हृदय रोग अस्पताल
महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा संचालित महावीर हृदय रोग अस्पताल का शुभारंभ 25 अप्रैल 2016 को हुआ था. महावीर वात्सल्य अस्पताल के प्रांगण में एम्स, नई दिल्ली के हृदय रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. वीके बहल ने इसकी शुरूआत की थी. अस्पताल में न्यूनतम दर पर हृदय रोगों के इलाज की सुविधा बहाल की गयी है. महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि हृदय रोगियों को बेहतर इलाज के लिए यह सुविधा अभी वात्सल्य अस्पताल के प्रांगण में ही की गयी है. इसमें लगातार नई सुविधाएं दी जा रही है.

महावीर नेत्रालय
बिहार झारखंड में नेत्र रोगियों के लिए अच्छा अस्पताल नहीं होने के कारण चेन्नई, सीतापुर और अलीगढ़ जाने वालों की अच्छी खासी संख्या है. इसकी नींव 21 जनवरी 2006 को सीएम नीतीश कुमार ने रखी थी. यहां शंकर नेत्रालय चेन्नई, कोलकाता, अलीगढ़, सीतापुर आदि अस्पतालों से चिकित्सक आते रहते हैं और बहुत ही कम दर पर यहां इलाज किया जाता है. अभी रोज पांच सौ मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं. गरीबों का इलाज पूरी तरह फ्री है. इस अस्पताल में ग्लूकोमा क्लिनिक, रेटिना क्लिनिक, डायबीटिक रेटिनोथेरेपी क्लिनिक आदि मौजूद हैं.

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